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“केवल एक ही संविधान चलेगा” सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद ३७० के समर्थकों की आशाओं पर फेरा पानी

“केवल एक ही संविधान चलेगा” सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद ३७० के समर्थकों की आशाओं पर फेरा पानी

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार (9 अगस्त 2023) को चौथे दिन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान 4 घंटे 40 मिनट तक चली कार्रवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट्स से कई अहम सवाल किए। कोर्ट ...

बेनेगल नरसिंह राऊ

बेनेगल नरसिंह राऊ: भारतीय संविधान के वास्तविक रचयिता

बेनेगल नरसिंह राऊ: “आपको लगता है कि सारा प्रयास मेरा है, परंतु ऐसा नहीं है। अगर ऐसे अभूतपूर्व व्यक्तित्व का साथ नहीं होता, और उनका मार्गदर्शन नहीं होता, तो मुझसे ये काम अकेले संभव नहीं था” ये शब्द थे संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के प्रमुख डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जिन्हे ...

Sanvidhan kise kahate hain

संविधान किसे कहते हैं : परिभाषा एवं प्रकार

Sanvidhan kise kahate hain :संविधान किसे कहते हैं  परिभाषा एवं प्रकार  स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Sanvidhan kise kahate hain साथ ही इससे जुड़े अर्थ एवं परिभाषा के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें ...

सेक्युलरिज्म

‘सेक्युलरिज़्म’ भारत के संविधान में सदैव जुड़ा रहना चाहिए

"भारत एक सेक्युलर यानी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है" यह शब्द सुनने पर यदि कोई सबसे अधिक आक्रोशित होता है तो वो है भारत का हिंदू समुदाय। हिंदू समाज का एक वर्ग ऐसा है जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केवल इसलिए नाराज रहता हैं क्योंकि पीएम मोदी ने देश को हिंदू ...

दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक

‘संविधान फिर से पढ़ें’ – दिल्ली को लेकर बकलोली करने वाले केजरीवाल को अमित शाह ने पढ़ाया पाठ !

दिल्ली के मुख्यमंत्री जो की हंसी का पात्र ही बनते आए हैं इस बार भी उसी रीत को निभाते आए हैं और गृह मंत्री अमित शाह कोई हिसाब बकाया नहीं रखते, यह तो सब जानते ही हैं। तो इस बार संसद में दिल्ली के स्वघोषित मालिक अरविन्द केजरीवाल की बिना ...

भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित करने का समय आ गया है

भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित करने का समय आ गया है

अल्पसंख्यक, कौन हैं, किन मापदंडों पर इनका आंकलन किया जाता है? संविधान के अनुरूप संस्थागत व्यवस्था के अनुरूप है भी या नहीं आज यह सबसे बड़ा प्रश्न है। ऐसे में इसकी विवेचना करने का आज सबसे आवश्यक और उपयुक्त समय है। ऐसे में इसकी नींव स्वयं असम के मुख्यमंत्री हिमंत ...

संविधान का भारतीयकरण

जानें क्यों है भारतीय संविधान के अनुच्छेद-29 और 30 में संशोधन की आवश्यकता?

हमें बार-बार कहा जाता है कि कानून के सामने सभी भारतीय समान हैं, लेकिन यह कभी नहीं बताया गया कि कैसे कुछ कानून बहुसंख्यक समुदाय पर असमान रूप से लागू होते हैं और हिंदुओ के साथ भेदभाव का कारण बनते है। शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार एक ऐसा ही ...

संविधान का भारतीयकरण

अब समय है कि भारतीय संविधान का ‘भारतीयकरण’ हो और यह सिर्फ भाजपा ही कर सकती है

भारतीय संविधान देश का सबसे स्वीकार्य और साथ ही सबसे पेचीदा दस्तावेज है! इसे स्वीकार करने वाले भी इसे किसी न किसी रूप में बदलने की मांग करते हैं। उन मांगों में से एक भारतीय संविधान का भारतीयकरण है। दरअसल, ब्रिटिश और पाश्चात्य शिक्षा से परिष्कृत हमारे संविधान सभा के ...

संविधान उपनिवेशवाद

भारतीय संविधान में अभी भी उपनिवेशवाद की गंध है

दुनिया का सबसे वृहद और विस्तृत लिखित भारतीय संविधान जरूरत के अनुसार लचीला और कठोर दोनों है। हालाँकि, जिस दस्तावेज़ ( भारत सरकार अधिनियम, 1935) और सिद्धांतों ने भारत के संविधान में संतुलन को रोका है, वह आलोचनाओं के अधीन है। उन सिद्धांतों में से एक संविधान में उपनिवेशवाद को ...

संविधान धर्मनिरपेक्ष

भारतीय संविधान की प्रस्तावना से “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” को हटाने का यह सही समय है

एक सरकारी विज्ञापन में संविधान के प्रस्तावना पाठ को 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों के बिना चित्रित करने से विवाद खड़ा हो गया है। परंतु, जो लोग यह विवाद खड़ा कर रहें है, उन्हे यह समझने की जरूरत है कि वास्तविक रूप से हमारा मूल संविधान इन दो शब्दों से रहित ...

127 संविधान संशोधन

संविधान (127 वां) संशोधन विधेयक समझिये: अब राज्य सरकारें अपने ही वादों के बोझ तले दबेंगी

अक्सर हमने देखा है कि कई विषयों पर केंद्र और राज्यों में टकराव होता है, जिसका दुष्परिणाम पूरे देश को भुगतना पड़ता है। उदाहरण के लिए पेट्रोल के दामों पर दोनों की हठधर्मिता का ही परिणाम है कि आज तक यह जीएसटी के दायरे में नहीं आया, जिसके कारण पूरे ...

पीएसी चेयरमैन

Economist अशोक लाहिरी के डर से संविधान की धज्जियां उड़ाकर ममता ने मुकुल रॉय को PAC का अध्यक्ष बनाया

नियमों को ताक पर रखकर संविधान की धज्जियां उड़ाना तो जैसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आदत बन गई है। राज्य में राजनीतिक हिंसा से लेकर भ्रष्टाचार तक के मामलों में विपक्ष ममता को घेरता रहता है। वहीं अब विधानसभा में पीएसी के अध्यक्ष पद की नियुक्ति को ...

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