'हिंदवी स्वराज्य' के लिए खोज परिणाम

28 अप्रैल 1758 – आज ही के दिन “कटक से अटक तक” हिंदवी स्वराज्य की नींव पड़ी

“आदि से अनंत तक, यही है परंपरा, कायर भोगे दुख सदा, वीर भोग्य वसुंधरा!” ये वाक्य हमारे देश के असंख्य योद्धाओं की आदर्श नीति रही है, जिन्होंने हमारी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में भी संकोच ...

शिवाजी राजे के “वाघनख” की होगी घरवापसी!

जिस वाघनख के बल पर छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य एवं मराठा संप्रदाय के अद्वितीय शौर्य की नींव रखी थी, जिस वाघनख को छत्रपति शिवाजी महाराज के न्याय का प्रतीक माना जाता हैं, वह भारत वापसी के लिए ...

जगदंब तलवार: इन वस्तुओं को अविलंब ब्रिटेन के “चोर बाज़ार” से वापस लाना है

जगदंब तलवार: कैसा लगे, जब आपकी अमूल्य धरोहर किसी अन्य के हाथों में हो, केवल इसलिए क्योंकि उसके पूर्वजों ने कुछ शताब्दियों पूर्व आपके धरती पर राज किया था? यूं ही ब्रिटेन के संग्रहालयों को “चोर बाज़ार” नहीं कहा ...

क्या सिंधिया [शिंदे] परिवार वास्तव में उतने बुरे थे?

“अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी” “झांसी की रानी” नामक कविता में जब इस छंद का उल्लेख होता है, तो अनवरत ही ग्वालियर की शिंदेशाही की ओर ध्यान जाता है, जिनका आज भी भारत के इतिहास एवं ...

मराठा के मोहिते जिन्होंने औरंगजेब को कई बार धराशाही किया

मोहिते वंश: जब शिवाजी राजे का देहावसान हुआ, तो मराठा साम्राज्य का भार शंभूराजे यानी संभाजी महाराज के कंधों पर आ पड़ा। परंतु जल्द ही 1689 में उनकी भी बर्बरतापूर्ण हत्या की गई, और अब बात मराठा समुदाय एवं ...

क्यों होल्कर साम्राज्य को मराठों का मस्तकमणि माना जाता है?

कुछ महानुभावों को लगता है कि अंग्रेज़ न होते, तो भारत में सभ्यता दूर दूर तक नहीं थी। परंतु अंग्रेज़ों के आगमन से पूर्व भारत एक गणतांत्रिक राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर था, जहां जनता के समर्थन से सबसे ...

रघुनाथ राव और माधवराव के बीच वह “महाभारत”, जिसे रोका जा सकता था

काफी समय पूर्व, जब औरंगज़ेब के विरुद्ध राष्ट्रीय स्तर पर कोने कोने से विद्रोह प्रारंभ हुआ था, तो एक व्यक्ति ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया। उन्होंने न केवल इस युद्ध में भाग लिया, अपितु संकल्प भी लिया, ...

चिमाजी राव अप्पा : जिनके साथ संजय लीला भंसाली ने किया घोर अन्याय

सिनेमा से आप शत प्रतिशत सटीकता यानि एक्युरेसी की आशा नहीं कर सकते। परंतु इसका अर्थ यह भी नहीं है कि आप इतिहास के नाम पर कुछ भी दिखा दें। संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित “बाजीराव मस्तानी” के साथ ...

शत्रु का शत्रु मित्र : मलिक अम्बर की अनोखी कथा

किसी ने सही कहा है, “जब दोस्त बनाके काम चल सकता है, तो दुश्मनी की कया जरूरत”। किसने सोचा होगा कि जिसे दास बनाकर अफ्रीका से भारत लाएंगे, वही एक दिन अपने “आकाओं” को चुनौती देने लगेगा, और उसी ...

5 अवसर, जब शत्रु के हाथ से रेत की भाँति फिसले हमारे वीर

जब जरासंध के निरंतर आक्रमण पर श्रीकृष्ण ने मथुरा त्याग दी, तो उन्हें "रणछोड़" की उपाधि दी गई। तो क्या वे कायर थे? नहीं, परंतु श्रीकृष्ण को ज्ञात था कि जरासंध को परास्त करने के लिए ये सही समय ...

समुद्री दस्यु, दहेज, और वाडिया समूह की उत्पत्ति

वाडिया समूह: आज भारत में उद्यमिता की स्थिति पहले से बेहतर है। अनेकों कंपनियां एक भीषण प्रतिस्पर्धा में सम्मिलित है, परंतु जिनका प्रभाव सबसे अधिक है भारतीय उद्योग पर, वह है धीरुभाई अंबानी का रिलायंस समूह , और गौतम ...

“जिस शख्स ने पेशवाई का गौरव चरम पर पहुंचाया”, मराठा साम्राज्य के महान पेशवा बालाजी विश्वनाथ की कहानी

पेशवा बालाजी विश्वनाथ: अखंड भारत, कुछ लोगों को यह सिद्धांत हास्यास्पद प्रतीत होता है परंतु एक समय ऐसा भी था जब कश्मीर से कन्याकुमारी ही नहीं, गांधार से लेकर बंगाल तक हमारा था और मौर्यकाल में अखंड भारत की ...

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