'हिंदवी स्वराज्य' के लिए खोज परिणाम

सिंधुदुर्ग किला: मराठा साम्राज्य का अभेद्य गढ़, जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता था

आचार्य चाणक्य की नीति से कौन परिचित नहीं? एक समय कुछ लोग उनसे मिलने जब आए, तो उन्होंने अपने मार्ग का विवरण करते हुए बताया, “आपके पास पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। आप महाराज से कहकर ...

बहिर्जी नाईक– एक ऐसे योद्धा जिनके शौर्य की चर्चा कभी नहीं की गई

गुप्तचर, ये शब्द अपने आप में रोमांच से भरा एक अद्भुत संसार आपके समक्ष खोल देता है। निस्संदेह इस संसार का भाग होना सरल नहीं है परंतु अगर आप इसका भाग बन जाएं तो यश भी आपका और दुर्गति ...

बिठूर– भारत का एक छुपा हुआ सांस्कृतिक रत्न जिसे और समीप से जानने की आवश्यकता है

इतिहास वो नहीं जो हमें बताया जाए अपितु इतिहास वो भी है जिसे खोजने के लिए यत्न करना पड़े। जर्मन योद्धा एवं कूटनीतिज्ञ Otto Von Bismarck का मानना है कि हमारा उद्देश्य होना चाहिए इतिहास रचना, उसे लिखना नहीं। ...

खुशहाली, विवाद, राज हत्या और प्रेत आत्माएं: ‘शनिवार वाड़ा’ का इतिहास

“काका, म्हाला वाचवा!” एक बालक प्रांगण में इधर से उधर दौड़ते हुए चिल्ला रहा था पर उसकी पुकार एक व्यक्ति देखकर भी अनसुनी कर रहा था। सत्ता की लालसा में वह इतना अंधा हो चुका था कि उस युवा ...

क्या बनारसी साड़ी मुग़लों की देन है? संक्षिप्त उत्तर: नहीं, लंबा उत्तर: लेख पढ़ें

कई सदियां बीती और इस बदलते संसार में लोगों का न केवल खान- पान, सोच और नजरिया बदला है बल्कि उनकी वेश- भूषा भी बदली है। लेकिन विश्वभर के देशों के परिधान भले ही बदल गए हों मगर आज ...

अहिल्याबाई होल्कर– भारत के सांस्कृतिक उद्धार में जिनका अतुलनीय योगदान है

निरंतर हमें वामपंथियों ने अपमानित करने हेतु हमारी संस्कृति को पितृसत्तात्मक यानि patriarchal एवं रूढ़िवादी, एवं अंधविश्वास से परिपूर्ण ठहराने का परिपूर्ण, भले ही खुद में लाख कमियाँ छुपी हो। परंतु उन्हे निरुत्तर करने के लिए हमारे पास अधिकतम ...

कांग्रेस के गुंडों द्वारा 5000 ब्राह्मणों के नरसंहार की अनसुनी कहानी

“दे दी तूने आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल”, सत्य कहें तो इस पंक्ति ने वर्षों तक पुरे देश को भ्रमित किया। इतना ही नहीं, जब ये 'संत' परलोक सिधारे, तो भी इनका ...

महादजी शिंदे : पानीपत के राख से निकले वो शूरवीर जिन्होंने महाराष्ट्र का भाग्य बदल दिया

महादजी शिंदे - 14 जनवरी 1761, यह वो दिन था जब अखंड भारत को उसका सबसे भीषण आघात लगा। यह वो दिवस था जब हिंदवी स्वराज्य को आर्यावर्त के प्राचीन सीमाओं तक ले जाने के प्रयास असफल हुए और ...

राणा राज सिंह : जिनके नाम से ही आलमगीर ‘त्राहिमाम’ कर उठता था

राणा राज सिंह – जिसके नाम से ही मुग़ल शासन त्राहिमाम कर उठता था! एक राजकुमारी ने कहा, "ये चित्र तो बहुत देखे। किसी अनुपम राजकुमार का चित्र तो बताइए!" वृद्ध दासी - "यह हिंदुस्तान के बादशाह आलमगीर हैं! ...

क्या टीपू सुल्तान वास्तव में उतना बहादुर था, जितना बताया जाता है?

हाल ही में, टीपू सुल्तान के जन्मदिवस के अवसर पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया, जब एक कांग्रेस नेता ने उसकी एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की। क्रांतिकारी सुल्तान फ़तेह अली खान उर्फ़ टीपू सुल्तान की ये ...

प्रतापगढ़ का युद्ध – जिसने भारतवर्ष का इतिहास बदल दिया

प्रतापगढ़ का युद्ध इतिहास बदलने हेतु कभी-कभी एक एक छोटा कदम भी बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा ही एक कदम सन् 1659 में भी उठाया गया था, जिसने न केवल एक व्यक्तित्व के विशाल विरासत की स्थापना की, ...

पेशवा माधवराव भट्ट– भारतवर्ष का आधुनिक स्कंदगुप्त जिसने मराठा साम्राज्य को खंडित होने से बचाने का प्रयास किया

पेशवा माधवराव भट्ट : 14 जनवरी 1761– यह वो दिवस था जब अखंड भारत को उसका तीसरा सबसे भीषण आघात लगा। जितना बड़ा आघात महमूद गज़नवी सोमनाथ मंदिर के विध्वंस या खनवा में महाराणा संग्राम सिंह की पराजय से ...

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