सिंधुदुर्ग किला: मराठा साम्राज्य का अभेद्य गढ़, जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता था
आचार्य चाणक्य की नीति से कौन परिचित नहीं? एक समय कुछ लोग उनसे मिलने जब आए, तो उन्होंने अपने मार्ग का विवरण करते हुए बताया, “आपके पास पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। आप महाराज से कहकर ...