रूस को क्यों है भारत की जरूरत?
16 April 2024
टेस्ला की कारों के लिए सेमीकंडक्टर चिप बनाएगी टाटा।
16 April 2024
Kanpur Holi: 1942, द्वितीय विश्व युद्ध चरमोत्कर्ष पर था। जहां एक ओर अंग्रेज़ हिटलर को परास्त करने हेतु अमेरिकियों के साथ जोड़-तोड़ कर रहे थे, तो वहीं जापानी दूसरी ओर से एशिया के कोने-कोने पर अपना राज स्थापित करना चाहते थे, और ब्रिटेन के उपनिवेश होने के कारण भारतीय गेहूं ...
“हंस-हंस पड़ब फांसी, माँ देखबे भारतबासी, बिदाई दे माँ फिर आसी” अर्थात हँसते हँसते पड़ेंगे फांसी, माँ देखेंगे ये भारतवासी, अब बिदाई दे माँ, फिर आएंगे ये शब्द थे उस क्रांतिकारी के जिसने मृत्यु के पूर्व अपने स्वभाव से कई जेलवासियों को प्रभावित किया था। ये उस परिवार से आते ...
“विश्वासघात की सबसे बुरी बात क्या है? वो शत्रु नहीं देते!” द गॉडफादर शृंखला में ये संवाद आज भी कई लोगों के मन मस्तिष्क में बैठ चुका है। इसका अर्थ स्पष्ट है और दुर्भाग्य की बात तो यह है कि ऐसे विश्वासघाती लोगों को न केवल सम्मान दिया गया, अपितु ...
पता है इस देश की सबसे बड़ी त्रासदी क्या रही है? यहां सभी चाहते हैं कि नायक निकलें और देश एवं समाज की रक्षा करें परंतु उनके हृदय में सदैव यही रहता है कि यह कार्य पड़ोसी के घर में हो, खुद के घर में नहीं। अपना सर्वस्व देशहित में ...
“जो कलम सरीखे टूट गये पर झुके नहीं, उनके आगे यह दुनिया शीश झुकाती है जो कलम किसी कीमत पर बेची नहीं गई, वह तो मशाल की तरह उठाई जाती है” ये पंक्तियाँ उस पत्रकारिता का प्रतीक है, जिसके अवशेष आज ढूंढने से भी भारत की वर्तमान पत्रकारिता में नहीं ...
“कभी वो दिन भी आएगा कि जब हम आज़ाद होंगे, ये ज़मीन अपनी होगी, ये आसमाँ अपना होगा, शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का, बाकी यही निशा होगा!” कुछ ऐसी ही पंक्तियों को अपने कंठ में समाते हुए दो मतवाले एक ही दिन, ...
हाल ही में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वैश्विक मीडिया से संपर्क साधते हुए आरएसएस का पक्ष सामने रखा, और अपनी बातचीत में उन्होंने संघ के विरुद्ध फैलाये गए झूठ के विरुद्ध पर भी अपनी आवाज़ उठाई। मोहन भागवत ने ‘आरएसएस को जानो’ (Know The RSS) कार्यक्रम के अंतर्गत ...
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक महत्वपूर्ण अध्याय हैं, लेकिन उनमें सबसे प्रमुख अध्याय निस्संदेह दांडी यात्रा (12 मार्च 1930 – 6 अप्रैल 1930) का है। आज भी कई वामपंथी इतिहासकार मोहनदास करमचंद गांधी की तारीफ करते नहीं थकते कि कैसे उन्होंने नमक उठाकर ब्रिटिश साम्राज्य को घुटने टेकने पर ...
सरदार उधम एक बार फिर से विवादों के घेरे में हैं, परंतु इस बार फिल्म के कॉन्टेन्ट के कारण नहीं। शूजीत सरकार द्वारा निर्देशित ये फिल्म इस वर्ष ऑस्कर के लिए नामांकित की जाने वाली भारतीय फिल्मों की लिस्ट में शामिल की गई थी, और इस लिस्ट में ‘शेरनी’, ‘शेरशाह’ ...
जो नहीं होना चाहिए था, वो हो गया। सबकी आंखों के समक्ष उनके प्रिय नेता पर कुछ नीच, निकृष्ट अंग्रेज़ और उनके चाटुकार एक के बाद लाठी बरसाते रहे, लेकिन रक्त से लथपथ वह वीर अपने मार्ग पर अडिग रहा। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वह ब्रिटिश ...
हाल ही में विजयदशमी के अवसर पर शूजीत सरकार की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सरदार उधम’ Amazon Prime पर प्रदर्शित हुई। ये जलियाँवाला बाग नरसंहार को स्वीकृति देने वाले पंजाब के तत्कालीन उपराज्यपाल माइकल ओ ड्वायर का अंत करने वाले वीर क्रांतिकारी उधम सिंह कंबोज के ऊपर आधारित है, जिसे जीवंत करने ...
जिस नाम को सुनकर आज भी देश के करोड़ों युवाओं में ऊर्जा का संचार होता है, उसी क्रांतिकारी भगत सिंह की विचारधारा को कुछ लोग हड़पने के प्रयत्न में लगे हुए हैं। साम्राज्यवाद विरोध, नास्तिकता जैसे कई सिद्धांतों के के सहारे वे यह सिद्ध करना चाहते हैं कि भगत सिंह ...