पोस्ट से प्रीपेड तक, कबूतर से डाक सेवाओं और अब WhatsApp तक: समझिए संदेशों के आदान-प्रदान का इतिहास
नब्बे के दशक के अक्सर बसों और स्थानीय ऑटोरिक्शा में बजते गानों में “कबूतर जा जा जा” जिस दौर की याद दिलाता है, वो कबका बीत चुका है। WhatsApp और इंस्टेंट मेसेज के युग में ना कबूतर...