मुग़ल-ए-आज़म ऐतिहासिक फिल्म के ऊपर सेक्युलर मजाक है
किसी ने क्या खूब कहा है, “हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती” शायद उस व्यक्ति ने कहीं न कहीं अपने जीवन में के आसिफ की ‘मुग़ल-ए-आज़म’ अवश्य देखी होगी अन्यथा यह सुविचार इतनी तेज़ी से उसके मन...
किसी ने क्या खूब कहा है, “हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती” शायद उस व्यक्ति ने कहीं न कहीं अपने जीवन में के आसिफ की ‘मुग़ल-ए-आज़म’ अवश्य देखी होगी अन्यथा यह सुविचार इतनी तेज़ी से उसके मन...
ये भारत है, यहां हर जीव जन्तु में हम ईश्वर को ढूंढते हैं और उनका वंदन भी करते हैं। हम माटी को, पक्षियों को एवं अन्य जीव जंतुओं को बड़ी ही श्रद्धा से पूजते हैं। कण-कण में...
“दो पल रुका, ख्वाबों का कारवां, और फिर चल दिए, तुम कहां हम कहां”, ये बोल सुनकर कौन विश्वास करेगा कि एक समय ऐसा भी था, जब बॉलीवुड से ऐसा कर्णप्रिय संगीत निकलता था, जिसे अपना स्वर...
आपने अंडररेटेड क्लासिक्स, अंडेररेटेड फिल्मों के बारे में तो अवश्य सुना होगा परंतु कभी अंडररेटेड व्यंजन के बारे में सुना है? यदि नहीं, तो फिर आप खिचड़ी से बिल्कुल भी परिचित नहीं है। वो अलग बात है...
किसी समय लॉर्ड मैकाले नामक एक अंग्रेज़ अफसर ने कहा था कि यदि भारत में अपना राज स्थापित करना है तो एक ऐसी नीति का सृजन करना होगा, जिसमें भारतवासी चाहे जो पढ़ें लिखें, लेकिन मन से...
किसी ने सही कहा था, “जनता को मूर्ख समझना बंद कर दीजिए”। ये बात यूं ही नहीं कही गई थी, क्योंकि इसकी अवहेलना करने वाले आज किस स्थिति में है, यह बॉलीवुड से बेहतर कोई नहीं समझा...
दृश्यम-2 की चर्चाएं निरंतर हो रही हैं। दृश्यम-2 के साथ-साथ अजय देवगन के अभिनय की चर्चाएं भी हो रही हैं। ऐसे में आपसे एक प्रश्न है क्या आपने अजय देवगन की फिल्म रेनकोट देखी है? उम्मीद करते...
कभी विनायक दामोदर सावरकर ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही थी, “मुझे न ईसाइयों से भय है और न ही मुसलमानों से, मुझे तो भय है उन हिंदुओं से, जो हिन्दू होते हुए भी हिंदुओं के...
जो सरकारी बाबू ऑफिस में बैठ कर कुर्सी तोड़ रहे थे, मुफ्त की मलाई चाट रहे थे, सरकारी पैसे पर ऐश कर रहे थे, आलसी हो गए थे, उनके दिन तो वर्ष 2014 से ही घटने शुरु...
“तू लगा दांव,तू लगा पेंच तू दिखा जिगर, तू दिखा तेज....” इन पंक्तियों को अगर आप ध्यान से पढ़ें तो इनमें स्वत: ही वीर रस झलकने लगता है। इन्हें हम अपने रणबांकुरों के लिए प्रयोग में लाएं...
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, और आवश्यक नहीं कि जो जैसा दिखे, वो अंदर से भी वैसा ही हो। राजनीति हो या रंगमंच, ऐसे कई लोग आपको मिलेंगे जो होते कुछ और हैं और वास्तव...
“अरे नेहरू जी ने इस देश के लिए इतना कुछ किया, तुम संघियों ने किया ही क्या है?” “इंदिरा जी और राजीव जी न होते, तो न जाने हमारे देश का क्या होता?” क्यों हुई थी कांग्रेस...
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