कर्म का फल मिलता जरूर है: बाबा का ढाबा के कांता प्रसाद फिर गरीब हो गए हैं, पर जनता अब सहानुभूति नहीं दिखाएगी
‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए’ हिन्दी साहित्य का ये दोहा कभी अप्रासंगिक रहा ही नहीं... समय-समय इसकी सटीकता सामने आती रही है। सोशल मीडिया से मशहूर हुए दिल्ली के ‘बाबा का ढाबा के...