भारत ने आखिरकार आयुर्वेद को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है
आपदा में अवसर कैसे तलाशें यह पीएम मोदी से सीखना चाहे तो हर कोई सीख सकता है। जिस आयुर्वेदा को अंग्रेज़ी तंत्र एलोपैथी के सामने पानी पी पी कर कोसा और नकारा जाता था, कोरोनाकाल ने उसी...
आपदा में अवसर कैसे तलाशें यह पीएम मोदी से सीखना चाहे तो हर कोई सीख सकता है। जिस आयुर्वेदा को अंग्रेज़ी तंत्र एलोपैथी के सामने पानी पी पी कर कोसा और नकारा जाता था, कोरोनाकाल ने उसी...
कई बार स्वतंत्रता ऐसी बाधक बन जाती है कि न ही वो थूकते बनती है और न निगलते। कुछ ऐसा ही हाल न्याय व्यवस्था के कुछ बिंदुओं का है जिनका दुरुपयोग डंके की चोट पर होता है...
सत्ता का स्वाद चखने के बाद उसका दुरूपयोग करना लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक बात होती है। निजी स्वार्थ और हीन भावना के चलते जब सरकार अपनी शक्तियों का उपयोग अपने स्वार्थ और निजी द्वेष के लिए...
मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय व्यक्ति के सामान्य जीवन की शुरुआत ही कौन कैसे आमदनी कमाए, कैसे आर्थिक पक्ष और स्त्रोत मजबूत हो इससे होती है। कई तो ऐसे होते हैं जिन्हें हर दिन कमाना और उसी...
कट्टरपंथियों, वामपंथियों और कथित लिबरलों ने मौजूदा समय में देश में जिस तरह की स्थिति पैदा कर दी है, ऐसे में सतर्कता ही सबसे पहला उपाय बनकर सामने आ रहा है। इसी बीच हिन्दू धर्म के आस्था...
सत्ता प्राप्ति किसी भी राजनीतिक दल का वो लक्ष्य है, जिसकी प्रतीक्षा में उसके कार्यकर्ता आधा हो जाते हैं पर सत्ता मिलते ही मानों वर्षों पुरानी इच्छा पूरी हो गई हो ऐसा प्रतीत होता है। वर्ष 2014...
पहले पत्थर बरसाओ, गोली चलाओ और बाद में फंसने पर कह दो- "आत्मरक्षा के लिए किये थे।" हिंसा, उपद्रव, दंगे में जहांगीरपुरी का कितना बुरा हाल जिहादी और शांतिदूतों ने कर दिया वो किसी से नहीं छुपा...
जब-जब देश में टूट होगी उन चरमपंथी और कट्टरपंथी तत्वों पर बातें अवश्य होंगी, जो घर के भेदी के रूप में काम करते आए हैं। देश की एकता और संप्रभुता पर सवाल उठाना और उसे खोखला करने...
देश में हर विभाग और हर क्षेत्र तक सरकार नहीं पहुंच पाती है, इसके लिए संविधान कुछ विशेष आयोगों की संरचना की स्वीकृति देता है। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि अब तक यूपीए शासन में इन...
जब भी सामाजिक उपद्रव होगा, सत्ता पक्ष का नाम अवश्य सामने आता है, आए भी क्यों न? जब राज्य के भीतर दंगे हो जाएंगे तो सवाल तो पूछे ही जाएंगे और जब सत्ता पक्ष का पिछला रिकॉर्ड...
जब भी भारतीय राजनीति के हानिकारक और विनाशकारी बिंदुओं को लिखा जाएगा, उसमें मुफ्तखोरी और फ्री-फ्री और फ्री बांटने वाली योजनाओं और उसके प्रणेताओं को अवश्य उल्लेखित किया जाएगा। जिस तरह ऋण में डूबे श्रीलंका की हालत...
जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं। इस फ़िल्मी डायलॉग को कभी-कभी असल जिंदगी में भी अमल में लाने की आवश्यकता पड़ जाती है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि लातों के भूत बातों से...
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