सबका साथ और सबका विकास जपते रहें तो हर जगह ‘जहांगीरपुरी’ देखने को मिल सकता है!
कभी कभी ज़्यादा मीठा होना भी घातक हो जाता है, देश में एक तबका ऐसा भी है जो इस मिठास को मजबूरी या विवशता समझ समाज को दूषित और बर्बाद करने का षड्यंत्र रचता है। जब से...
कभी कभी ज़्यादा मीठा होना भी घातक हो जाता है, देश में एक तबका ऐसा भी है जो इस मिठास को मजबूरी या विवशता समझ समाज को दूषित और बर्बाद करने का षड्यंत्र रचता है। जब से...
चुनाव जीत नहीं पा रहे तो देश खतरे में है, असहिष्णुता बढ़ रही है देश खतरे में है, परिवार के बाहर अध्यक्ष चुन नहीं पा रहे देश खतरे में है, राज्यों में बनी बनाई सरकार टूट जाती...
कौआ चला देखो हंस की चाल, अब ममता चली हैं लालू की चाल। जी हां, यहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और आरजेडी के सर्वेसर्वा उन्हीं लालू प्रसाद को संबोधित किया गया है जो इन दिनों एक काम...
अज़ान बनाम हनुमान महाराष्ट्र का यह घमासान अब चरम पर है। जिस प्रकार मस्जिदों में नमाज़ लाउडस्पीकर के साथ पढ़ी जाती है, अब हनुमान चालीसा से लेकर सभी अन्य पाठ भी उसके साथ पढ़े जाएं इस पर...
अब्बा को जवाब कैसे दे दिया? यह हाल है भारत के उन लिबरल तथाकथित पत्रकारों का जिनकी रोटियां 2014 के बाद से चलनी बंद हो गईं और वे स्वयं बेरोज़गार भी हो गए। अमेरिकी तंत्र को सत्यवादी...
राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी वही है जो अपने विपक्षी के चाल को चले जाने से पूर्व ही भांप ले। आम आदमी पार्टी जिस रफ़्तार के साथ अपने विस्तार में लगी हुई है, भाजपा को उससे अधिक...
हवा बदलने और हवा बनाने, दोनों में एक बड़ा अंतर यह है कि हवा बदलने में क्षणभर नहीं लगता है पर हवा बनाने में समय कब, कहां और कितना लग जाए कोई अनुमान नहीं होता। इस हवा...
जला लो लाख राष्ट्रवाद की चिंगारी, खत्म न होने वाली यह राजद्रोह की बीमारी! यह कथन आज के परिवेश में बिल्कुल सटीक बैठता है जहां एक वर्ग विशेष राष्ट्रद्रोही को अब एक तमगे के रूप में देख...
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान कितना बदल गया इंसान। नेताओं की बात करें तो उनके वादों से यह साफ प्रतीत होता है कि जब तक वादे पूरे न हो...
चौबे जी गए छब्बे जी बनने, दूबे जी बनकर लौटे। पहले रूस-यूक्रेन मामले को लेकर भारत की तटस्थता पर ज्ञान बांटा, फिर तेल आयात पर बुद्धि देने का प्रयास किया, फिर आया मानवाधिकार का शिगूफा क्योंकि कुछ...
भारत और भारतीय संसाधनों को जितनी यातनाएं दी गईं और जितना कोसा गया आज उतना ही विश्व उसके हर उस फैसले की प्रशंसा करने में आगे है जो मेक इन इंडिया की तर्ज़ पर लिए गए। अब...
भारत कितना सामर्थ्यवान है यह उसके उस कौशल से प्रदर्शित होता है कि विदेशी तंत्र भारत पर टकटकी लगाए रखता है। यहां भारत से कौशल छिटका नहीं कि वहां विदेशी उसे लपक लेते हैं। इसी क्रम में...
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