'पश्चिमी देशों के नायक और अपने देश के खलनायक' सोवियत संघ के आखिरी राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव के लिए यह शब्द एकदम सटीक बैठते...
"अजी हम तो देसी हैं, हम चाय पीते हैं", इस वाक्यांश को आपने कई-कई बार सुना होगा, कभी न कभी स्वयं भी दोहराया...
किसी भी बच्चे के संदर्भ में किशोरावस्था को जीवन का सबसे अस्थिर हिस्सा माना जाता है। दुर्भाग्य से यह ठीक वही उम्र है...
देश की अदालतों में भी एक एलीट मानसिकता का वास है। इसके कारण आम आदमी की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दबी पड़ी रहती...
यह तो हम सभी जानते हैं कि कुत्ता सबसे वफादार होता है, कुत्तों को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त भी माना जाता है।...
यह सबसे बड़ी नासमझी होती है कि आप अपने घर की सुरक्षा उसके हाथ में दे दो जो स्वयं आपके दुश्मनों के दयाभाव...
राज्य का जब विभाजन हुआ तो पांडवों को शासन करने के लिए इंद्रप्रस्थ दे दिया गया लेकिन इंद्रप्रस्थ अभी भी हस्तिनापुर के ही...
'गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा...' ये वो नारा है जो देश में इस्लामिक कट्टरता को सीधे तौर पर बढ़ावा...
जब उद्योगों का मशीनीकरण हो रहा था तब कई लोगों का मानना था कि यह मजदूर वर्ग को बेरोजगार कर देगा और उन्हें...
कभी-कभी सरल दिखने वाला खेल उतना भी सरल नहीं होता जितना वह प्रतीत होता है। कहानी में एक मजेदार ट्विस्ट ये आया है...
बलात्कार हमारे समाज में एक दंश की तरह है। बलात्कार तो बलात्कार होता है, चाहे वह किसी भी महिला के साथ हो और...
दवाईयों की आवश्यकता तो हम सभी को आए दिन पड़ती ही रहती है। कभी सिरदर्द हो रहा है तो दवाई चाहिए, कभी बुखार...
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