समीक्षा

गोर्बाचेव की कमजोर नीतियों और ‘घटिया नेतृत्व’ के कारण हुआ था USSR का विघटन, समझिए कैसे?

'पश्चिमी देशों के नायक और अपने देश के खलनायक' सोवियत संघ के आखिरी राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव के लिए यह शब्द एकदम सटीक बैठते...

पहले भारतीयों ने “चाय” को अस्वीकार कर दिया था, फिर ‘क्रूर पूंजीवाद’ ने सबकुछ बदल दिया

"अजी हम तो देसी हैं, हम चाय पीते हैं", इस वाक्यांश को आपने कई-कई बार सुना होगा, कभी न कभी स्वयं भी दोहराया...

आत्महत्याएं, हत्याएं, स्वच्छंद किशोर और लापरवाह माता-पिता : भारत एक व्यवहारिक संकट के दौर से गुजर रहा है

किसी भी बच्चे के संदर्भ में किशोरावस्था को जीवन का सबसे अस्थिर हिस्सा माना जाता है। दुर्भाग्य से यह ठीक वही उम्र है...

सीजेआई के पिता संग हुई घटना ने साबित किया कि SC में सिर्फ ‘फेस वैल्यू’ को ही तवज्जो मिलती है

देश की अदालतों में भी एक एलीट मानसिकता का वास है। इसके कारण आम आदमी की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दबी पड़ी रहती...

अगर आपको मोदी जी का नया श्वान अच्छा लगा, तो ये देसी श्वान भी जबरदस्त लगेंगे

यह तो हम सभी जानते हैं कि कुत्ता सबसे वफादार होता है, कुत्तों को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त भी माना जाता है।...

‘कॉलोनी’ की धारणा पश्चिमी है लेकिन ‘जागीरदार राज्य’ पूर्णत: हिंदू है

राज्य का जब विभाजन हुआ तो पांडवों को शासन करने के लिए इंद्रप्रस्थ दे दिया गया लेकिन इंद्रप्रस्थ अभी भी हस्तिनापुर के ही...

कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद से लेकर बांग्लादेश तक: अपने बच्चों में हिंदुओं के विरुद्ध विष भर रहे हैं इस्लामिस्ट

'गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा...' ये वो नारा है जो देश में इस्लामिक कट्टरता को सीधे तौर पर बढ़ावा...

आखिर क्यों खुली दवाई बेचने में केमिस्ट कर रहे हैं आनाकानी और यह क्यों है चिंताजनक?

दवाईयों की आवश्यकता तो हम सभी को आए दिन पड़ती ही रहती है। कभी सिरदर्द हो रहा है तो दवाई चाहिए, कभी बुखार...

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