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खुशहाली, विवाद, राज हत्या और प्रेत आत्माएं: ‘शनिवार वाड़ा’ का इतिहास

“काका, म्हाला वाचवा!” एक बालक प्रांगण में इधर से उधर दौड़ते हुए चिल्ला रहा था पर उसकी पुकार एक व्यक्ति देखकर भी अनसुनी...

जो पूरे राष्ट्र को नमक खिलाते हैं, उनकी स्थिति कैसी है, अगरिया समुदाय की अनकही कहानी

जैसे मछली जल के बिना और मनुष्य वायु के बिना अधूरा है वैसे ही भोजन नमक बिना अधूरा है। इस नमक के उत्पत्ति...

गुमनायक नायक: बंगाल के वे क्रांतिकारी जो मुख से नहीं बल्कि बंदूकों से जवाब देते थे

बंगाल का पतन हो चुका है! बंगाल किसी योग्य नहीं! बंगाल की संस्कृति विनाश की ओर अग्रसर है! बंगाल में अब पहले जैसे...

फिरोज़ाबाद चूड़ी उद्योग के पीछे जो स्याह अंधेरा है, उसे समझना आवश्यक है

दम घोंटू वातावरण, काले, संकरे मकान, रहने खाने को पर्याप्त सुविधा भी नहीं, नर्क भी जिसे देख अपनी परिभाषा बदल ले। कहने को...

गुमनाम नायक: रासबिहारी बसु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ‘गॉड फादर’

“मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक!” कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा...

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