वह केस जिसने सावरकर के जीवन को सदैव के लिए बदल दिया!
वर्ष था 1920। असहयोग आंदोलन जोर पकड़ रहा था। अंग्रेज़ भारतीयों के इस बढ़ते रोष से आश्चर्यचकित थे। ऐसे में उन्होंने अपनी “क्रोधित प्रजा” को शांत कराने के लिए कुछ सुधारों की घोषणा की, परंतु जनता के कानों पर ...