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आसमान का सीना चीर के आ गए, धरती की छाती फाड़ के आ गए – मेरे बब्बर-मसूद आ गए

मित्रों, राजनीति और नौटंकी का चोली दामन का साथ है। अजी यह न हो, तो जैसे दाल में नमक नहीं, गाड़ी में पेट्रोल नहीं, या यूं कहें, राजनीति में जान नहीं। पिछले पाँच छह सालों से राजनीति ने अनुसरण ...

उत्तर प्रदेश चुनाव 2017: किसमे कितना है दम ?

जैसा मैं हमेशा से कहता हूँ उलझा हुआ उत्तर प्रदेश, इतना उलझा कि बड़े-बड़े चुनावी विश्लेषकों को यहाँ के मतदाताओं का मूड समझ में नहीं आता। उत्तर प्रदेश सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती रहा है, चाहे वो राष्ट्रीय ...

भाजपा का कैबिनेट विस्तार क्यों इस पार्टी की नींदें उड़ा रहा है?

स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अपेक्षा एक कम महत्वपूर्ण मंत्रालय कपडा मंत्रालय भेजना इस हफ्ते की बड़ी घटनाओं में से एक थी, जब ५ जुलाई को मोदी सरकार ने बड़े राजनैतिक उलटफेर करते हुए 19 नए ...

चीन का एनएसजी विरोध, मोदी का पलटवार

  हमारे देश में चाइनीज़ सामान काफी सस्ते दामों में गली, मुह्हलों और बाज़ारों में मिलता है, मतलब कि बहुत प्रसिद्ध है ये हमारे देश में। मगर आजकल वो देश जहां से ये सारा सामान आता है यानि चीन, ...

केजरीवाल: राजनीति के आइटम गर्ल/ब्वाय

बालकाल की तीन प्रमुख प्रवृतियाँ होती हैं। बवाली प्रवृति, सवाली प्रवृति और कव्वाली प्रवृति । बचपन में हरेक बालक में इन तीनो में से एक न एक प्रवृतियाँ अवश्यमभावी रूप से पायी जाती हैं। अरविन्द केजरीवाल के अल्प राजनितिक ...

तो क्या खत्म हो जायेगी रेल बजट की परम्परा ?

यह लगभग तय माना जा सकता है कि अगले साल से संसद के बजट सत्र में रेल बजट का कोई नमो-निशान ही ना रह जाए। जैसा की पिछले कई वर्षो से चली आ रही चर्चाओं पे गौर करें तो ...

पतंजलि आयुर्वेद: सारे बिज़नस गुरु एक तरफ, रामदेव एक तरफ

Patanjali Ayurved – A 5500 Crore Business Empire एक कहावत आप लोगों ने जरूर सुनी होगी कि "घर का जोगी जोगना, दूर गाँव का सिद्ध" मतलब यह कि अपने घर का गुणी आदमी भी निर्गुण व व्यर्थ प्रतीत होता ...

कोहिनूर तो कभी लूटा ही नहीं गया, फिर हंगामा क्यूँ?

Kohinoor: भारत सरकार ने अपने हलफनामे में कोहिनूर को ब्रितानिया हुकूमत को बतौर तोहफा दिए जाने का ज़िक्र क्या किया, सभी सेक्युलर जमात वालो को अपनी भारतीय अस्मिता का एहसास हो उठा, जिसका ह्रास अंग्रेज़ो ने किया था। पिछले ...

आप Indian हैं, Hindu हैं या फिर Indian Hindu हैं?

Indian, Hindu या फिर Indian Hindu - ‘देश और धर्म में भिन्नता’ एक छलावा राजस्थान की पूण्य भूमि पर एक वीर सपूत जन्मा था। नाम था राजा कान्हड़ देव (जालोर, राजस्थान)। सन 1297 की बात है अलाउद्दीन ख़िलजी ने ...

ना तो कोई ‘वाद’ था ना ही कोई ‘पंथ’ भगत सिंह का

कम उम्र में साहित्यिक प्रबुद्धता व दर्शनशास्त्र की जिज्ञासा भगत सिंह के बहुआयामी व्यक्तित्व का एक हिस्सा मात्र है। भगत सिंह का झुकाव किस विचारधारा की ओर था?, ये सवाल उनकी वज्र के समान हौंसले, वीरता और निष्काम देशप्रेम ...

मदर टेरेसा – एक असंत को कैसे लिबरलों ने संत बना दिया!

कल की प्रमुख खबरों में से 1 थी की मदर टेरेसा को संत मान लिया गया हैं और सितम्बर महीने में उनको पोप संत की आधिकारिक पदवी देंगे। संत घोषित होने के लिए किसी भी नन या पादरी या ...

जब तक माल्या है, तब तक मार्क्स और मार्क्सवाद है

एक 14 वर्ष के चरवाहे लड़के ने जब अपने पिता से पूछा कि पिता जी ये बारिश क्यों और कैसे होती है? तो पिता ने वैज्ञानिक कारण का ज्ञान होते हुए भी उसे एक काल्पनिक कहानी बतानी बहतर समझी ...

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