'अली जिन्ना' के लिए खोज परिणाम

पाकिस्तान

अयोध्या में राम मंदिर के फैसले पर पाकिस्तान पीट रहा है छाती, जिन्नाह भी याद आने लगे

अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फ़ैसला सुना दिया है। विवादित ज़मीन रामलला विराज़मान के हिस्से आई है। अपने फ़ैसले में कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ ज़मीन अलग जगह देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने अनुच्छेद ...

जिन्ना एएमयू तस्वीर

एएमयू में बंटवारे के खलनायक जिन्ना की तस्वीर पर मचा बवाल

एक ऐसी तस्वीर जो सौ शब्दों के बराबर है और बिना कहे ही बहुत कुछ कहती है। कुछ ऐसा ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हो रहा है। दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है। व्यक्तिगत और पेशेवर क्षमता ...

जिन्ना सियार ओवैसी

ओवैसी को समझना है तो जिन्ना को समझिये और समझिये रंगे सियार की कहानी को

एक बार की बात है कि एक सियार जंगल में एक पुराने पेड़ के नीचे खड़ा था। पूरा पेड़ हवा के तेज झोंके से गिर पड़ा। सियार उसकी चपेट में आ गया और बुरी तरह घायल हो गया। वह किसी तरह घिसटता–घिसटता अपनी मांद तक पहुंचा। कई दिन बाद वह ...

बहुत कठिन है दानिश कनेरिया होना!

बहुत कठिन है दानिश कनेरिया होना!

वर्ष था 2019, और माह था दिसंबर! अचानक एक खुलासे ने क्रिकेटिंग जगत को जड़ से हिला दिया था, जब पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर ने बताया कि कैसे टीम में धार्मिक आधार पर भेदभाव होता था। इस रहस्योद्घाटन में शोएब ने विशेष रूप से दो क्रिकेट प्रतिभाओं, दानिश ...

क्रिकेट विश्व कप बना धर्मान्तरण का नया अड्डा!

क्रिकेट विश्व कप बना धर्मान्तरण का नया अड्डा!

अगर आपको लगता है कि 2022 फीफा विश्व कप इस बात का मास्टरक्लास है कि कैसे किसी खेल महाकुम्भ को आयोजित न किया जाए, तो क्रिकेट वालों ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए सोचा: हमसे बुरा प्रबंधन कोई कैसे कर सकता है भला?  कहने को आज आईसीसी क्रिकेट ...

जब हिमन्ता हो साथ तो चिंता की क्या बात?

जब हिमन्ता हो साथ तो चिंता की क्या बात?

इसमें कोई रहस्य नहीं कि कांग्रेस के हमारे भाई बंधु प्रधानमंत्री मोदी के प्रति काफी आकृष्ट हैं। जो तत्परता राहुल को किरण के लिए, राजकुमारी सूर्यलेखा को सूर्यवंशी के लिए या मनोज मुंतशिर को उर्दू के लिए नहीं होंगी, उससे कहीं अधिक कांग्रेस पीएम मोदी के प्रति मोहित है। यह ...

कनाडा के खालिस्तानी नेता ने सारी सीमाएं पार कर दी हैं

कनाडा के खालिस्तानी नेता ने सारी सीमाएं पार कर दी हैं

भारत का विभाजन करने का षडयंत्र सर्वप्रथम मौहम्मद अली जिन्ना ने किया था। जिसमें जिन्ना को सफलता प्राप्त हुई। जिन्ना ने पाकिस्तान के रुप में एक इस्लामिक राष्ट्र बनाया। जिन्ना से प्रेरणा लेकर दूसरा सबसे बड़ा षडयंत्र रचा गया सिख धर्म को आधार बनाकर खालिस्तान को बनाने का। जो वर्तमान ...

समुद्री दस्यु, दहेज, और वाडिया समूह की उत्पत्ति

समुद्री दस्यु, दहेज, और वाडिया समूह की उत्पत्ति

वाडिया समूह: आज भारत में उद्यमिता की स्थिति पहले से बेहतर है। अनेकों कंपनियां एक भीषण प्रतिस्पर्धा में सम्मिलित है, परंतु जिनका प्रभाव सबसे अधिक है भारतीय उद्योग पर, वह है धीरुभाई अंबानी का रिलायंस समूह , और गौतम अडानी का अडानी समूह। आप चाहें इनका समर्थन करे या विरोध, ...

भगत सिंह वीर सावरकर

सावरकर के प्रति HSRA की रुचि की अनकही कही कथा

कुछ समय पूर्व एक ‘महापुरुष’ ने अपने कर्मों का बचाव करते हुए कहा था, “देखिए जी, हम सावरकर की औलादें नहीं है, हम भगत सिंह के वंशज हैं। हम आखिरी सांस तक अत्याचार के विरुद्ध लड़ेंगे” बोलने में क्या जाता है, बोलने को ये भी बोल दो कि इंकलाब ज़िन्दाबाद ...

चंद्रशेखर आज़ाद

3 अभियुक्त, 1 उद्देश्य: किसने चंद्रशेखर आजाद के साथ विश्वासघात किया?

“दुश्मन की गोलियों का सामना करेंगे, आजाद ही रहें हैं, और आजाद ही रहेंगे!” चंद्रशेखर आजाद एक ऐसा नाम जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का उतना ही अभिन्न अंग है जितना सरदार पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह इत्यादि। 27 फरवरी 1931 को केवल 24 वर्ष की आयु में इन्होंने मातृभूमि ...

एम एस गोलवलकर

The Guruji Effect: एम एस गोलवलकर वह व्यक्ति जिनके कारण RSS अपने वर्तमान स्वरूप में विद्यमान है

किसी वस्तु या संस्थान का प्रारंभ करना एक बात है परंतु उसे आगे बढ़ाना और उसकी सशक्त नींव स्थापित करना बिल्कुल ही अलग। आज RSS जैसी भी हो, आपके जो भी विचार हों, परंतु आप इस बात को बिल्कुल भी अनदेखा नहीं कर सकते कि यह संस्थान हमारे इतिहास का ...

Yashpal – The snake wrapped around the sandalwood of Kranti

क्रांति के चंदन में लिपटे हुए भुजंग की तरह थे यशपाल

“विश्वासघात की सबसे बुरी बात क्या है? वो शत्रु नहीं देते!” द गॉडफादर शृंखला में ये संवाद आज भी कई लोगों के मन मस्तिष्क में बैठ चुका है। इसका अर्थ स्पष्ट है और दुर्भाग्य की बात तो यह है कि ऐसे विश्वासघाती लोगों को न केवल सम्मान दिया गया, अपितु ...

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