जब मुस्लिम लेखकों ने ‘सेक्युलर’ प्रेमचंद का उर्दू में लिखना बंद करा दिया
कार्ल मार्क्स ने किसी जमाने में कहा था कि “धर्म जनमानस के लिए अफीम समान है।” अब पता नहीं वो कौन सा अफीम खुद चाट कर बैठे थे परंतु विश्वास मानिए, आज के वोकवाद और सेक्युलरिज़्म से कम घातक ...