आपने “पान सिंह तोमर” फिल्म का वो दृश्य देखा ही होगा, जहां इरफान खान के किरदार को रिटायरमेंट के उपहार के रूप में आइसक्रीम मिलती है, और अपने प्रथम टेस्ट को स्मरण कर इरफान उस उपहार के महत्व से अभिभूत हो जाता है। ऐसे तो इन्होंने कई सम्मान प्राप्त हुए, परंतु ये सम्मान कुछ अलग था। अब इंदौर में जो हुआ है, उसने “द केरल स्टोरी” के रचनाकारों को कुछ ऐसा ही सम्मान दिलाया है।
इस लेख में पढिये कैसे “द केरल स्टोरी” ने एक हिन्दू लड़की को ऐसे सच्चाई से अवगत कराया, कि उसने अपने बॉयफ्रेंड मियां पर ही केस ठोंक दिया।
इंदौर में हुई “जागृति”
अक्सर जब भी कुछ गलत होता है, और इसमें अप्रत्यक्ष रूप से कुछ भी फिल्मों से प्रेरित पाया जाता है, सब एक साथ बोल पड़ते हैं, “अरे ये तो फिल्मों की देन है!” परंतु जब कुछ सकारात्मक घटता है, जो समाज को बदलने के लिए प्रभावी हो, तो उसे वैसे ही अनदेखा किया जाता है, जैसे आईपीएल में शिष्टाचार को, और राजनीति में आदर्शवाद को।
ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में इंदौर में एक हिन्दू लड़की ने “द केरल स्टोरी” के संदेश को ऐसा आत्मसात किया कि उसने अपने मुस्लिम प्रेमी की “वास्तविकता” समझते हुए उसी पर केस ठोंक दिया। कहते हैं कि फैजान खान [आरोपी] वही पद्वति अपनाता था, जो फिल्म में दिखाया गया।
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परंतु बात केवल इंदौर तक सीमित नहीं है। गुजरात के भरुच में ‘द केरल स्टोरी’ देखने के बाद एक अन्य हिन्दू लड़की ने हिंदू होने का नाटक करने वाले अतीक सैयद के साथ अपने रिश्ते को खत्म कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, भरुच स्टेशन इलाके में रहने वाले अतीक सैयद नाम के मुस्लिम युवक ने शक्तिनाथ इलाके में रहने वाली हिंदू लड़की के साथ साल भर पहले शादी रजिस्टर्ड कराई थी।
https://twitter.com/AshwiniSahaya/status/1660941062574071808
कहीं इसीलिए तो
इंदौर वाले केस की भांति यहाँ भी उधर हिन्दू लड़की का कहना है कि फिल्म द केरला स्टोरी देखने के बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अतीक के साथ रहने से साफ इनकार कर दिया। लेकिन, अतीक लड़की पर साथ रखने का दबाव बना रहा है। लड़की ने अपने माता-पिता के सामने स्वीकार किया कि उससे भूल हो गई थी।
हिंदू लड़की ने अपने माता-पिता को जानकारी दी कि किस तरह अतीक ने उसे बहलाया फुसलाया और शादी रजिस्टर करवा लिया। लड़की ने इस परेशानी से निकलने के लिए अपने माता-पिता से मदद माँगी है।
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अब अगर इंदौर और भरूच में ये परिवर्तन हुआ है, तो सोचिए अन्य राज्यों में क्या प्रभाव पड़ा होगा? ये भी सुने है कि बंगाल से कई सिनेमा प्रेमी इस फिल्म को देखने हेतु अपने राज्य को पार कर असम में फिल्म देखने गए थे। कहीं इसी परिवर्तन के पीछे तो नहीं कुछ लोग इसे प्रतिबंधित करने को लालायित थे?
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