प्रिय अश्विनी वैष्णव जी, डेटा लोकलाइजेशन का समय पहले निकल चुका है परंतु देर अब भी नहीं हुई है
प्राइवेसी की अवधारणा आजकल भारत के अंदर काफ़ी प्रचलित हो चुकी है, हर कोई अपने से जुड़े व्यक्तिगत डेटा के प्रति काफ़ी सजग है। सो कॉल्ड इलीट क्लास से लेकर एक गरीब व्यक्ति तक, व्यक्तिगत डेटा हर किसी के ...