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ब्लूमबर्ग ने सुझाया है कि मेक इन इंडिया के कारण भारत सैन्य रूप से कमजोर हुआ है, हम चुपचाप इस प्रचार को ध्वस्त करते हैं

प्रोपेगेंडा बोले तो ब्लूमबर्ग और ब्लूमबर्ग बोले तो प्रोपेगेंडा। जी हां, ब्लूमबर्ग टेलीविज़न एक अमेरिकी-आधारित पेड टेलीविज़न नेटवर्क है जिसको बस पैसा फेंक और तमाशा देख वाला स्त्रोत माना जाता है। प्रोपेगेंडा भी ऐसा-वैसा नहीं बिलकुल कहीं का ईंट ...

न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत को अनिच्छा से स्वीकार किया

सही ही कहा गया है कि सच लाख छुपाने से भी नहीं छुप सकता। भले ही भारी मन के साथ ही क्यों न लेकिन आपको एक न एक दिन इसे स्वीकार करना ही पड़ता है। जो वामपंथी मीडिया भारत ...

‘बेंगलुरु बाढ़’ पर बवाल मचाने वाले ही उसकी इस हालत के लिए जिम्मेदार हैं

मनुष्य ने जब जब अपने विकास के क्रम में प्रकृति पर नियंत्रण करने कि कोशिश की है, तब तब प्रकृति ने लताड़ लगाते हुए उसे उसकी असली जगह दिखायी है. ऐसे तमाम उदाहरण आपको मिल जायेंगे जहां मनुष्य ने ...

जो बाइडेन के सौजन्य से अमेरिकी F-16 पर पाकिस्तान का हाथ और मजबूत होगा

वो बंदर के हाथ में चाकू देने वाली कहावत है न कि बंदर के हाथ में चाकू देना अर्थात अपनी ही मृत्यु को आमंत्रित करना। कुछ ऐसा ही अमेरिका ने अब किया है जहां उसने बंदर की प्रतिमूर्ति पाकिस्तान ...

आर्कटिक के जरिए पश्चिमी आधिपत्य को एकसाथ बेअसर करेंगे भारत और रूस

भारत एवं रूस दो ऐसे देश हैं जिसने सदैव एक दूसरे की मदद की है। मौजूदा समय में भी रूस के साथ भारत की दोस्ती एक नए आयाम के साथ आगे बढ़ रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ...

रमिंदर और देविंदर से लेकर अर्शजोत और गुरनूर तक: सिख नामों का बदल रहा है ट्रेंड

दुनियाभर में अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोग हैं। विश्व के सबसे प्रमुख धर्मों की बात करें तो ईसाई, बौद्ध, हिंदू, मुस्लिम के बाद सिख धर्म का नाम आता है। दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में से एक ...

अगर हमने पीएम के रूप में सोनिया गांधी का विरोध किया, तो हम ऋषि सुनक के UK के पीएम नहीं बनने से परेशान क्यों हैं?

भारत और भारतीयों के लिए बहुत आसान है प्रेम और स्नेह जताना। भारतीय शब्द जुड़ते ही भावनाएं प्रागाढ़ होना भारतीयों के मन में एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसको दूर करना असंभव ही है। कोई भी, कहीं भी शिखर पर ...

प्रिय अश्विनी वैष्णव जी, डेटा लोकलाइजेशन का समय पहले निकल चुका है परंतु देर अब भी नहीं हुई है

प्राइवेसी की अवधारणा आजकल भारत के अंदर काफ़ी प्रचलित हो चुकी है, हर कोई अपने से जुड़े व्यक्तिगत डेटा के प्रति काफ़ी सजग है। सो कॉल्ड इलीट क्लास से लेकर एक गरीब व्यक्ति तक, व्यक्तिगत डेटा हर किसी के ...

वामपंथियों के गुरुओं की गलतियां गिनाने लगीं कविता कृष्णन

वामपंथी कब किसके प्रति अपना व्यवहार बदल लें कहना मुश्किल है। कुछ ऐसा ही हाल भारत में वामपंथ का झंड़ा बुलंद करने वाली सीपीआई (एमएल) की चर्चित नेता रहीं कविता कृष्णन का है। वामपन्थियों का क्या है वो तो ...

ISRO: वैश्विक बाजार के लिए री-यूजेबल रॉकेट का निर्माण करने की ओर कदम बढ़ा चुका है भारत

तकनीकी सरलीकरण से ज़्यादा आज तकनीकी पुनर्प्रयोग पर ज़ोर देने का माहौल बन गया है। यह ज़रूरी भी है क्योंकि किसी भी आविष्कार के प्रयोग में अंततः लगने वाली आय आर्थिक संतुलन को डिगा देती है जब वो प्रयोग ...

Astraverse – Brahmastra का आधार ही बकवास और अपमानजनक है

Boycott Brahmastra: परंतु क्यों? क्या हम इतने मूर्ख हो गए हैं कि हम किसी भी वस्तु का निराधार बहिष्कार करेंगे? क्या हम बॉलीवुड के प्रति अपने विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि हम ब्रह्मास्त्र जैसी फिल्म को ...

वैश्विक मुद्दों पर दखल न देने वाली सोच को बदलना होगा, हमें इससे ऊपर उठने की जरुरत है- एस जयशंकर

मजबूत आवाजों की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देती हैं। वर्तमान समय में भारत के परिप्रेक्ष्य में यह बात एकदम सही और सटीक बैठती है। विश्व पटल पर भारत की आवाज लगातार बुलंद हो रही है। आज के समय ...

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