कभी ना भूलने वाले वो तीन दिन : आज भी मन सिहर जाता है 84 के हत्या कांड के मंजर को याद करके
हमारे देश में दंगे फसाद होना कोई नयी बात अन्हीं है। आज़ादी के पहले और आज़ादी के बाद भी भारत बहुत से दंगों का गवाह रहा है लेकिन एक ऐसा दंगा भी है जहां रक्षक ही भक्षक बन जाए ...