मानव जाति के इतिहास में सबसे मूर्ख चोर हैं ‘ज्ञानवापी चोर’
नकल के लिए अकल की आवश्यकता पड़ती है पर यहां तो नकल करने से पूर्व कब्ज़ा करने के लिए भी शांतिदूत अकल का प्रयोग नहीं करते हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के संदर्भ में यह कथन एकदम सटीक बैठता है। जिस ...
नकल के लिए अकल की आवश्यकता पड़ती है पर यहां तो नकल करने से पूर्व कब्ज़ा करने के लिए भी शांतिदूत अकल का प्रयोग नहीं करते हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के संदर्भ में यह कथन एकदम सटीक बैठता है। जिस ...
केरल में कभी भगवा नहीं लहराया है और ऐसा स्वतंत्रता के बाद से है। एक ऐसा राज्य जिसे जीतना शायद विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के लिए भी एक कल्पना मात्र है लेकिन पीएम मोदी की सरकार में कई ...
कट्टरता पालने वाले प्रेम की भाषा कैसे समझ पाएंगे, घर में नहीं हैं दाने और मदरसाछाप चले शिष्टता सिखाने। भारतीय संविधान सभी को एक समान अधिकार देता है, अपने मन मुताबिक रहने का, खाने का और अन्य सभी काम ...
वामपंथियों और रुबिका लियाकत का काफी समय से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। एबीपी न्यूज की वर्तमान एंकर अपने विचारों और अपने जीवनशैली दोनों के लिए काफी विवादों के घेरे में रही हैं। लेकिन हाल ही में उन्होंने फिर ...
मुग़ल कौन थे, क्या थे और कैसे थे यह हमारे देश में अभी भी विवाद का विषय बना हुआ है? यह विवाद अज्ञानता के कारण नहीं बल्कि तुष्टीकरण के कारण है। हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों को लगता है कि मुगलों ...
काली घटा का घमंड घटा, यह कथन CPI-M के परिप्रेक्ष्य में इन दिनों एकदम सटीक बैठती है। सीपीआईएम के विद्यार्थी समूह स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने संयुक्त रूप से छत्रपति शिवाजी ...
कौशल और षड्यंत्र में उतना ही अंतर होता है, जितना गेंदबाज़ी और चकिंग में होता है। क्रिकेट की बात करें, तो पाकिस्तान का रिकॉर्ड विशेषकर बॉलिंग में बड़ा ही आपत्तिजनक रहा है। ताज़ा मामला भी पाकिस्तानी गेंदबाज से ही ...
क्या आप जानते हैं? कौन थे द्विराष्ट्र सिद्धांत के प्रथम प्रतिपादक और सूत्रधार अल्लामा इकबाल या वीर सावरकर कट्टर मुस्लिम अल्लामा इकबाल को क्यों भारत में एक नायक के रूप में स्थापित करने का स्पष्ट प्रयास किया गया जब ...
क्या आप जानते हैं? गांधी का भारत आना ब्रितानी शासन के बढ़े ‘Deadline’ का उद्घोष था दक्षिण अफ्रीका में गांधी के आंदोलन या संघर्ष सिर्फ भारतीयों के लिए थे वे 'भारतीय' मुद्दों को इतनी चतुराई से उठाते थे कि ...
रोहिंग्या रिफ्यूजी संकट दिन प्रति दिन गम्भीर होते जा रहा है। संकट की घड़ी में, तमाम राष्ट्र भी रिफ्यूजी संकट पर बने तमाम पाखंडों को नकारकर राष्ट्रहित को पहले रख रहे हैं। तमाम राष्ट्र एक खास समुदाय के संकट ...
राहुल गांधी का सार्वजनिक बेइज्जती से, योगी आदित्यनाथ का वर्चस्व से और ममता बनर्जी का तानाशाही से एक अनोखा नाता है, जिसे शब्दों में अंकित नहीं किया जा सकता। लेकिन ऐसा ही एक नाता एक कलाकार का भी है, ...
21 वीं सदी की शुरुआत में लोकप्रिय रूप से मुख्य हिंदू राष्ट्रवादी बुद्धिजीवियों में शामिल अरुण शौरी को एक ऐसे लेखक और पत्रकार के रूप में जाना जाता है जिन्होंने हिन्दू इकोसिस्टम को बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। ...
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