अगर वामपंथियों के नैरेटिव से ‘करौली दंगा’ मेल खाता तो यह तस्वीर पुलित्जर पुरस्कार जीत जाती
कहा जाता है कि एक फोटो जो बात कह जाती है वह हजार शब्दों में भी नहीं कही जा सकती। आज के दौर में तस्वीर इतनी शक्तिशाली हो चुकी है कि उसका प्रयोग सत्य बताने और झूठ फैलाने, दोनों ...