रक्षा बजट को लेकर रवीश कुमार ने किया जनता को गुमराह
प्रहस्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्रदंष्ट्रान्तरात्, समुद्रमपि सन्तरेत्प्रचलदूर्मिमालाकुलम् । भुजङ्गमपि कोपितं शिरसि पुष्पवद्धारये न्न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत् ॥ (अगर हम चाहें तो मगरमच्छ के दांतों में फसे मोती को भी निकाल सकते हैं, साहस के बल पर हम बड़ी-बड़ी लहरों वाले समुद्र को भी पार कर ...