उर्दू पुस्तक को मिला “राष्ट्रभाषा सम्मान” : ये कहाँ आ गए हम?
भारत की विविधता से कोई भी अनभिज्ञ नहीं। यूं ही नहीं “दो कोस में बदले पानी चार कोस में बानी” इस देश की विविधता का परिचायक है। परंतु जब एक भाषा को दूसरों की तुलना में अधिक प्राथमिकता मिले, ...