दिल्ली भारत की राजधानी कब – कब बनी? – सम्पूर्ण इतिहास
इंद्रप्रस्थ जो एक समय पर पांडवों के राज्य की राजधानी थी जिसे आज दिल्ली के नाम से भी जाता है। दिल्ली का राजधानी का इतिहास अगर खंगालने जाये तो दिल्ली सात बार बसी और इतनी ही बार उजड़ी भी ...
इंद्रप्रस्थ जो एक समय पर पांडवों के राज्य की राजधानी थी जिसे आज दिल्ली के नाम से भी जाता है। दिल्ली का राजधानी का इतिहास अगर खंगालने जाये तो दिल्ली सात बार बसी और इतनी ही बार उजड़ी भी ...
बॉलीवुड के मौसमी देशभक्त- अक्षय कुमार, जो राष्ट्रवाद को बेचकर अपनी जेब भरने में विश्वास रखते हैं, वे फिर से विवादों में घिर गए हैं। कारण है एक विज्ञापन! विज्ञापन से कैसे स्टार्स पैसा और पब्लिसिटी दोनों कमाते हैं, ...
अक्षय कुमार – एक ऐसा नाम जिस पर तालियां भी बजती हैं, और गालियां भी समान रूप से पड़ती हैं। किसी के लिए वे खिलाड़ी कुमार हैं, तो किसी के लिए वे कैनेडियन कुमार के रूप में जाने जाते ...
जब ‘तान्हाजी’ का ट्रेलर रिलीज़ हुआ, तो कई लोग ट्रेलर में मुगलों के वास्तविक चित्रण को देख इतने बौखला गए कि उन्होंने ‘थैंक्स मुगल्स’ ट्विटर पर ट्रेंड करना शुरू कर दिया। इसमें उन्होंने विशेष रूप से बताया कि कैसे ...
भारत के इतिहास में 19वीं शताब्दी के आरंभ में अंग्रेजों की सर्वोच्चता के खिलाफ लड़ते हुए मराठों, गोरखाओं और मुगलों का पतन हुआ। जब यह सब हो रहा था, तब सिखों ने लाहौर में जबरदस्त ताकत हासिल की और ...
“राणा सांगा अपनी वीरता और तलवार के बल पर अत्यधिक शक्तिशाली हो गया है। वास्तव में उसका राज्य चित्तौड़ में था। मांडू के सुल्तानों के राज्य के पतन के कारण उसने बहुत-से स्थानों पर अधिकार जमा लिया। उसका मुल्क ...
अगर GOT देखी हो, तो आपको अंदाज़ा होगा कि सत्ता के लिए लोग किस स्तर तक जा सकते हैं, और कभी कभी साझी संस्कृति कोई मायने नहीं रखती। अपने भारत में भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां युगों पूर्व ...
“लाल किले से आई आवाज़, सहगल ढिल्लों शाहनवाज़, इनकी हो उमर दराज!” इस नारे ने मानो पूरे राष्ट्र में विद्रोह का ऐसा बिगुल फूंक दिया जिसका आभास किसी को स्वप्न में भी नहीं था। इसका प्रभाव ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लिमेंट ...
अभिनेत्री कंगना रनौत का विवादों से गहरा नाता रहा है, और इस बार भी मामला कोई अलग नहीं है । देश की स्वतंत्रता के विषय पर कंगना रनौत के अजीबो-गरीब बयान से उपजे विवाद के पश्चात उन्हें एक वयोवृद्ध ...
‘चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक’ कवि माखनलाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध कविता की यह पंक्तियाँ ...
©2024 TFI Media Private Limited