कभी सबसे महान नगर, आज बस एक साधारण शहर – कहानी कोलकाता के पतन की
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी, शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। -दुष्यंत कुमार कविवर दुष्यंत कुमार ने उक्त पंक्तिओं में ...