Tag: कांग्रेस

बघेल के छत्तीसगढ़ में एक प्रतिष्ठित व्यंग्यकार एवं कार्टूनिस्ट को उसकी कला के लिए हिरासत में लिया गया

एक बड़ा प्रसिद्ध विज्ञापन है, जिसका टैगलाइन है ‘एमपी गजब है, सबसे अजब है!” परंतु ये टैग कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ पर अधिक सुहाता ...

आपस में ही सिर फुटव्वल कर रहे हैं कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री,अब पार्टी का टूटना तय है!

आपका सबसे बड़ा शत्रु आपका कोई निकटतम व्यक्ति ही होता है, कांग्रेस पार्टी के संदर्भ में ये कथन एक एकदम सटीक बैठता है। ...

यूक्रेन से मौत के मुंह से निकाल लाई मोदी सरकार लेकिन ये छात्र भारत पर ही उठा रहे हैं सवाल!

जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। यूक्रेन से आ रहे भारतीयों में जहां एक ओर इस बात का संतोष है ...

आखिरकार तमिलनाडु में भगवा लहर की शुरुआत हो ही गई!

कुछ हफ्ते पहले, कांग्रेस पार्टी के राजकुमार राहुल गांधी ने संसद में कुछ बेबुनियाद दावा कर दिया था। पीआर प्रतिनिधियों की टीम द्वारा ...

पहली बार UP चुनाव में ‘0’ पर सिमट जाएगी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस!

सर मुंडवाते ही ओले पड़ना एक बहुत प्रचलित कहावत है, जिसका तात्पर्य है कि काम शूरू करते ही बाधाएं आना। मौजूदा समय में ...

“मैं एक हिस्सेदार हूं, किरायेदार नहीं”, मनीष तिवारी ने कांग्रेस की खटिया खड़ी कर दी

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आखिरी सांस ले रही है। पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता पार्टी छोड़ चुके ...

महाराणा प्रताप पर राजस्थान कांग्रेस की टिप्पणी उनके ताबूत में आखिरी कील साबित होगी!

कुछ नेताओं को लज्जा का अनुभव नहीं होता, वे निर्लज्ज होते हैं। उन्हें अपने निकृष्ट कथनी और करनी पर ग्लानि भी नहीं होती। ...

चन्नी ने पंजाब में यूपी और बिहार के लोगों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की और प्रियंका ने इसे मंजूरी भी दे दी

आज़ादी के समय देश ने कई विभाजनकर्ता देखे, लेकिन आज के मौजूदा परिदृश्य में भी कुछ ऐसे विभाजनकर्ता हैं जो देश को बांटने ...

भारतीय शादियों के ‘फूफा जी’ के समान हो गई है नवजोत सिंह सिद्धू की स्थिति!

पंजाब विधानसभा चुनाव HBO के धारावाहिक गेम ऑफ थ्रोन्स की तरह मजेदार हो गया है। इसमें सबसे हास्यास्पद कांग्रेस पार्टी की स्थिति है, ...

तेलंगाना में अपनी राजनीतिक साख खो रहे हैं KCR और उसके कुछ शुरुआती संकेत यहां हैं

भारत लोकतांत्रिक परिप्रेक्ष में दुनिया के अन्य देशों से काफी मजबूत है। चुनाव इस लोकतंत्र का आधार है। चुनाव के बाद केंद्र में ...

मौसमी सिंह कभी बरखा दत्त और अंजना नहीं बन सकती, लेकिन ये हैं कि मानती ही नहीं!

पत्रकारिता क्या है? आप कहेंगे लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ तथा समाज और शासन को दर्पण दिखाने का एक माध्यम। पर, यह सब एक ...

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