Tag: दक्षिण कन्नड़ संस्कृति

दक्षिण कन्नड़ की संस्कृति अद्वितीय है और ‘कांतारा’ ने इसमें चार चांद लगा दिए हैं

“वराह रूपं, दैव वरिष्टम वराह रूपं, दैव वरिष्टम!” अगर यह संवाद नहीं सुने है, तो आप हैं किस लोक में? कांतारा ने जनमानस ...