Tag: लता मंगेशकर

यूँ ही नहीं भाजपा ने चुना रामलीला मैदान – ‘सिंहासन खाली करो’ से लेकर ‘मैं हूँ आम आदमी’ और ‘आप-दा हटाओ’ तक, इस ऐतिहासिक मैदान ने लिखी है सत्ता के उत्थान-पतन की कहानी!

दिल्ली (Delhi) में 27 साल बाद भाजपा की सत्ता में वापसी किसी साधारण राजनीतिक बदलाव से कहीं अधिक है—यह बदलते राजनीतिक परिदृश्य का ...

‘गायिकी से भी हो सकती है देशसेवा’: जब पशोपेश में फँसीं लता मंगेशकर को वीर सावरकर ने दिखाई राह

शनिवार (28 सितंबर, 2024) को, भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 95वीं जयंती मनाई जा रही है। संगीत की दुनिया में उनका ...

आपत्तिजनक सामग्री को प्रस्तुत करने वाले कॉमेडियन का समर्थन करने के बाद से ही कोटक बैंक निशाने पर है

Kotak Mahindra Bank Ad campaign: कभी कभी आपका एक गलत कदम या प्रयोग आपकी समस्त अच्छाईयों को ढक लेता है। आप हृदय के ...

भारत को बेहतरीन गीत देने वाले मदन मोहन कोहली की वास्तविक कहानी जानते हैं आप?

“दो पल रुका, ख्वाबों का कारवां, और फिर चल दिए, तुम कहां हम कहां”, ये बोल सुनकर कौन विश्वास करेगा कि एक समय ...

भारत के वास्तविक ‘सुर सम्राट’- न वो इलैयाराजा थे न एमएम कीरावाणी और एआर रहमान तो बिल्कुल भी नहीं

संगीत और भारत का एक बहुत पवित्र नाता रहा है। हमारे सबसे पवित्र ग्रंथों में से माने जाने वेदों में से एक पूरा ...

लता मंगेशकर और किशोर कुमार को सितारे की तरह चमकाने वाले खेमचंद प्रकाश को कितना जानते हैं आप

“गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है” ये बात ऐसे व्यक्तियों के लिए लागू होती हैं, जो निरंतर रत्नों को खोजने ...

ऋषिकेश मुखर्जी: फिल्मकार जो सरल लेकिन ऐसी फिल्में बनाता था जिन्हें पीढ़ियां याद रखें

‘गोलमाल है भई सब गोलमाल है, सीधे रास्ते की एक टेढ़ी चाल है, गोलमाल है भई सब गोलमाल है!” कुछ स्मरण हुआ? एक ...

महाविकास अघाड़ी गठबंधन नहीं चाहती है शिवाजी पार्क में सुर कोकिला लता मंगेशकर की प्रतिमा

महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना राज्य के प्रतीकों और महान हस्तियों की चिंता करने का पाखंड करती है। हाल ही में, भारत की सुर ...

‘सुर साम्राज्ञी’ लता मंगेशकर- जिन्होंने अपने बुनियादी मूल्यों से कभी भी समझौता नहीं किया

दुर्भाग्य है हमारा कि अब हमें लता मंगेशकर का मधुर स्वर फिर कभी सुनने को नहीं मिलेगा. जिनके मिश्री सी मधुर ध्वनि से ...

लता मंगेशकर घृणा से भरे फिल्म उद्योग में आगे भी बढीं और वीर सावरकर का गुणगान भी किया

‘नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज़ ही पहचान है’ ‘अजीब दास्तान है यह, कहाँ शुरू कहाँ खत्म, यह मंज़िलें हैं ...

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