भुवनेश्वर। उत्तर में महानदी, दक्षिण में दया और पश्चिम में कुआखाइ नदी से घिरा हुआ शहर। काफी शांत और धार्मिक जगह है, साथ ही में शिक्षण संस्थानों का भी गढ़ है भुवनेश्वर। आप अगर भुवनेश्वर गए हुए हैं तो ये बात भली-भांति जानते होंगे की इस शहर की लाइफलाइन बाहर से आने वाले विद्यार्थी ही हैं जो यहाँ के केआइआईटी जैसे उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। राजनीतिक रूप से कोई ख़ास स्थान नहीं रखने के कारण मीडिया में ज्यादा दिखता भी नहीं है। मगर शनिवार से मीडिया का ध्यान इसकी ओर आकर्षित हुआ है और जैसा की हमारा मीडिया है उससे ये साफ़ जाहिर है की आकर्षण की कोई अच्छी वजह तो नहीं ही होगी।
दरअसल, ये मामला जुड़ा हुआ है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी ( एनआईएफटी ) से, जो की भारत सरकार के टेक्सटाइल मंत्रालय के अंदर आता है और हमारी तेज-तर्रार मीडिया को जहाँ भी मोदी सरकार का कोई कनेक्शन दिखाई देता है वो यहाँ बिना किसी वाजिब जानकारी के घुस आता है। अगर मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो शनिवार तड़के 2बजे एनआईएफटी छात्रावास की ओर जा रही लड़की का बलात्कार हो गया और इसी के विरोध में केआइआईटी के छात्र-छात्राओं ने सड़क जाम करके के विरोध प्रदर्शन किया। यहाँ ये भी बताना जरुरी है की भुवनेश्वर के पाटिया इलाके में स्थित केआइआईटी कैंपस के अंदर ही एनआईएफटी भी है है।
विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं का कहना है की उक्त लड़की के साथ बलात्कार हुआ था मगर केआइआईटी कैंपस में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसकी मदद नहीं की हालांकि भुवनेश्वर पुलिस ने अपनी शुरूआती जांच में ही बलात्कार की किसी भी घटना से इनकार कर दिया।
अब ये तो मीडिया रिपोर्ट है एनडीटीवी और टीओआई जिसमें सारा जोर इसी बात पे है की रेप हुआ है, कैसे हुआ, किसका हुआ, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है इनके पास। अब अगर इस घटना की तह तक जाने की कोशिश में कुछ सूत्रों से बात हुई और उन्होंने जो कहानी सुनाई उसका मीडिया रिपोर्ट्स से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था, बिल्कुल ही अलग कहानी थी।
उनके कथन के मुताबिक, उक्त लड़की ने इसी वर्ष संस्थान में मास्टर्स के लिए दाखिला लिया था । घटना वाली रात को वह किसी परेशानी में थी और बदहवासी में उसने हॉस्टल से भागने का प्रयास किया। उसको हॉस्टल से निकलते हुए वार्डन ने देख लिया और तुरंत ही गेट पे मौजूद गॉर्ड को इसकी सुचना दी लेकिन तबतक वह लड़की गेट फांद कर केआइआईटी कैंपस में पहुँच गयी, पीछे से उसे पकड़ने के लिए दो महिला गार्ड और एक पुरुष गार्ड दौड़े मगर लड़की उन्हें अपनी ओर आता देख कर पकड़े जाने की घबराहट में केआइआईटी हॉस्टल के तरफ ‘हेल्प मी, हेल्प मी’ चिल्लाते हुए भागने लगी। केआइआईटी हॉस्टल गेट के पास पहुँच कर उसने वहां मौजूद गार्ड से मदद की गुहार लगाई मगर गार्ड ने उससे यह कह दिया की ‘ तुम तो निफ्ट की छात्रा हो, मैं तुम्हारी मदद क्यों करूँ?’
ये सारा घटनाचक्र कुछ केआइआईटी छात्र-छात्राओं ने देखा और उन्हें लगा की उक्त लड़की को परेशान किया जा रहा है, इसी ग़लतफहमी में वो लोग अगले दिन सड़कों पे उतर आये और विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। अगर ये विरोध सड़कों तक रहता तो भी ठीक था लेकिन ये निफ्ट कैंपस में भी घुस आये और वहां काफी उत्पात मचाया और तोड़-फोड़ भी की। अगर लड़कियों की माने तो ये छात्र हॉस्टल परिसर में भी घुस गए और निफ्ट की लड़कियों को भी प्रदर्शन में शामिल होने को कहा, इनमे से लगभग सबके हाथ में लोहे की रॉड और बेल्ट थे लेकिन इन्होंने किसी भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुँचाया। भुवनेश्वर पुलिस ने तुरंत मौके के पहुंच कर लाठीचार्ज करके सबको तितर-बितर कर दिया।
अब इन दोनों वर्णन में से कौन सा वाला सही है इसका फैसला आपके बुद्धि-विवेक पे निर्भर करता है परन्तु मेरे दिमाग में कुछ सवाल हैं और मैं चाहूंगा की आप अपना फैसला इन सवालों के आधार पे करें। सवाल कुछ इस प्रकार हैं, क्या किसी मीडिया नेटवर्क ने निफ्ट छात्रावास की छात्राओं से संपर्क करने और उनका पक्ष जानने की कोशिश की? क्या किसी मीडिया घराने ने लड़की और उसके परिवार वालों से संपर्क किया ?
अगर केआइआईटी के आरोपों पे विश्वास कर भी लें तो यह सवाल उठता है की अमूमन छात्रावासों में एंट्री सिर्फ 10बजे तक ही मिलती है तो फिर पीड़ित लड़की 2बजे बाहर क्या कर रही थी ? खैर, आपका जवाब कुछ भी ही हो इस पुरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा नुकसान निफ्ट हॉस्टल में रह रहीं छात्राओं को हुआ है, अभी हाल ही मैं नया सत्र शुरू हुआ है तो काफी नईं छात्राओं ने भी कॉलेज में प्रवेश लिया है और इन सबका सबसे अधिक प्रभाव उनपर ही पर रहा है क्योंकि उनमे से लगभग सभी के लिए ये पहला मौका है की वो अपने घर-परिवार से दूर शिक्षा ग्रहण करने के लिए आई हैं।
संस्थान से सुरक्षा के नजरिये से छात्राओं के बाहर आने जाने के समय को सिमित कर दिया है तथा किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पे रोक लगा दी है। मीडिया की इस नेगेटिव रिपोर्टिंग का असर परिवार वालों पे भी पड़ा है और वो भी पुरे घटनाक्रम को लेकर काफी चिंतित हैं।
http://odishasuntimes.com/2016/08/06/misbehaviour-with-nift-college-girl-students-block-road-in-odisha-capital/