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यूँ पकड़ा गया यासीन भटकल, उपेक्षित रहे उसे पकड़ने वाले जांबाज़

Arif Mohammad द्वारा Arif Mohammad
27 December 2016
in मत
यासीन भटकल
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यह लेख पी॰आर॰रमेश के लेख “Thankless India” पर आधारित है।

Link:-http://www.openthemagazine.com/article/india/thankless-india

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13 अगस्त 2013 को एक मीटिंग चल रही थी, SOG याने की स्पेशल ऑपरेशन ग्रूप्स की बिहार यूनिट और IB के joint director के बीच। IB के रैंक के हिसाब से ये तीसरा सबसे बड़ा पद है IB का।

सबसे ऊपर होते है Director Intelligence Bureau,उसके बाद होते है Special directors,उसके बाद Additional directors होते है और उसके बाद होते है Joint director। यह मीटिंग बोध गया ब्लास्ट के बाद चल रही थी जिसमें इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने के सबूत सामने आ रहे थे। और साथ में सबूत आ रहे थे यासीन भटकल के शामिल होने के।

SOG की स्थापना IB ने 1999 में की थी,प्रारम्भ में इसका ध्यान नक्सलवाद की तरफ़ था पर 2011 आते आते बिहार इस्लामिक कट्टरपंथ का केंद्र बन गया था। अतः अब यह टीम अपना ध्यान इस्लामिक कट्टरपंथ की तरफ़ लगाए हुए थी। इस्लामिक कट्टरपंथ इसीलिए बिहार में फैल रहा था क्यूँकि बिहार के कुछ इलाक़े नेपाल से सटे हुए है और आतंकवादी यहाँ से आसानी से भारत में प्रवेश कर जाते थे।  इसी बीच ख़बर ये भी थी की यासीन भटकल यूनानी डॉक्टर का भेष बना के बिहार के दरभंगा में अपने स्लीपर सेल तैयार कर गया था।  यासीन भेष बदलने में माहिर था और उसका पसंदीदा भेष यही यूनानी डॉक्टर का था।

इसी मीटिंग में SOG के एक सदस्य के पास एक फ़ोन कॉल आया। ये कॉल नेपाल में रह रहे ख़बरी का था। ख़बरी ने बताया की जैसा आदमी आपको चाहिए वैसा ही एक आदमी नेपाल के पोखरा नामक शहर में देखा गया है। पोखरा नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह आदमी जो देखा गया उसके अधिकारिक फ़ोटो से विपरीत दाढ़ी नहीं थी और बाल छोटे छोटे थे पर आँखे एकदम फ़ोटो जैसे थी। यह आदमी अपने आप को यूनानी डॉक्टर और अपने नाम को डॉक्टर यूसुफ़ बताता था।इतने सबूत यही इशारा कर रहे थे की ये आदमी यासीन भटकल ही था। वही यासीन भटकल जिसके ऊपर 3.5 करोड़ का इनाम था और जिसने कुल 17 bomb blast किए थे। इंसान के भेष में दरिंदा था यह यासीन भटकल।

अब Joint director ने अपने IB के senior लोगों को इसकी ख़बर दी पर वो सब उनसे सहमत नहीं हुए। न जाने सहमत न होने के क्या कारण कारण थे। शायद इसीलिए क्यूँकि 2010 में कर्नाटक पुलिस ने यासीन भटकल समझ के airport से उसके छोटे भाई को पकड़ लिया था और जल्दबाज़ी में उस समय की यू॰पी॰ए॰ सरकार ने घोषणा कर दी थी की हमने देश के सबसे ज़्यादा वांछित आतंकवादी को पकड़ लिया है। बाद में उस समय के गृह मंत्री चिदम्बरम ने इसे मिस्टेकेन आयडेंटिटी का केस बताया। और उसके भाई को छोड़ दिया गया।

अब एक बात तो साफ़ थी IB के टॉप लीडर्शिप की इजाज़त नहीं थी किसी भी मिशन को अंजाम देने की। टीम में एक तरह की मायूसी छाई हुई थी। इसी बीच SOG के एक सदस्य ने कहाँ की सर इस मौक़े को जाने देना आत्मघाती होगा। उन्होंने कहा की हमें किसी भी क़ीमत पे उसको पकड़ना होगा और इसके लिए नेपाल जाना होगा फिर चाहे इसके लिए हमें जेल में ही क्यूँ ना डाल दिया जाय।

इस समय अगर इन देश भक्त अफसरो ने यह फ़ैसला ना लिया होता तो न जाने आगे कितनी भीषण विपत्ती आती क्यूँकि यह यासीन भटकल सूरत पे nuclear हमले की तैयारी कर रहा था। जी हाँ nuclear हमला।

Joint director ने अब SOG के सदस्यों को टुरिस्ट के तौर पे नेपाल जाने की इजाजत दे दी अपने रिस्क पर।अगर यह मिशन फैल होता तो joint director को उनके पद से हटाया जाना तय था। मगर जब देश सर्वोच्च हो आपके लिए तो आप किसी भी हद तक चले जाते है। यही joint director और SOG की बिहार यूनिट ने किया। पाँच लोगों का दल तैयार किया गया। इनकी आई॰डी॰ ले ली गयी। मतलब यह था की अगर ये लोग वहाँ पकड़े गए तो उन्हें नेपाल की जेल में ही रहना था। इस पाँच सदस्य वाले दल के मुखिया ने joint director से पूर्वी चंपारन के एस॰पी॰ को भी अपने साथ लेने की इजाज़त माँगी। इसका सबसे बड़ा कारण था की पूर्वी चंपारन के एस॰पी॰ अकसर अपने नेपाली समकक्ष के साथ बैठक करते रहते थे। और कोई ख़राब स्थिति आने पे वो मददगार सिद्ध हो सकते थे।

अब मिशन पे जाना तो था और ये मिशन बिना इजाज़त के किया जा रहा था, इसी लिए पैसों का इंतज़ाम SOG की टीम को ख़ुद करना था। पाँच सदस्य वाली SOG टीम के लीडर ने अपने एक दोस्त से चालीस हज़ार रुपए उधार लिए। यह इसीलिए ज़रूरी था क्यूँकि नेपाल जा के नेपाल की सीम कार्ड ख़रीदना था,रुकने का इंतज़ाम करना था और एक गाड़ी का भी इंतज़ाम करना था।

पैसों का इंतज़ाम होने के बाद नेपाल के लिए निकलने से पहले यह टीम पूर्वी चंपारन के एस॰पी॰ से मिली और मिशन के बारे में बताया। मिशन के बारे में एस॰पी॰ को भी उतना ही बताया गया जितना ज़रूरी था। क्यूँकि क़दम फूँक फूँक के रखने थे। एस॰पी॰ ने दिलचस्पी दिखाई और ख़ुद दो गाड़ियों का इंतज़ाम किया और यह टीम और साथ में एस॰पी॰ चल पड़े नेपाल की ओर। इस दौरान एस॰पी॰ को बाक़ी जानकारी दी गयी मिशन को ले के।

अब नेपाल पहुँच के सबसे पहला काम था अपने नेपाली ख़बरी से मिलना। यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी की SOG के टीम लीडर भी कभी अपने उस ख़बरी से मिले नहीं थे। सिर्फ़ फ़ोन पे ही बात हुई थी। यहाँ पे सम्भावना यह भी थी की ख़बरी धोखा दे जाए। पर किसी भी क़ीमत पे ख़बरी से मिलना तो था ही। इसी बीच SOG के सदस्यों के रुकने के सारे इंतज़ाम पूर्वी चंपारन के एस॰पी॰ द्वारा किए गए।SOG टीम ने दो मोटर्सायकल भी किराए पे ले ली।

ख़बरी ने बताया की बीर बहादुर थापा उर्फ़ अब्दुल्ला (उसने धर्म परिवर्तन कर लिया था) जो की पहले भरतिय सेना में भी रह चुका था उसको यासीन भटकल के बारे में पता है और शायद यह भटकल की मदद भी कर रहा है।  अगले दिन नेपाली ख़बरी ठीक घड़ी देख के दोपहर वाली अजान के समय अब्दुल्ला से मिला और कहा की कोई ऐसी जगह बताए जहाँ वो नमाज़ पढ़ सके। अब्दुल्ला ने उसको अपने साथ ले लिया और कुछ दूर स्थित एक छोटे से घर में ले गया। इस दौरान SOG की टीम लगातार दोनो का पीछा करती रही और उनकी नज़र उस घर पे टिक गयी। कुछ समय बाद यासीन भटकल के जैसे दिखने वाला एक आदमी Motor Cycle से वहाँ उस घर में आया और सीधे अंदर घुस गया। इससे ये पक्का हो गया की ये घर यासीन भटकल का ही था।

अब पक्का तो हो गया था की ये यूनानी डॉक्टर यासीन भटकल ही है पर आगे की कार्यवाही के लिए और ज़्यादा सबूत चाहिए थे। जब अब्दुल्ला हमारे नेपाली ख़बरी से दूरी बनाने लगा। अब आगे नयी योजना बनानी थी। नयी योजना ये थी की हमारा नेपाली ख़बरी उस अब्दुल्ला को कहेगा की उसे कुछ मेडिकल दिक़्क़त है और इसीलिए उसे किसी यूनानी डॉक्टर से मिलना है। अब्दुल्ला इस बात से सहमत हो गया और उसे डॉक्टर यूसुफ़ उर्फ़ यासीन भटकल के पास ले गया। यहाँ पे ख़बरी ने भटकल के आवाज़ का नमूना लिया ताकि ये पक्का हो सके की ये आदमी भटकल ही है। और अब आवाज़ के नमूने सुनने के बाद ये पक्का हो चुका था।

अब joint director ने IB के director को सूचना दी और साथ ही एक additional director को प्लान की पूरी जानकारी दी। additional director ने बस यही कहा की उम्मीद है की ये वही आदमी हो,नहीं तो हम दोनो की नौकरी गयी।

इसके बाद भारत सरकार ने नेपाल सरकार को कहा की हमारा एक आपराधी आपके यहाँ छुपा हुआ है और हमें उसे पकड़ना है। पूरी जानकारी उन्हें भी नहीं दी गयी। एक अधिसूचना जारी कर दी गयी नेपाल में स्थित भारतीय एम्बसी को। एम्बसी में एक भारतीय police officer भी होता है। वाह तुरंत ऐक्शन में आया।

पच्चीस अगस्त को चार नेपाली police के लोग SOG के लोगों से मिले और कुछ शर्त भी रखी जिनमे से एक ये थी की भारतीय दल उस जगह से दूर रहेगा। साथ में कुछ अन्य शर्तें भी थी।यासीन भटकल के घर की रेकी करते हुए भारतीय दल को एक आदमी और दिखा। इसका नाम था असदुल्लाह अख़्तर उर्फ़ हड्डी। ये अलक़ायदा का आतंकवादी था। इसने वाराणसी,पुणे,मुंबई और अहमदाबाद में bomb blast किए थे। अतः अब सामने एक की जगह दो लक्ष्य एक साथ थे। इसपे भारत सरकार ने दस लाख का इनाम रखा था।

इसी दौरान थोड़ा बहुत छान बिन के बाद नेपाली police officer वापस चले गए। और इसी वक़्त हो बिहार के मोतिहारी में दंगे भड़क गए और SP को वापस जाना पड़ा। दो में से एक गाड़ी अब वह ले जा चुके थे और अब SOG की टीम के पास एक ही गाड़ी बची थी। चारो ओर निराशा थी तभी सत्ताईस अगस्त को भारतीय सरकार के एक अधिकारी ने नेपाल सरकार को समझाया की उस आदमी का पकड़ा जाना कितना ज़्यादा ज़रूरी है। नेपाली सरकार ने इजाज़त तो दे दी पर साथ ही शर्त रख दी की ऑपरेशन सिर्फ़ रात को किया जाए।

साढ़े आठ बजे नेपाली police ने उसको पकड़ लिया। दस बजे भारतीय एम्बसी से SOG को फ़ोन आया की तुमने ग़लत आदमी को पकड़ लिया है। वो एक नेपाली नागरिक है और एक Turbine engineer भी है। यह स्थिति बहुत ख़तरनाक थी क्यूँकि उस समय भारत और नेपाल के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे।इसी बीच SOG के लीडर में भारतीय एम्बसी में पदस्थ IPS अफ़सर से कहा की सर आप ख़ुद को IPS कहते है तो ख़ुद सोचिए की एक आदमी जो turbine engineer है वो यूनानी डॉक्टर के भेष में क्यूँ रह रहा है। भारतीय एम्बसी बात से सहमत हो गयी। क़ैदियों को नेपाली police ने SOG को सौंप दिया। थोड़ी सी पूछताछ के बाद ही यासीन भटकल ने मुँह खोल दिया और क़बूल कर लिया की वो यासीन भटकल है।

इसी दौरान पूर्वी चंपारन के एस॰पी॰ दंगा शांत करके वापस नेपाल आकर SOG के दल से जुड़ गए। इस मिशन में एस॰पी॰ के अपने जेब से लगभग अस्सी हज़ार रुपए ख़र्च हो चुके थे।

बाद में SOG के टीम लीडर को एक लाख का पुरस्कार दिया गया पर SOG के सदस्यों को गैलंट्री अवार्ड नहीं दिया गया और उसके बाद 3.5 लाख का पुरस्कार और दिया गया पर पता नहीं किन कारणो से वो साढ़े तीन लाख का पुरस्कार ये बोल के वापस ले लिया गया की ये उनका कर्तव्य था इसके लिए पुरस्कार की ज़रूरत नहीं।

अतः इस तरह से 220 मौतों का ज़िम्मेदार,बारह राज्यों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल यासीन भटकल पकड़ा गया,जिसे अभी हाल में ही फाँसी की सज़ा दी गयी।

नमन है हमारे देश के देशभक्तों को जिन्होंने अपनी जान और अपनी नौकरी दाँव पर लगा के इतने बड़े आतंकवादी को पकड़ा।

वन्दे मातरम्।

Tags: यासीन भटकल
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