जैसा की हमने पहले ही बताया था की अगर भाजपा उत्तर प्रदेश के चुनाव जीतती है तो देश की राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन होंगे। भाजपा की उत्तर प्रदेश से पहले वाली और उसके बाद वाली “बॉडी-लैंग्वेज” में आकाश पाताल का अंतर है। जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश के लगभग हर वर्ग ने भाजपा को दिल खोल कर वोट दिया है उससे एक बात तो बिलकुल साफ़ हो गयी है की चाहे वो क्षेत्रीय पार्टियां हो या फिर तथाकथित राष्ट्रव्यापी कांग्रेस पार्टी, यूपी की जनता ने तुष्टिकरण की राजनीति को सिरे से नकार दिया है।
तुष्टिकरण वो धुरी थी जिसपर भारत की राजनीति टिकी हुई थी। भाजपा, शिव सेना इत्यादि को अगर अपवाद मान लें तो, लगभग हर छोटी बड़ी पार्टी मुस्लिम-तुष्टिकरण की अनुयायी थी फिर चाहे वो नितीश कुमार का “इशरत के अब्बू” वाला रूप हो या सोनिया गाँधी का बटला हॉउस एनकाउंटर पे टेंसुए बहाने वाला रूप या फिर ममता बनर्जी की कट्टर मुस्लिमपरस्ती। हिन्दू देवी-देवता का मखौल उडाना आम बात थी, यहाँ तक की बुद्धिजीवी वर्ग में इसे कूल विशेषण से अलंकृत किया जाता था, लेकिन अब विधि-विधान बदल रहे हैं।
जिस देश या राज्य के ‘बेसिक्स’ मजबूत होते हैं वही राज्य एक मजबूत राज्य बन सकता है। वरना तो फिर सारा विकास ही खोखला है। शायद इसलिए योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री-पद पर आसीन होते ही यूपी के बेसिक्स सुधारने का बीड़ा उठाया। जैसे अवैध बूचडखानों को बंद कराना, सरकारी कार्यालयों में गुटका खाना, दफ्तर देर से आना या नहीं आना। सालों से भ्रष्टाचार के आदी लोगों ने बहुत हंगामे किये, लेकिन योगी अपने निर्णय पर अटल रहे। फिर योगी ने उत्तर प्रदेश के कुख्यात “रोमियो” पर शिंकंजा कसना चालू किया। तरह-तरह के कयास लगाये गए, कहा गया की मासूम लोग धरे जा रहे हैं, लोगों को परेशानी हो रही है, पर जब इस प्रयास को व्यापक जन-समर्थन ख़ास कर महिलाओं का समर्थन मिला तो सारे कयास धरे के धरे रह गए, उसके बाद सारी बात आकर टिक गयी नाम पर – की नाम रोमियो क्यों? रोमियो तो बेचारा आशिक था, मुहब्बत में मर मिटने वाला।
इसी कड़ी में वरिष्ठ अधिवक्ता, महान बुद्धिजीवी, कश्मीर की आज़ादी के पैरोकार, आम आदमी पार्टी के पूर्व सदस्य और स्वराज्य इंडिया नामक पार्टी के संस्थापक प्रशांत भूषण जी ने भी नाम पर सवाल उठाये और पूछा की दस्ते का नाम एंटी रोमियो दस्ता क्यों, एंटी कृष्ण दस्ता क्यों नहीं? क्योंकि प्रशांत जी की दृष्टि में भगवान श्री कृष्ण महिलाओं से छेड़खानी करने वाले एक मनचले थे। मैं यहाँ इस छिछले उल्लेख के गूढ़ में नहीं जाऊँगा। मैं कामदेव-शिव की कहानी का उल्लेख नहीं करूँगा, ना उल्लेख करूँगा श्री कृष्ण के आठ बरस के उम्र के रास की, और ना ही बताऊंगा की भगवान श्री राम ने दंडकारण्य के ऋषियों को द्वापर युग में गोपियाँ बनकर जन्म लेने का आशीर्वाद दिया था। क्योंकि प्रशांत भूषण जैसे बुद्धिजीवी यहाँ किलो के भाव से बिकते हैं, इस लेख का उद्देश्य है बदली हुई राजनीति की ओर इशारा करना।
अब जब आम तौर पर कोई बुद्धिजीवी हिन्दू देवी देवता पर कटाक्ष करता है तो उसे बुद्धिजीवी वर्ग से व्यापक समर्थन प्राप्त होता है। तथाकथित सेक्युलर पार्टियां में ऐसे बयानों का समर्थन करती है जिसे उनकी “माइनॉरिटीज” के प्रति प्रतिबद्धता और दृढ़ दिखाई दे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। कम से कम कांग्रेस पार्टी ने इस बार सेक्युलरता को किनारे रख प्रशांत भूषण पर सीधा हमला बोला।
Wah a fictional character Romeo is being compared to a much revered god. No need to slam our faith to prove your point Mr Bhushan https://t.co/QO1y91Z57C
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) April 2, 2017
जी ये कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी जी के बोल हैं, अब ये देखिये:
My series of tweets hv nothing to do with @pbhushan1 s tweets. As Lord Krishna is the subject on twitter at the moment -just wanna share 1n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
I always say Lord Krishna is my fav god. As Osho says Krishna begins where everyone ends. Btw Shiva is my fav God but Krishna my fav god. 2n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
To understand Lord Krishna is not easy. Yet one does not have to try to understand Krishna . Be Krishna and the understanding comes. 3n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
I often tell people read the Mahabharta. It is my most fav epic. Vyasa s book is not a book of right or wrong but a book of karma . 4n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
And as my Lord Krishna after the war has two women crying for their loved ones in his arms .. one Draupadi the other Gandhari 5n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
Vyasa makes you think.. was the war needed ? Who won ? Both sides lost all their children ( save one of the Pandavas child ) & there sits 6n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
And there sits Lord Krishna with both the mothers, as they both cry , the cycle of hate , revenge and war. The cycle MUST END . 7n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
So a smiling Lord Krishna accepts Gandhari's curse . No retaliation. No anger. No revenge. This now must end.. and therefore 8n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
And therefore Vyasa shows us why Dharma was NOT the Pandava's or the Kaurava's but ONLY Lord Krishna was Dharma ..coz he accepted even a 9n
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) April 2, 2017
तहसीन पूनावाला जी भी कांग्रेस के प्रवक्ता हैं।
तो मतलब बात शीशे की तरह साफ़ है, कांग्रेस ने देर से ही सही, देश का मिजाज़ पढ़ लिया है, की बीस प्रतिशत के हित के लिए लगभग अस्सी फीसदी को दुखी करना ना तो गणित के लिहाज से ठीक है ना यथार्थता के लिहाज से।
उत्तर प्रदेश के नतीजों ने कांग्रेस पार्टी के अंतर्चक्षु खोल दिए हैं। देर-सवेर सारी क्षेत्रीय पार्टियों को भी अकल आ ही जायेगी।
लेकिन देश के हिन्दुओं को इस छलावे में आने की कोई आवश्यकता नहीं, जिन्होंने साठ बरस तक हिन्दुओं के साथ सिर्फ धोखा ही किया है उनका अचानक ह्रदय-परिवर्तन भी एक धोखा ही है।
भोसडी के प्रशाँत तु दोगला है क्या रे अपनी माँ बहन बेटी को मुल्ला के हवाले कर दे मगर हिन्दु विरोधी टिप्पणीयाँ मत कर