एक कहावत है लोहा लोहे को काटता है। ये कहावत यहाँ पूरी तरह चरितार्थ होती दिख रही है, जब अपने ही खासमखास और करीबी माने जाने वाले कपिल मिश्रा अपने ही गुरु को उन्हीं के जाल में उन्हीं के अंदाज में लपेट रहे है तो एक वक्त केजरीवाल भी सोच में पड़ गए होगे की हो क्या रहा है? वही अंदाज, वही लफ्ज, वही बातें, वही मीडिया के सामने आना, गंभीर आरोप लगा कर चले जाना, डिटेल्स न बताना, जेल भेजने की बात करना, फिर अगले दिन अपनी बात पर अड़ जाना, इस्तीफा मांगना और फाइनली धरने पर बैठ जाना और जब मीडिया अटेंशन कम होने लगे तो वही सर जी का ब्रह्मास्त्र माने थप्पड़, चप्पल, स्याही, अंडे का सहारा लेना और पब्लिक को एक बार और बरगलाने की नाकामयाब कोशिश करना सब कुछ वैसे ही हो रहा है।
बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान-अल्लाह ! केजरीवाल तो केजरीवाल कपिल मियां भी कम नहीं है एकदम 19-20 है दोनों गुरु-चेला। ये ड्रामा भी न एकदम मनोरंजन अनलिमिटेड है मतलब कोई मरना भी चाहे न मर न पाएं इनके ड्रामे देखकर। उधर कपिल शर्मा बंद क्या हुआ इधर कपिल मिश्रा शुरु हो गये।
सही ही कहते थे अरविन्द सर अलग तरीके की राजनीति करने आये है लेकिन इतनी अलग तरीके की करेंगे यकीन नहीं होता था। कमबख्त ये ‘आप’ के लोग हंसा हंसा के जान ही ले लेंगे। अब देखो न अचानक से सर जी ने कपिल मिश्रा को मंत्री पद से हटा दिया। पूछने पर कहने लगे पानी की कमी जा रही थी दिल्ली में। अब भला आप लोग कबसे परफॉरमेंस ओरिएंटेड हो गए? आप तो सर वही अच्छे लगते हो, मूवी देखते केजरीवाल जी और अगल-बगल हँसते हुए सिसोदिया- कुमार विश्वास। लेकिन अमित शाह की नजर लग गयी आप की पार्टी को। हर क्षेत्र में ‘आप’ पार्टी ने झंडे गाड़े है चाहे टैंकर घोटाले का हो डीटीसी बसों के घोटालों का हो, शुंगलू रिपोर्ट हो या बीवी को कुत्तों से कटवाने का हो या मोहल्ला क्लिनिक का हो, फर्जी डिग्री मामला हो या राशन कार्ड बनाने वाला मामला हो एक करोड़ के समोसे का हो या 16 हजार की थाली का हो। केजरीवाल जी की पार्टी आई थी भ्रष्टाचार का नाम लेकर माने भ्रष्टाचार मिटाने के इकलौते मुद्दे पर ये पार्टी बनी थी आज देखो दो साल के भीतर वही पार्टी ने भ्रष्टाचार के सभी रिकार्ड तोड़ दिए (कांग्रेस के रिकार्ड छोड़कर)। किसी ने सही ही कहा है ….
वें बंद कराने आये थे तबायफो के कोठे . . . . .
मगर सिक्को की खनक देखकर खुद ही नाच बैठे”।
सर ने कपिल को मंत्री पद से निकाला अगले दिन चेले ने गुरु के पन्ने पन्ने खोल के रख दिए। तू डाल-डाल तो मैं पात- पात… केजरीवाल सर को काटो तो खून नहीं, जवाब दे तो दे क्या? कल तक यही कपिल मिश्रा सरजी के हर फर्जी कामों को, हर कुकर्मों को defend करता रहता था ट्वीटर पर, मोदी को गाली देते थकता नहीं था। जरा सा एक मंत्री पद से क्या हटा दिए ससुरा बैरी हो गया। आज चौपाल लगाकर गा रहा है “तेरी गलियों में न रखेंगे कदम आज के बाद .. !! एक के बाद एक घोटालों के शगूफ़े मीडिया में छोड़े जा रहा है, सर जी की तो न उगलते बन रही न निगलते, करें तो क्या करें समझ में नहीं आ रहा है। फिर तभी सर ने अपना खुराफाती दिमाग दौड़ाया जिस कारण सर जी की इतनी इज्जत है पार्टी में और सोचा की कपिल को काउंटर करने के लिए फिर ईवीएम का खेल खेलेंगे मने ईवीएम-ईवीएम खेलेंगे।
बस फिर क्या था इधर (कपिल) से घोटाले, विदेश-यात्रा के प्रश्न-बाण छोड़े जा रहे थे, उधर से सरजी ईवीएम के बाण छोड़ रहे है। मीडिया तो वैसे ही समझ के नासमझ है, कोई कह दे की कौवे ने कान ले गया तो भागने लगती है कौवे के पीछे। मीडिया इधर से कपिल के घोटालों की खबर लेकर सरजी के पास जाती है, उधर से सरजी ईवीएम पर सवाल करके वापस लौटा देते है और मीडिया लगती है ईवीएम-ईवीएम चिल्लाने। मीडिया को घुमाना, मुद्दे से भटकाना केजरीवाल सर के बाएं हाथ का खेल है। सर को लगा यही टॉपिक है जो हमें अब कपिल के टैंकर घोटाले, विदेश यात्रा, २ करोड़ के बाणों से बचा सकता है। चुनाव के बाद हारने पर दो दिन तक चिल्लाने के बाद से चुप थे, अचानक ईवीएम की याद आ गई।
आनन फानन में कपिल को जवाब देने के लिए विशेष सत्र बुला लिए, जनता समझी अब सरजी सब घोटालों का जवाब देंगे, कपिल को करार जवाब मिलेगा लेकिन केजरीवाल तो केजरीवाल है।
उनसे जो प्रश्न पूछा है उसको छोड़ के दुनिया भर के जवाब दे देंगे, रशिया से लेकर अमेरिका तक राष्ट्रपति का इस्तीफा मांग लेंगे, लेकिन सीधा उस प्रश्न का जवाब तो खुद FBI भी उनसे नहीं उगलवा सकती। सत्र बुलाया था जवाब देने लेकिन अपने एक नेता से ईवीएम का Hackathon करके चले गए। 90 सेकंड बोलकर 2 घंटे लगा दिए, बेटे का 8वीं क्लास का प्रोजेक्ट उठाकर ले आये उसे ही ईवीएम बताने लगे। अब चूँकि ये खुद ही बोलते है किसी की सुनते तो है नहीं तो इन्हें लगता है इन्होंने बोल दिया और हमने मान लिया जनता तो यहाँ बेवकूफ बैठी है।
सर कहने लगे जिसने ये hackathon का डेमो दिया वो इंजीनियर है। अब सर को कौन बताये इंजीनियर तो आप भी हो IIT से लेकिन खैर अब आपको कैसे एडमिशन मिली वो अलग बात है। और एक 8वीं क्लास के बच्चे के खिलौने को हैक करने से कोई इंजीनियर नहीं हो जाता। चूँकि ये बात वो भी जानते थे की ये डब्बा यानी सर जी की ईवीएम 1700 रु में बिक रहा है amazon पे। जानते है तभी तो विधानसभा के अन्दर डेमो दिया वरना चुनाव आयोग के सामने या मीडिया के सामने दिया होता। और काहे का विधानसभा? आम आदमी पार्टी का दफ्तर बना दिया है, अपने ही लोग है, क्या दफ्तर क्या विधानसभा.. केजरीवाल सर बोलते है बाकी विधायक सुनते है। एक दो बीजेपी के विधायक भूले बिसरे आ भी गए तो उन्हें बाउंसर से फिंकवा दिया जाता है। माने सवाल पूछने वाला तो कोई बचा ही नहीं भवन में फिर चाहे डब्बे को ईवीएम कहो या कैलकुलेटर को ईवीएम कह दो कौन सवाल उठाएगा? सर जी इतना तो ख़याल किया होता जिस ईवीएम की तुलना आप उस डब्बे से कर रहे है वो ईवीएम है जिसे हजार टेस्टिंग लेवल पार करनी होती है और पूरी सिक्यूरिटी में रखा जाता है।
अपने पार्टी की तो इज्जत बची नहीं दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की और उससे चलने वाले चुनाव आयोग की तो इज्जत करना सीखिए। वो चुनाव आयोग का ईवीएम है, कोई आपके बेटे के स्कूल का प्रोजेक्ट नहीं है। हजार टेस्टिंग के बाद अपनाया गया है उसे। हलवा नहीं है की कोई भी जायेगा बूथ पर वहाँ की पुलिस आलू छिलती बैठी रहेगी और आप आराम से मदरबोर्ड बदलते रहोगे और पुलिस आपको देखती रहेगी है न?
ये डब्बे को हैक करके ईवीएम को हैक करने के सपने देखने वाले ये वही लोग है जो गलती से एक राज्य में 28 सीटें मिल जाने पर प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने लगे थे और वाराणसी से चुनाव लड़ने चले गए थे। इनके लॉजिक से तो अगर किसी का फेसबुक अकाउंट हैक करना हो तो उस बन्दे के नाम का एक फर्जी अकाउंट बनाओ अपने पासवर्ड से और लॉग इन कर दो और कह दो लो जी हो गया हैक ! या जैसा चेतन भगत ने कहा है की अपने ही कार को अनलॉक करके कहो की हम किसी भी कार को अनलॉक कर सकते है।
आपका प्रॉब्लम क्या है न आपने, नेताओं को तो ठीक है लेकिन इस देश के सिस्टम को, अफसरों को, लोकतंत्र को, सरकारों को और तो और जनता को भी हलवा समझ के रखा है। जब मन आता है अपनी हवा-हवाई बातों से अनाप-शनाप आरोप लगा देते हो, पता है मीडिया है तो है ही …..कभी प्रूफ मांगेगा नहीं। और रही बात आपके वो इंजिनियर की तो जितना उसने अपने काले जादू (ईवीएम हैक करनेवाले) से हंसाया है देश को शायद ही कपिल शर्मा ने कभी हंसाया होगा। और सुन लो ये जो हर घोटाले पर आप को ईवीएम, मोदी की डिग्री, गडकरी का करप्शन, कभी जेटली का करप्शन याद आता है और आप सोचते होगे की आप खोखले दावे के बिच सब भ्रष्ट्राचार को निगल लोंगे तो आप खुद को और अपने पार्टी के लोगो को बेवकूफ बना रहे है। चाहे जितने खोखले दावे कर लो आपके भ्रष्टाचार की पोल तो खुलकर रहेगी। अभी तो एक कपिल मिश्रा आपके खिलाफ गया है, एक-एक करके हर कोई, खुद अपने ही लोग आपके काले कारनामों को जनता के सामने उजागर करेंगे। कब तक आप ईवीएम-ईवीएम चिल्लाओगे? ये तो एक दिन साफ़ हो जायेगा की ईवीएम हैक नहीं की जा सकती है लेकिन आपके घोटालों का क्या करोगे जनाब?