फिल्म निर्देशक करण जौहर और अभिनेता सैफ अली खान, जो आईफा अवार्ड्स की मेजबानी कर रहे थे, ने हाल ही में उस घटना का ज़िक्र किया, जब ‘कॉफी विथ करण, सीज़न 5’ के एक एपिसोड में राष्ट्रीय एवं फिल्मफेयर विजेता कंगना रनौत ने करण को उनही के शो पर ‘वंशवाद का ध्वजवाहक’ सिद्ध किया था।
अभिनेता वरुण धवन ने सैफ और करण के साथ अपने असफल फिल्म ढिशूम के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का पुरुस्कार लेने हेतु मंच साझा किया। उसी वक़्त सैफ बोले की वरुण इसलिए इंडस्ट्री में इतना मुकाम बना पाये हैं, क्योंकि इनके पिता, राजेंद्र ‘डेविड’ धवन एक सफल निर्देशक रहे हैं।
सैफ ने वरुण की चुटकी लेते हुए कहा, “आप अपने पप्पा की वजह से हैं!”, जिस्पर वरुण ने टपाक से जवाब दिया ‘और आप अपनी मम्मी [शर्मिला टैगोर] की वजह से हैं’ करण ने सुर मे सुर मिलाते हुये बोला, ‘मैं भी अपने पप्पा [दिवंगत फ़िल्मकर यश जौहर]की वजह से हूँ’
फिर इन तीनों ने एक सुर में कहा ‘वंशवाद रॉक्स!’
वरुण ने करण की चुटकी लेते हुए कहा, ‘आपकी फिल्म में एक गाना था न – बोले चूड़ियाँ, बोले कंगना…..’
करण ने जवाब दिया, ‘कंगना न ही बोले तो अच्छा है….कंगना बहुत बोलती है।”
Source: Firstpost
सच पूछो तो बॉलीवुड के अस्तित्व में अब मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है। जब बाहुबली जैसे मूवी को उसके उचित कथा और संवाद के लिए उचित प्रशंसा मिल रही हो, और क्षेत्रीय सिनेमा, नेट्फ़्लिक्स, अमैज़ोन प्राइम जैसे चैनल उभर रहे हों, तो बॉलीवुड को मनोरंजन के केंद्र से हटने में आधा दशक भी नहीं लगेगा।
तो एक उलजुलूल से अवार्ड समारोह में इन तीनों हस्तियों ने अपने समकालीन अभिनेत्री का सिर्फ इसलिए मज़ाक उड़ाया, क्योंकि उसने इनके फिल्म उद्योग में वंशवाद को बढ़ावा देने पर उंगली उठाने की हिमाकत की थी। ये तो बच्चा भी बता देगा की चाँदी की चमची लेके पैदा हुये नमूने किसी मेहनतकश व्यक्ति का मज़ाक उड़ाने में अपने आप को श्रेष्ठ समझते हैं, पर इससे शर्मनाक तो यह था की कई बॉलीवुड हस्तियों को इसमें व्यंग्य की अनुभूति हुई।
गौर कीजिएगा, वंशवाद बॉलीवुड की उपज नहीं है, बल्कि भारत की अनेक कुरीतियों में से एक है। डॉक्टर के बच्चे को डॉक्टर ही बनना है, सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले अभिभावक अपने बच्चे को वहीं लगवाना चाहते हैं। वंशवाद हमारी रगों में इतना गहरा घुसा हुआ है की एक वक़्त तक यह भी लगता था की राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो ‘गांधी’ है।
अगर आप वंशवाद के इस विष को दूर भगाना चाहते हो, तो बॉलीवुड को राह दिखाने की उम्मीद मत कीजिएगा। शुरुआत खुद से कीजिये, और अपने न्यूज़ चैनल और राजनेता में सही चुनाव कीजिये। एक 9वीं पास आज के भारत में सरकारी दफ्तर का चपरासी बनने के लायक भी नहीं है, पर कुछ बिहारियों की बुद्धि का नतीजा है की उनका उप मुख्यमंत्री उसी दर्जे का है।
वंशवाद भारत में हर जगह चलता है, क्यों हमने इसे फैलने जो दिया है, और इसके लिए बॉलीवुड पर दोष डालना माने पलायनवाद को गले लगाना होगा।
वैसे भी सैफ की पिछली सात फिल्में फ्लॉप रही है, जिसकी शुरुआत 2013 में गो गोवा गॉन के प्रदर्शन के बाद से शुरू हुई है, और 2017 में इनके हाथ में जो आखरी ढंग की मूवी थी, विशाल भारद्वाज की ‘रंगून’, वो उसी अभिनेत्री की बदौलत चली, जिनका इनहोने मज़ाक उड़ाया था। ये खबरों में अपने अभिनय से ज़्यादा अपने बेटे के नामकरण के कारण चर्चे में रहे हैं, और जिनहे अपनी माँ के सीबीएफ़सी अध्यक्ष रहते सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरुस्कार मिला हो, उसके लिए तो वंशवाद निस्संदेह अमर रहेगी!
[जाते जाते यह भी बता दें इन सबसे इतर कंगना रनौत झाँसी की रानी पर बन रही फिल्म के लिए सारे जानलेवा स्टंट खुद कर रही हैं जिसे करते वक़्त वो घायल भी हुयी हैं । अभी हाल ही में इन्हे माथे पर एक गहरा घाव लगा और पीठ पर घावों के पीछे इन्हे कई टांके भी लगवाने पड़े, पर पस्त पड़ने के बजाए इनहोने गर्व से अपने घाव पूरी दुनिया को दिखाये, जैसे झाँसी की रानी अपने दुश्मनों को दिखाती थी।
अब ये हिम्मत वंशवादियों में कहाँ मिलेगी! एक खरोंच पर आसमान सिर पे उठा लेंगे ये।]