TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

सुनिए शशि थरूर के बोल बचन, ग़ुलामी का ऐसा जस्टिफ़िकेशन और कहीं नहीं मिलेगा

Frustmanoos द्वारा Frustmanoos
31 August 2017
in मत
शशि थरूर मुस्लिम

Image: oneindia

Share on FacebookShare on X

थिम्फू के माउंटेन एकोस लिटेररी फेस्टिवल में अपने शब्दों से मानो शशि थरूर ने बरईय्ये के छत्ते में हाथ डाल दिया है। जिन शब्दों से राजनैतिक इरादों की बू साफ निकल रही थी, थरूर ने कहा की उनका मानना है की भारत को अंग्रेजों ने अपना ग़ुलाम बनाया था जबकि नरेंद्र मोदी के लिए भारत की ग़ुलामी उपमहाद्वीप पर इस्लामिक शासन से ही शुरू हो गयी थी। उन्होने अपने बचकाने बोल के समर्थन में ये बोला कि अंग्रेज़ तो भारत का धन और संपत्ति लूटकर अपने साथ ब्रिटेन ले गए, जबकि इस्लामिक शासकों ने वो पैसा भारत में ही खर्च किया, सो इसलिए इन्हे साम्राज्यवादी की संज्ञा नहीं दी जा सकती। इनहोने यह भी कहा की जो सदियों पहले पाप हुये हैं, उनका प्रायश्चित करना नामुमकिन है, और जिन लोगों का इन सब से कोई लेना देना नहीं है, उन्हे उनके पूर्वजों के पापों के लिए परेशान करना कोई अच्छी बात नहीं है।

संक्षेप में कहें, तो शशि थरूर ने यह समझाने की कोशिश की भले ही भारत पर इसलामियों ने आक्रमण किया हो, पर इसके लिए भारत को इसका विरोध नहीं करना चाहिए, और इसे नियति की करनी मानकर इसके साथ जीना होगा, और सिर्फ और सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत की ग़ुलामी का विरोध करना चाहिए। कोई ऐसा मनुष्य, जो धर्मनिरपेक्षता की पराकाष्ठा पार कर चुका हो, वही इस बचकाने बोल और इसके पीछे की बचकानी सोच को नज़रअंदाज़ करेगा।

संबंधितपोस्ट

अपनी ही पार्टी पर बरसे मनीष तिवारी, ‘भारत की बात’ से कांग्रेस पर वार!

कांग्रेस छोड़ रहे हैं शशि थरूर!: क्रिप्टिक X पोस्ट ने अटकलों को दी हवा

तुम्हें पीएम मोदी की हिंदी नहीं उनकी सफलता खल रही है क्योंकि तुम्हारी सोच गुलाम है

और लोड करें

सुनन्दा पुष्कर थरूर हत्याकांड में हाथ होने की प्रसिद्धि के अलावा शशि थरूर अपनी ऑक्सफोर्ड यूनियन डेबेट के लिए काफी प्रसिद्ध हैं, जहां उन्होने इन दावों की धज्जियां उड़ा दी की साम्राज्यवाद से भारत का भला हुआ है। अपने कुशल तर्क, सुलझे तथ्य, शब्दों के अपने सही चयन और उनके तर्कों की प्रतिबद्धता ने वहाँ उपस्थित सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके भाषण की एक यूट्यूब विडियो काफी वाइरल भी हुई, और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके भाषण की तारीफ की। पर जिस राजनैतिक संस्था से शशि थरूर जुड़े हैं, वो राष्ट्रवाद से अब इतना विमुख हो चुका है, की पूछिये ही मत। अब तो शशि थरूर का वो भाषण इनकी नज़रों में किसी पाप से कम न होगा। उन्हे भारतियों की उपलब्धियों का गुणगान किया, जिसका डंका अंग्रेजों के भारत आगमन से पहले पूरे विश्व में बजता था। उन्होने इसका भी बखान किया की कैसे अंग्रेजों की वजह से  मानो भारत की समृद्धि को एक ग्रहण सा लग गया – कैसे अर्थव्यवस्था ढह गयी, कैसे सूखे और अकाल आम बात हो गयी, और कैसे समाज की प्रगति को रोका गया, इत्यादि।

जिसने ग़ुलामी के दंश के मसले पर भारत की बात को इतनी दक्षता से दुनिया के सामने रखा हो, ऐसे में ये हैरानी की बात है की इनकी भारत के इतिहास के सबसे काले दौर, यानि इस्लामिक शासन पर इनके बेतुके तर्क पर अभी तक कोई विशेष विरोध नहीं हुआ है, और न ही किसी का इस पर खून खौलता है। और कोई समय हो न हो, 12वीं से 18वीं सदी के बीच का समय अराजकता, अनंत युद्ध, सामाजिक दरिद्रता और आध्यात्मिक पतन का प्रतीक था भारतीय सभ्यता के लिए। शशि थरूर और उनके जैसे इतिहासकारों ने इनका चाहे जितना महिमामंडन किया हो, पर अधिकांश इस्लामिक शासक धूर्त, नीच और लुटेरे से ज्यादा कुछ नहीं थे।

अरबों का आप उदाहरण लीजिये, जिनहोने सिंध और पंजाब के कुछ हिस्सों पर 8वीं से 10वीं सदी के बीच आक्रमण किया। वो नियमित रूप से मंदिर लूटते, गैर मुस्लिमों पर कर लगाते और हमेशा लड़ाई भिड़ाई में मशगूल रहते। मुल्तान का सूर्य मंदिर की रक्षा अरब सिर्फ इसलिए करते थे, ताकि इससे वे हिंदुओं को अपने काबू में रख सके, ये धम्की देकर की पवित्र मूर्ति को नष्ट कर दिया जाएगा। इस मंदिर से राज्य को लगभग 30% का राजस्व भी मिलता था, जिसका इस्तेमाल ‘काफिरों’ के विरुद्ध युद्ध में किया जाता था। जब मंदिर का काम पूरा हो गया, तो उसे बड़ी बेरहमी से गिरा दिया गया।

नालंदा विश्वविद्यालय का भी आप उदाहरण ले सकते थे, जो पूरी तरह गैर लड़ाकों से भरा हुआ था, पर जिसे बख्तियार खिलजी ने बड़ी बेरहमी से जला दिया। जितने मंदिर और मस्जिद मुस्लिमों ने जलाए हैं, उनकी संख्या हजारों में होती है। बौद्ध और जैन धर्म का तो लगभग इसलामियों ने सफाया ही कर दिया। सनातन धर्म लगभग अपनी परछाई मात्र रह गयी थी, जिस पर अनावश्यक, रीतियों, रूढ़ियों और वर्जनाओं का ग्रहण सा लग गया था। सांस्कृतिक रूप से भारतीय सभ्यता इस्लामिक आक्रमणकारियों के आगे झुक सी गयी थी।

इन आक्रमणकारियों के लिए भारत सिर्फ इनकी तिजोरियाँ भरने के लिए एक अकूत ज़मीन थी।

इनकी वफादारी और इनकी पूजनीय वस्तुएँ मिडिल ईस्ट में स्थित थी, न की भारत में। इसलिए जब घजनावी के महमूद ने भारत पर आक्रमण किया, तो उन्होने सोमनाथ मंदिर बर्बाद कर दिया और उससे लूटा खजाना इनहोने अपने वतन, अफ़ग़ानिस्तान को वापस भेजा। यही कहानी मुहम्मद घोरी और अहमद शाह अब्दाली और नादिर शाह जैसे अनेक आक्रमणकारियों की थी, जिनहोने भारत में उत्तरी पश्चिम सीमा से आक्रमण किया।

यहाँ तक की मुग़ल, जिनके सुशासन की मिसालें दी जाती हैं, इन अरबों और तुर्कों से कहीं से भी अलग नहीं थे। राजपूत राज्यों पर निरंतर हमले होते रहते थे और राजपूत औरतों को मजबूरन मुस्लिम सैनिकों और मंत्रियों की बीवियाँ बनना पड़ता था। जौहर की रीति इसलिए इतनी कुख्यात हुई, क्योंकि राजपूत औरतें अपने आत्मसम्मान की बलि कतई नहीं चढ़ा सकती थी। दस प्रथा मुग़ल काल में भी व्याप्त रहती थी। जहाँगीर ने लगभग 2 लाख ग़ुलाम ईरान भेजे थे। लगभग सभी मुग़ल शासकों और मंत्रियों की विशाल हरमें होती थी, जहां हजारों दासियाँ रहती थी। यहाँ तक की टीपू सुल्तान, जिसे एक प्रकार के राष्ट्रवादी प्रतिबिंब के तौर पर देखा जाता है, ने हजारों हिंदुओं को पकड़कर उन्हे जबरन इस्लाम में परिवर्तित करवाया था। सभी इस्लामिक अभियान में लूट का थोड़ा सा हिस्सा खलीफा को भेजा था, और थोड़ा हिस्सा मक्का मदीना की तरफ जाता था। संक्षेप में कहें, तो जो भी लूट इस्लामिक शासक इकट्ठा करते थे, वो अपने गोद ली गयी भूमि के विकास के लिए तो कदापि नहीं करते थे।

ऐसे तो वैश्विक रूप से कितने हिन्दू आक्रमणकारी इस्लामिक शासकों द्वारा मारे गए हैं, इसका कोई लिखित उल्लेख नहीं है, पर अनुमान के मुताबिक आंकड़ा लाखों में दौड़ता है। कई हजारों को ग़ुलाम बना लिया गया, और कईयों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार हुआ।  हिंदुकुश [वास्तविक अर्थ ही है हिंदुओं का संहार करने वाला] पहाड़ों का नाम ही इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ कई हिन्दू, जिनहे ज़बरदस्ती अफ़ग़ानिस्तान और इस्लामी दुनिया के दूसरे हिस्सों में घसीटा जा रहा था, यहाँ मारे गए या वीरगति को प्राप्त हुये, अगर कोई इतने वीर थे तो। इसी मानव लागत में आप आक्रमण, विध्वंस और लूट की सामाग्री का अंकलन कीजिये। इसके साथ ही साथ सांस्कृतिक नुकसान का भी अनुमान लगा लीजिये। भारतीय सभ्यता अगर आज दबी कुचली सी दिखती है, तो इसी कारण। जिस समाज में महिलाओं को संतों और योद्धाओं की तरह पूजा जाता था, अब उन्हे पर्दे में रखने को विवश होना पड़ता है, और सम्मान के लिए कभी कभी उन्हे आग में भी झोंक दिया जाता है। भारत पर इस्लामिक आक्रमणों के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक लागत का अनुमान लगाना लगभग नामुमकिन समान है।

इसलिए श्रीमान शशि थरूर, अगर हम उन गलतियों का प्रायश्चित नहीं कर सकते, तो उन गलतियों को छुपाना भी कोई समझदारी का काम नहीं है।

सच तो यह है की अंग्रेजों के भारत आने से पहले ही भारत के ग़ुलामी की इबारत लिखी जानी शुरू हो गयी थी। ये तब हुआ था जब अरब आक्रमणकारियों ने सिंध पर 8वीं सदी में हमला किया था, और उसका असर अभी तक हमारे देश में दिखता है।

Tags: अंग्रेज़ शाशनइस्लामिक शाशनमुग़लमुग़ल कालमुस्लिम शाशनशशि थरूर
शेयर209ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

डरावने सच: 2000 से 2008 तक भारत में जो हुआ, सब कर्नल पुरोहित के बयानों से साफ़ होते हैं

अगली पोस्ट

ये है निर्मला सीतारमण के रक्षा मंत्रालय की रेस जीतने का सबसे बड़ा कारण

संबंधित पोस्ट

मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई
क्राइम

मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

23 October 2025

जब मां काली की मूर्ति का सिर काट दिया जाए और सत्ता मौन रह जाए, तो यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि सभ्यता और श्रद्धा...

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने
चर्चित

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

22 October 2025

बिहार की राजनीति इस वक्त फिर उसी पुराने मोड़ पर लौटती दिखाई दे रही है, जहां गठबंधन एकता का ढोल तो पीट रहा है, लेकिन...

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प
इतिहास

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

22 October 2025

गोरखपुर के पावन मंच से जब योगी आदित्यनाथ ने यह कहा कि राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को सबसे बड़ा झटका दिया है, तो यह...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

00:06:22

Why India’s 800-km BrahMos Is a Nightmare for Its Adversaries

00:06:22

The Congress Party’s War on India’s Soldiers: A History of Betrayal and Fear

00:07:39

How Bursting Firecrackers on Deepavali Is an Ancient Hindu Tradition & Not a Foreign Import

00:09:12

This is How Malabar Gold Betrayed Indians and Preferred a Pakistani

00:07:16
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited