TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अस्थिरता के साये में बांग्लादेश

    हिंसा और अस्थिरता के साये में बांग्लादेश: चुनाव से पहले बढ़ता संकट

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    अटल मोदी

    आंध्र प्रदेश में भाजपा का विस्तार अभियान: अटल–मोदी सुपारिपालन यात्रा की शुरुआत

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    nick fluentes

    कौन हैं निक फ्यूएंटेस और क्यों अमेरिका के लिए ख़तरा है उनका यहूदी-विरोध

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अस्थिरता के साये में बांग्लादेश

    हिंसा और अस्थिरता के साये में बांग्लादेश: चुनाव से पहले बढ़ता संकट

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    अटल मोदी

    आंध्र प्रदेश में भाजपा का विस्तार अभियान: अटल–मोदी सुपारिपालन यात्रा की शुरुआत

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    nick fluentes

    कौन हैं निक फ्यूएंटेस और क्यों अमेरिका के लिए ख़तरा है उनका यहूदी-विरोध

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

इन अद्भुत प्रमाणों को देखे और स्वयं निर्धारित करें कि आप अभी भी रामायण महाभारत को मिथ्या कहेंगे

Vasudeva Reddy द्वारा Vasudeva Reddy
26 August 2017
in संस्कृति
Ramayan and Mahabharat short Essay in Hindi
Share on FacebookShare on X

जिसे भी आज हम इतिहास कहते हैं, शायद भविष्य में वो मिथ्या होगी, और जिसे आज हम मिथ्या कहते हैं, वो किसी जमाने में इतिहास था। हाल ही में हावर्ड विश्वविद्यालय आने वाले सेमेस्टर में ‘इंडियन रेलीजियंस थ्रू थेर नेरेटिव लिटरेचर्स’ के शीर्षक वाले कोर्स में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों पर व्याख्यान देंगे।

कोर्स कोओर्डिनटोर एनी ई मोनियस के अनुसार, “भारतीय महाकाव्य काफी लंबे एवं जटिल विचारधाराओं से सम्बद्ध होते हैं, जो मानवता के हर कोण से संबन्धित हैं और उन्हे टटोलने का प्रयास करते हैं। जहां महाभारत युद्ध और उसके दुष्परिणामों पर आधारित एक महाकाव्य है, वहीं रामायण प्रेम की एक अनूठी गाथा है’ विडम्बना की बात देखिये, इसी बात को यकीन करने में सच मानने में हमारे पसीने छूट रहे हैं।

महाभारत का सच

संबंधितपोस्ट

अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी को भागवद्गीता की दृष्टि से देखने पर क्या मिलता है?

‘महाभारत में बीफ परोसने का उल्लेख’: जानें हिंदुत्व, रामायण, महाभारत और गीता को लेकर क्या थी नेहरू की राय?

धर्म बनाम रिलिजन: केवल आस्था नहीं, आचरण की बात

और लोड करें

रामायण और महाभारत जैसे प्रसिद्ध महाकाव्यों के ऐतिहासिक अस्तित्व पर लोगों या तो इसके पक्ष, या इसके विपक्ष में काफी मुखर रहते हैं। मैं नहीं जानता की आप किस वर्ग से आते हैं, पर मेरा तो यह मानना है की रामायण और महाभारत किनही अति काल्पनिक बुद्धियों की कोई अनोखी कृति मात्र नहीं हो सकती, यह कुछ अविश्वसनीय कथाओं का एक सच और अविस्मरनीय चित्रण है। ऐसा थोड़ी न होगा की हजारों चरित्रों से भरी महाभारत का सच कोई इतिहास नहीं होगा।

जब भी कोई कवि एक कथा बताता है, तो उसमें कुछ न कुछ स्वतन्त्रता तो अवश्य मिली होती है। कुछ चीजों को वो ज़्यादा तवज्जो देगा, और कुछ चीजों एवं तथ्यों को वो दरकिनार कर देगा। पर ये त्रासदी नहीं तो क्या है, की जिस देश में रामायण और महाभारत पाये जाते हैं, जिस भूमि पे अयोध्या, हस्तीनपुर, मिथिला, पांचाल, कोसल, और द्वारका, अंग, मगध, काशी, माद्र, चित्रकूट, किष्किंधा और कुरुक्षेत्र जैसे राज्यों का गौरव लहराया गया था, वहाँ ऐसे महाकाव्यों को मिथ्या कहा जाता है।

ये कुछ कारण हैं, जिनकी वजह से मैं महाभारत और रामायण को प्राचीन भारतीय इतिहास का एक अहम हिस्सा मानता हूँ, न की कुछ भटके हुये पश्चिमी विद्वानों की तरह मिथ्या अथवा पुराण।

Ramayana Mahabharata Harvard

जब आधुनिक मनुष्यों ने सैटेलाइट के जरिये अन्तरिक्ष से पृथ्वी की तस्वीरें लेना संभव किया, तो दुनिया को पता चला की एक ऐसा भी पुल है, जो भारत और श्री लंका को जोड़ता है, जिसे रामायण में राम सेतु के नाम से जाना भी जाता है।

सुंदरकाण्ड में तो यह उल्लेख भी है की हनुमान ने चार हाथियों को रावण के महलों की रक्षा करते देखा था, और सच में, ऐसे चार सूँड वाले हाथी वहाँ उस समय पाये गए थे, जिनहे आधुनिक वैज्ञानिक ‘गोम्फोथेरीदे’ के नाम से जानते हैं [यकीन नहीं होता तो गूगल में खोज निकालिए] जिस भी भौगोलिक बिन्दु का उल्लेख रामायण में किया गया है, उसमें कुछ भी मिथ्या नहीं है, और हम आज भी वो पथ ढूंढ सकते हैं, जिसपर चलकर प्रभु राम ने सीता हरण के बाद उन्हे खोजना शुरू किया था। हम बात कर रहे हैं 3000 ईसा पूर्व या उससे पहले, और शायद इतने सटीक तरीके से पूरे भारत का भ्रमण करना लगभग न के बराबर था, और उससे भी ज़्यादा कठिन था, उस पथ की प्रामाणिकता साबित करने के लिए राह में मंदिरों का निर्माण।

1975 में भारत के पुरातात्विक विभाग [आर्क्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया] ने हिन्दू बिन्दुओं के साथ बाबरी मस्जिद के पास 14 कसौटी पत्थर के स्तम्भ खोज निकाले। सम्राट अशोक श्रीराम के युग से जितने समीप थे, उतने शायद ही हम कभी हो सके, और उन्होने लुम्बिनी में स्तम्भ भी बनवाए, जहां उन्होने लुम्बिनी में श्री राम और गौतम बुद्ध के आगमन का बखान भी किया। इसका अर्थ है की उन्हें भी श्री राम के अस्तित्व में पूर्ण विश्वास था। सिर्फ इसलिए की वामपंथी इतिहासकारों ने काफी सारी रीतियाँ, इतिहास और पुरातात्विक अवशेषों को मिट्टी में मिलाया है, उससे इतिहास पुराण या मिथ्या नहीं बन जाएगा। किसी ने इलियाड में यकीन नहीं किया, जब तक गहन अनुसंधान के बाद ट्रॉय शहर की खोज नहीं हुई।

रामायण में श्रीराम की जन्मतिथि को कुछ इस प्रकार विस्तृत किया है:- “ श्री राम चैत्र मास के शुक्लपक्ष के नवमी की तिथि को धरती पर अवतरित हुये थे । उस समय चन्द्र का नक्षत्र पुनरवासू था, और सूर्य, मंगल, शनि, बुध, और शुक्र मेष, मकर, तुला, कर्क और मीन राशियों में स्थित थे। कर्क का लग्न था और बुध और चंद्र एक साथ चमक रहे थे।”  प्लानेटरियम सॉफ्टवेयर के अनुसार भगवान 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व को 12:30 बजे पैदा हुये थे।

इसी तरह के गणित और आंकड़े, जैसा महाभारत में अंकित है, का उपयोग करके पता चलता है की श्रीकृष्ण  21 जुलाई 3228 ईसा पूर्व को पैदा हुये थे। ये दो तिथियाँ कोई ऐसे वैसे आंकड़े तो हो नहीं सकते, क्योंकि हमें इतना तो अवश्य पता है की श्रीराम श्रीक़ृष्ण से पहले आते हैं। और सिर्फ एक तिथि को बताने के लिए ऐसे गृह और लग्नों की कल्पना नहीं की जा सकती। हाँ सॉफ्टवेयर के अनुसार असल तारीखों में कुछ अंतर होता है, पर वो बताए गए तिथियों से 100 आगे या पीछे नहीं हो सकता, और जब हम हजारों की बात करें न, तो सौ वर्ष सिर्फ एक मिनट समान लगते हैं।

महाभारत का सच Harvard
समुद्रमग्न द्वारका नगरी

मुझे तो समझ में भी नहीं आता की कहाँ से मैं शुरू करूँ, अगर आपको महाभारत पर ऐतिहासिक साक्ष्य देने की बात हो तो, वो तो इतने हैं, की उसी पर एक पूरी किताब बन जाये। मैं श्रीक़ृष्ण के राज्य, द्वारका से शुरू करता हूँ। 1983-1990 में जब तक समुद्र में इस अलौकिक राज्य की खोज नहीं हुई थी, तब इसे भी वामपंथी चश्मे के अनुसार एक काल्पनिक राज्य माना जाता था। हजारों साल तक लोग द्वारका को एक काल्पनिक नगर मानते थे, जबकि महाभारत के ही अनुसार वो हजारों वर्षों तक समुद्र में दबा हुआ था।

महाभारत के ही अनुसार एक विशाल बाढ़ में द्वारका डूब गया था और हमनें 1983 तक अंदर खोजने की मेहनत भी नहीं की, और ये सिर्फ द्वारका की बात नहीं, महाभारत में ऐसे 35 जगह अंकित है, जिनहे पुरातत्व विशेषज्ञों ने काफी मेहनत के बाद खोज निकाला। इंद्रप्रस्थ, हस्तिनापुर और महाभारत में अंकित बाकी जितने शहर बताए गए हैं, वो आज भी फल फूल रहे हैं। यूनानी इतिहासकार मेगास्थेनेस ने लिखा था की चन्द्रगुप्त श्री कृष्ण के वंश में 138वें सम्राट थे।

और फिर आता है कुरुक्षेत्र, जहां पर वो विशाल धर्मयुद्ध लड़ा गया था। हालांकि युद्ध की तारीख में कई मतभेद हैं, पर आज भी कई इतिहासकार इस बात से सहमत हैं की कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध संभवत 3102 ईसा पूर्व में लड़ा गया था। कुरुक्षेत्र में हाल ही में खुदाई में लोहे के तीर निकले थे, जिनहे मोलुमिनेंस टेस्ट के जरिये 3100 ईसा पूर्व के समय का बताया गया, जो कुरुक्षेत्र में हुये धर्मयुद्ध के बताए गए तारीखों के काफी करीब भी है।

रामायण और महाभारत, विशेषकर महाभारत में ब्रह्मास्त्र का विशेष उल्लेख मिलता है, जिसे आज हम लोग कई मानों में आधुनिक परमाणु बम की संज्ञा भी दे सकते हैं। महाभारत में ब्रह्मास्त्र का विवरण कुछ इस प्रकार है:- “ दस हज़ार सूर्यों के बराबर आग और धुएँ का धधकता गोला, अपने पूरे रौ में ऊपर चढ़ा। ये एक अपरिचित अस्त्र था, एक लोहे के वज्र के समान था, मृत्यु का एक विशाल दूत समान था, जिसने वृषणी और अंधकों के समूचे वंश का विनाश कर दिया। लाशें इस तरह जल गयी, की उन्हे पहचानना असंभव हो गया था’ हाल ही की खुदाई में कुरुक्षेत्र में कूचा इसे भी पत्थर भी पाये गए हैं, जिनपर हजारों वर्ष पहले परमाणु उर्जा की छाया पड़ी है।

Ramayana Mahabharata Harvard

हम मौर्य, गुप्त और ऐसी अन्य प्राचीन वंशों को इसलिए स्वीकारतें हैं क्योंकि यह यूनानी इतिहास के समकालीन थी। क्या यूनानियों से पहले हमारा कोई इतिहास नहीं था? क्या हमें अपने इतिहास पे सिर्फ इसलिए विश्वास नहीं होगा क्योंकि आधी दुनिया उस वक़्त पढ़ना या लिखना नहीं जानती थी। 400 साल पहले, हमें महाभारत और रामायण में को सच मानने में कोई दिक्कत नहीं थी। पर लगभग 250 वर्षों के गुलामी, वामपंथी विचारधारा और विषैले पुस्तकों ने हमें अपनी ही इतिहास की सार्थकता पर प्रश्न उठाने को विवश कर दिया है।

दुर्भाग्यवश भारत में हम आज भी इस बात पर बहस करते हैं की क्या रामायण या महाभारत सच में हुये थे, और महाभारत का सच ढूँढने का प्रयास मात्र भी नहीं करते। शायद वामपंथी इतिहासकार डरे हुये हैं की यदि असली साक्ष्य बाहर आ गए हैं, तो उनके वर्षों की यह झूठ का मायाजाल एक झटके में बिखर जाएगा। पुरातत्व के अस्तित्व का अभाव इतिहास को झुठलाने के लिए अब काफी नहीं है।

जैसा मैंने पहले कहा था, पुरातत्व के साक्ष्यों के अभाव का अर्थ यह नहीं है की उक्त इतिहास का कोई अस्तित्व ही नहीं। रामायण और महाभारत कोई मिथ्या नहीं, बल्कि इतिहास था, जो सच में हुये था।

Tags: महाभारतरामायण
शेयर1ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

ममता बैनर्जी को राजनीति का सबसे बड़ा सबक सिखा गए प्रधानमंत्री मोदी

अगली पोस्ट

डोकलाम में मिली भारत को ऐतिहासिक कूटनीतिक विजय, चीन का घमंड चूर-चूर

संबंधित पोस्ट

भारतीय दर्शन और संविधान
इतिहास

भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

2 December 2025

भारतीय ज्ञान परंपरा में नागरिकता (Citizenship) का विचार आधुनिक “राज्य–नागरिक” (State–Citizen) ढाँचे से भले अलग रहा हो, पर इसका इतिहास अत्यंत प्राचीन, समृद्ध और बहुआयामी...

तालोम रुकबो
इतिहास

अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

1 December 2025

कुछ ऐसे राष्ट्रनायक हुए हैं, जिनके योगदान को सामने लाने में इतिहास ने हमेशा कोताही बरती है। अरुणाचल प्रदेश के तालोम रुकबो भी उन्ही में...

26 नवंबर भारतीय संविधान दिवस
इतिहास

संविधान दिवस: भारतीय चिंतन परंपरा की दृष्टि से संविधान 

26 November 2025

भारत में संविधान दिवस  प्रतिवर्ष  26 नवंबर को मनाया जाता है। यह मात्र एक स्मृति-दिवस नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक क्षण का उत्सव है जब 1949...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited