कुछ तीखे सवाल जो हर गुजराती को राहुल गाँधी से पूछने चाहिए

कांग्रेस गुजरात राहुल गाँधी

गुजरात में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के चलते गुजरात की राजनीति रोज नयी करवट ले रही है | कांग्रेस अपने 22 वर्षों के वनवास को खत्म करने के लिए तरकश के सभी तीर आजमा रही है | कांग्रेस राज्यों की राजनीतिक बिसात देखकर ही अपने पत्ते खोलती रही है जहाँ बाकी राज्यों में राहुल गाँधी और कांग्रेस मंदिर और हिंदुत्व से परहेज करते रहे है वहीँ गुजरात में राहुल गाँधी मंदिरों में माथा टेकते घूम रहे है मतलब साफ़ है कांग्रेस की बाकी राज्यों की रणनीति गुजरात में धरी की धरी रह जाती है ऐसे में कांग्रेस भी अच्छे से जानती है जिस तरह से गुजरात के सामाजिक ताने-बाने में धर्म शामिल है, और मोदी-बीजेपी अपने परम्परागत तरीके से इसे समझमे माहिर है बल्कि खुद की आस्था से जोड़ रखा है तो आज के समय में शायद ही कांग्रेस इसे नज़रअंदाज़ करे | जहाँ एक ओर बीजेपी हिंदुत्व के अपनी विचारधरा से कभी समझौता करके चुनाव नहीं लडती दिखाई देती है वहीँ  कांग्रेस अपनी हिंदुत्व विरोधी विचारधारा को छोड़ गुजरात में हिंदुत्व के सहारे चुनाव में उतरना चाहती है | वह जो तमाम हथकंडे जो कांग्रेस बाकी राज्यों में इस्तेमाल करती रही है गुजरात में बदल दिए जाते है लेकिन यह सब कांग्रेस की दोहरी मानसिकता और विचारधारा को ही दर्शाता है|

गुजराती को बेवकूफ बनाना वैसे तो बड़ी मुश्किल बात है लेकिन अब जब राहुल गाँधी ने गुजरात में डेरा जमा रखा है तो हर गुजराती को उनसे ये सवाल ज़रूर पूछने चाहिए:

बाढ़ में गुजरातियों को छोड़ कर कर्नाटक क्यों भाग गए थे आपके विधायक?

जुलाई-अगस्त का महीना था, गुजरात भीषण बाढ़ से जूझ रहा था। बनासकांठा, गांधीनगर, पाटन, मोरबी, साबरकांठा और नया कई क्षेत्र बाढ़ के पानी में डूबे थे। तब कांग्रेस के निर्वाचित विधायक जिनका भरण-पोषण गुजरातियों के टैक्स से होता है, वो अपना राज्य छोड़ के कर्नाटक भाग गए थे। जब गुजरात की जनता दाने दाने को लालायित थी, तब कांग्रेस के विधायक एक पांच सितारा रीसोर्ट में दावत कर रहे थे। और वो भी किस लिए? ताकि कांग्रेस के वफादार और सोनिया के सिपहसलार अहमद पटेल के राज्य सभा के रास्ते में कोई विघ्न बाधा ना हो?

ये गद्दारी गुजराती नहीं भूलेंगे, और ये तस्वीर हमेशा याद रहेगी।

उत्तर प्रदेश में गुजरात के गधे और गुजरात में गुजरातियों की तारीफ क्यों?

कांग्रेस ने जहाँ 22 साल के वनवास को ख़त्म के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है वहीँ राहुल गाँधी भी पिछले कुछ दिनों से आक्रामक नजर आने लगे है | राहुल गुजरात में घूम घूम कर कभी गुजरातियों की तो कभी गुजरात की संस्कृति की तारीफों के पूल बांधते नजर आते है | गुजरात में आकर गुजरात का महिमा मंडन करने वाले यह वही राहुल है जो उत्तर प्रदेश चुनाव में गुजरात के गधे जैसे संबोधन में अखिलेश यादव के साथ खड़े नजर आये थे | अखिलेश यादव ने कहा था, ”गुजरात के लोग तो गुजरात के गधो का भी प्रचार करवा रहे हैं” | पुरे गुजरात की जनता को एक तरह से अपने अपने बयानों से आहत किया था जिसमे राहुल गाँधी भी बराबरी से शामिल थे | अपने इस बयां के लिय न राहुल गाँधी ने कभी गुजरातियों से माफ़ी मांगी न ही अखिलेश ने | अखिलेश तो खैर उत्तर प्रदेश राज्य तक सीमित है लेकिन राहुल की पार्टी जैसी राष्ट्रीय पार्टी को ऐसे बयान शोभा नहीं देते क्यूंकि आज उसी गुजरात में राहुल गाँधी गुजरातियों की तारीफ करते नहीं थक रहे है | जिस तरह गुजरात चुनाव के सर्वे के नतीजे बता रहे है कही न कहीं गुजरात की जनता कांग्रेस के इस ढोंग को भलीभांति समझ रही है |

केरल में गाय का मांस और गुजरात में कांग्रेस का हिंदुत्व क्यों?

केरल में गोवध करते यूथ कांग्रेस कार्यकर्ता (फोटो सोर्स ट्विटर)

आज गुजरात में हिंदुत्व का ढोंग रचाने वाली यह वही पार्टी है जिसके यूथ विंग के नेता केरल के कन्नूर में हिंदुत्व के आस्था के प्रतीक गाय को सरेआम रोड पर काट रहे थे और कांग्रेस मुंह पर ताला लगाये बैठी रही | केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार है। कांग्रेस का हिन्दू विरोध का यह पहला मौका नहीं था दशकों से कांग्रेस हिन्दू विरोधी रही है केरल में कांग्रेस का यह हिन्दू विरोध इतना बढ़ जाता है की वह के कांग्रेसी नेता सिर्फ बीजेपी और आरएसएस का विरोध करने के लिए गौमाता का कत्ल कर उसके मांस का भक्षण सेवन करते है | कांग्रेस ने सिर्फ गाय नही काटी बल्कि 100 करोड़ हिन्दुओं को चुनौती दी है । 100 करोड़ हिन्दुओ की को भावनाओं को भड़काने के काम किया है।

यही नहीं कांग्रेस और उसके सहायक पार्टियों के नेता, कार्यकर्ता बीफ फेस्ट जैसे कार्यक्रम का आयोजन करते रहे है जिसमें प्रमुखता से गौमांस का सेवन करते देखा गया है | कांग्रेस यही नहीं रुकती कांग्रेस के यह नेता रोड पर गाय को कटते हुए विडियो बनाते है और यह विडिओ सोशल मीडिया पर हिन्दुओं को मजाक बनाते हुए वायरल भी करते है मानो यह हिन्दुओं को चुनौती देरहे हो | हिन्दुओं की आस्था के साथ ऐसे खिलवाड़ करने वाली और हिन्दुओं हमेशा से आहत करने वाली कांग्रेस गुजरात में हिंदुत्व का राग अलाप रही है तो संदेह होना लाजमी है | यह सोंग भी कांग्रेस को शायद ही बचा पाएं गुजरात में क्योंकि गुजरात के ताने बाने हिंदुत्व बसा है ऐसे में भले ही कांग्रेस सब भूल गयी हो लेकिन गुजरात की जनता शायद ही कांग्रेस के हिंदुत्व विरोध को भुला पाए | कांग्रेस का यह दोहरापन एक ढोंग और पाखंड से ज्यादा कुछ नही है | क्योंकि कल फिर दूसरे राज्य में कांग्रेस हिंदुत्व विरोधी हो जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए |

दरअसल जातिवाद और हिंदुत्व विरोध की राजनीति करने वाले कांग्रेसियों को भलीभांति पता है की किस राज्य में क्या कहना है और क्या करना है | इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की पूरे देश भर में घूम-घूम कर गोधरा-काण्ड को मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस जिस गुजरात के गोधरा की बात कर रही थी वही गुजरात में कांग्रेस गोधरा का नाम तक नहीं लेती | मतलब कितना साफ है कांग्रेस राज्य देखकर अपनी विचारधारा बदल देती है | यानी कांग्रेस को न तो हिंदुत्व से कोई लेना देना है, हिन्दुओं की आस्था से और न ही किसी जाती से उन्हें तो बस किसी तरह चुनावों को जितना है इसलिए कभी वे हिंदुत्व विरोधी हो जाते है तो कभी हिंदुत्व की राह पर चलते नजर आते है | लेकिन गुजरात की जनता यह समझते देर नही लगेगी की यह कांग्रेस का दिखावा ही हो सकता है वरना तो कांग्रेस चुनाव जितने के लिए कश्मीर को भी आजाद करने में परहेज नही करेगी |

मंदिरों के सहारे हिन्दू वोट को साधने की कोशिश क्यों?

जिस तरह केजरीवाल के गले में मफलर दिखे तो समझो सर्दी ने दस्तक दिया है वैसे ही किसी राज्य में राहुल दिखे तो समझो राज्य में विधानसभा चुनाव होने है | राहुल गाँधी पिछले कुछ समय से गुजरात दौरे पर मतलब साफ़ है गुजरात में विधानसभा चुनाव पास है और राहुल गाँधी ने अब तक 16 से ज्यादा मंदिरों में माथा टेका है | खबर है कि पहाड़ी पर चामुंडा देवी के दर्शन के लिए राहुल गांधी एक हजार सीढ़ियां चढ़ गये – और वो भी महज 15 मिनट में | गुजरात दौरे के पहले दिन भी राहुल ने सौराष्ट्र के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन के साथ नवसृजन यात्रा की शुरुआत की थी | बड़ी अचम्भे वाली बात है कभी भगवा को आतंक करार देने वाली कांग्रेस के युवराज को आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए उसी भगवा के तले सर झुकाना पड़ रहा है |

एक वर्ष पहले तक देखे तो यही राहुल गाँधी “जो मंदिर जाता है वो लड़कियां छेड़ता है” जैसे बयान देनेवाले राहुल आज द्वारकाधीश में पूजा अर्चना कर हिंदुत्व की बात कर रहे है |

जब पुरोहित दादी इंदिरा के सन्देश पढ़कर सुनाते है तो भगवा आतंक की रचयिता उनकी पार्टी क्षण भर भी देर न करते हुए इसे अपनी परम्परा बता देती है और गुजरात में उसे तनिक मात्र भी डर नही होता है उस समाज का जिस के तुष्टिकरण के लिए उसने कभी देश को ताक पर रख दिया था | श्रीराम के अस्तित्व को नकारने वाले आज द्वारकाधीश को नतमस्तक है तो कई तरह आशंकाएं जन्म लेती है |

आखिर राहुल गांधी ने इतने मंदिरों की यात्रा क्यों की? आखिर राहुल गांधी मंदिरों में इतने पूजा-पाठ क्यों कर रहे हैं? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि राहुल गांधी को इससे पहले कभी मंदिरों में नहीं देखा गया | दरअसल मोदी के विकास की गंगा को भगवाकरण की राजनीति समझ कर आज राहुल गाँधी तुष्टिकरण की अपने परम कर्तव्य से समय निकाल कर मंदिरों में माथा टेकते घूम रहे है | दर असल ये मोदी के भारत के विश्व गुरु बनने की कल्पना मात्र है | आज राहुल गाँधी ये भली भांति समझ रहे है की वो जमाना भी गया जब सभी पार्टी मुस्लिम वोट लेने की होड़ मचाती थी | अब दशको से उपेक्षित हिन्दुओं का गुस्सा पार्टी को इस कदर महंगा पड़ रहा ही की कभी भगवा को आतंक करार देने वाली कांग्रेस के युवराज को आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए उसी भगवा के तले सर झुकाना पड़ रहा है | राहुल ये भली भांति जान रहे है आने वाले समय में सिर्फ एक धर्म विशेष के वोट लेकर चुनाव नहीं जीता जायेगा इसलिए मंदिर में माथा टेक हिन्दू ह्रदय में जगा बना अपनी राजनीति साधने का काम कर रही है कांग्रेस |

दरअसल, राहुल ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी पार्टी भी हिन्दुओं के धार्मिक महत्व को स्वीकार करती है | राहुल गांधी, मोदी और भाजपा के इस मॉडल की नकल कर उन्हें इस तरह सियासी टक्कर दे पाएंगे, ये कहना ग़लत होगा | मंदिरों में जाने का कांग्रेस के परंपरागत मुसलमान वोटर्स में कैसा राजनीतिक संदेश जाएगा, इस पर अभी विचार करना बाकी है | फिलहाल भाजपा के पद चिन्हों पर कदम रखते राहुल को हिन्दुओं की धार्मिक आस्था के सहारे गुजरात की कुर्सी साधने का प्रयोग करते देखना भी अच्छे दिन ही है | गुजरात जैसे समृद्ध राज्य की जनता कांग्रेसी ढोंग और दोगलेपन को समझने में कोई चुक करेगी ऐसा लगता नहीं है | देखना है कांग्रेस इस दिखावे से गुजरात की गद्दी साधने में कहाँ तक सफल होती है?

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