TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    विजयदशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    विजयदशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    शताब्दी विजयादशमी : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    शताब्दी समारोह : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    इजराइल-हमास के बीच सीजफायर समझौता

    क्या ‘टू स्टेट सॉल्यूशन’ के लिए आखिरी कील साबित होने वाली है ट्रम्प की शांति योजना?

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    “भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?”

    भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    विजयादशमी, राम की रावण पर विजय और भगवद्गीता में अर्जुन को दिए गए कृष्ण के उपदेश के माध्यम से चित्रित — जो धर्म पर अधर्म की शाश्वत विजय का प्रतीक है।

    अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी को भागवद्गीता की दृष्टि से देखने पर क्या मिलता है?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    विजयदशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    विजयदशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    शताब्दी विजयादशमी : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    शताब्दी समारोह : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    इजराइल-हमास के बीच सीजफायर समझौता

    क्या ‘टू स्टेट सॉल्यूशन’ के लिए आखिरी कील साबित होने वाली है ट्रम्प की शांति योजना?

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    “भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?”

    भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    विजयादशमी, राम की रावण पर विजय और भगवद्गीता में अर्जुन को दिए गए कृष्ण के उपदेश के माध्यम से चित्रित — जो धर्म पर अधर्म की शाश्वत विजय का प्रतीक है।

    अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी को भागवद्गीता की दृष्टि से देखने पर क्या मिलता है?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

क्या गाँधी वास्तव में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए खतरा थे?

Abhishek Mishra द्वारा Abhishek Mishra
4 December 2017
in इतिहास
गाँधी-ब्रिटिश-साम्राज्य

Lord and Lady Mountbatten with Gandhi

Share on FacebookShare on X

स्कूल के दिनों में हमने भारत को आजाद कराने वाले लोगों के संघर्ष के बारे में अध्ययन करते हुए, मोहनदास करमचन्द गाँधी के गुणगानों को भी सुना और पढ़ा है। “दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल” यह गीत उनकी प्रशंसा में लिखे गए सैंकड़ो गीतों में से एक है। गाँधी एक युगपुरुष से कम नहीं थे, वे अंग्रेजों के घोर-विरोधी थे और साम्राज्यवादी ताकतों से अपने देश की स्वतंत्रता छीनने का माद्दा रखते थे। लेकिन एक सवाल यह उठता है कि अगर भारत में गाँधी वास्तव में अंग्रेजों के लिए बहुत बड़ा खतरा थे तो अंग्रेज उन्हें अपने रास्ते से हटाना क्यों नहीं चाहते थे?

अंग्रेज अपने शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए नैतिक और अनैतिक दोनों तरीकों का प्रयोग करने के लिए जाने जाते थे। अगर वास्तव में अंग्रेजों को यह लगता कि गाँधी उनके रास्ते में बाधा हैं तो वे उन्हें आसानी से मार कर इस मुद्दे को हमेशा के लिए सुलझा सकते थे और इस बात को दबाने के लिए मीडिया भी उनके नियंत्रण में थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

संबंधितपोस्ट

लंदन में गांधी की प्रतिमा का अपमान- कोई नई बात नही, पहले भी हो चुके कई हमले! गांधीविरोध की क्या है वजह?

भारत विरोधियों की शरणस्थली बनता जा रहा लंदन, गांधी जयंती से पहले खालिस्तानी उपद्रवियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा तोड़ी, लिखा- ‘गांधी- मोदी आतंकवादी

कांग्रेस: औपनिवेशिक औजार से आपातकाल तक, भारत माता का अपमान

और लोड करें

आइए जानने की कोशिश करें ऐसा क्यों?

अंग्रेज भारत पर लंबे समय तक शासन करना चाहते थे। यूरोपीय देशों ने लाभ पाने के उद्देश्य से विश्वभर में उपनिवेश किया था। भारत में सस्ते श्रम, सस्ते कच्चे माल और एक बड़े बाजार की सुविधा उपलब्ध थी। इसलिए हम यह मान सकते हैं कि अंग्रेजों का इरादा भारत छोड़ने का बिलकुल नहीं था, वे चाहते थे कि ज्यादा से ज्यादा दिनों तक वे भारत पर शासन करें।

अंग्रेजों ने अपने रास्ते में बाधा बन रहे ऐसे किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा, जो उनके लक्ष्यों और मंसूबों के लिए खतरा थे। ख़ास तौर पर 20वीं शताब्दी में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए, उन्होंने पक्षपाती कानून, भ्रष्ट व्यवहार और अनैतिक तरीकों का प्रयोग करके राजनैतिक हत्याएं भी कीं। ब्रिटिश औपनिवेशिक इतिहास खून में लथपथ है। हम जानते हैं कि उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका या भारत में मूल आबादी का क्या हश्र हुआ था।

जैसा कि हमारे इतिहास की किताबें हमें बताती हैं कि भारत में गाँधी, ब्रिटिश साम्राज्य के लिए सबसे बड़ा खतरा थे।

अब इस तथ्य के आधार पर पहले दो बिंदु गलत साबित होते हैं। हम जानते हैं कि अंग्रेज भारत को छोड़ना नहीं चाहते थे और हम यह भी जानते हैं कि अंग्रेजों ने उनके रास्ते में अड़चनें पैदा कर रहे लोगों को बहुत ही आसानी से मार दिया था। लेकिन उन्होंने इसके लिए गाँधी को क्यों छोड़ दिया? जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाई और जो भारत में अंग्रेजी शासन के लिए सबसे बड़ा खतरा माने जाते थे।

इसका तार्किक स्पष्टीकरण केवल यह है कि वास्तव में गाँधी ब्रिटिश साम्राज्य के लिए कोई खतरा नहीं थे।

गाँधी को पाँच बार गिरफ्तार किया गया और उन्हें हर बार बहुत ही कम अवधि की सजा सुनाई गई थी, उनकी सबसे लंबी अवधि की सजा केवल छह साल की थी। इन पाँच बार में चार बार गाँधी जल्दी-जल्दी जेल जाते गए और अविश्वनीय रूप से पूरी सजा काटे बिना ही उन्हें रिहा कर दिया गया। जेल में समय बिताने की उनकी सबसे लंबी अवधि एक साल और दस महीने थी। कैसे अंग्रेज, उस व्यक्ति पर इतना दयावान हो सकते हैं, जिसे पूरा राष्ट्र अपनी आजादी के नायक के रूप में देखता था।

इसमें एक तर्क यह हो सकता है कि गाँधी ने कभी भी कोई कानून नहीं तोड़ा होगा, जिसके लिए उन्हें उम्र कैद या मौत की सजा सुनाई जाती। यह तर्क बिल्कुल गलत है क्योंकि गाँधी ने ऐसे कानून तोड़े थे, जिसके लिए आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान था, लेकिन सोचनीय बात तो यह है कि उनके ऊपर ऐसे कोई आरोप कभी लगाए ही नहीं गए। उदाहरण के लिए, महामहिम (या इंग्लैंण्ड के विरुद्ध) के खिलाफ युद्ध छेड़ना एक धारा थी जो लगभग हर स्वतंत्रता सेनानी पर लगायी गयी, इसमें भगत सिंह (जिन्होंने स्वेच्छा से समर्पण किया) और सावरकर जैसे लोग भी शामिल हैं।

सावरकर, ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के संदेह में विदेश में पकड़े गए थे। हालांकि जब ये भारत से निर्वासित किए जा रहे थे तो इन्होंने भागने की कोशिश की लेकिन ये पकड़े गए और इन्हें दो जन्मों के आजीवन करावास की सजा सुनाई गई। उनके चार्जशीट में “द क्राउन के खिलाफ युद्ध छेड़ने” का उल्लेख किया गया था। उन्हें दुनिया की सबसे खराब जेल काला पानी में भेजा गया, जहाँ कैदी प्रतिदिन अपनी मौत के लिए प्रार्थना करते थे। काला पानी में ग्यारह वर्षों की सजा के बाद उन्हें इस शर्त पर छोड़ दिया गया था कि अब वह भारतीय राजनीति और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे।

गाँधी को कभी भी इन स्वतंत्रता सेनानियों की तरह सजा नहीं दी गई। बल्कि वह तय अवधि से पहले ही, बिना किसी शर्त के जेल से रिहा कर दिए जाते थे। अगर अंग्रेजों का उद्देश्य भारत न छोड़ने का था और यह भी स्पष्ट था कि गाँधी जी अहिंसक होकर लड़ रहे थे लेकिन फिर भी ये अंग्रेंजों के खिलाफ एक शक्तिशाली युद्ध था, तब भी अंग्रेजों ने कुछ क्यों नहीं किया? गाँधी के नेतृत्व वाला असहयोग आन्दोलन जो कि देशद्रोह के आरोपों का समर्थन करता था फिर भी वे सभी चुपचाप क्यों बैठे रहे और उन्होंने गाँधी द्वारा उनको बाहर क्यों निकालने दिया?

काला पानी की सजा का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्वतंत्रता सेनानियों को रोकने के लिए किया जाता था, ताकि लोग उनके बारे में भूल जाएं, क्योंकि उन्हें मारने से वे लोगों के दिलों में शहीद हो जाते थे, जिससे लोग और अधिक हिंसक हो जाते थे। लेकिन गाँधी पर कभी भी देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया गया और न हीं उन्हें काला पानी भेजा गया।

गाँधी को एक राजनीतिक कठपुतली कहना निश्चित रूप से अनुचित होगा, लेकिन ऐसा लगता है कि अंग्रेजों ने उन्हें अपने लाभ के लिए उपयोग करने का तरीका ढूँढ़ लिया था। मुझे पूरा भरोसा है कि गाँधी जैसे चतुर, नीतिकुशल और दूरदर्शी राजनीतिज्ञ को ये ज़रूर पता चल गया होगा कि अंग्रेजी हुकूमत उनके साथ अलग सा व्यवहार कर रही है।

गाँधी ने जनता की राय को प्रभावित किया और फांसी या काला पानी के भय के बिना स्वतंत्रता संग्राम में डटकर लड़ते रहे। यह काफी उल्लेखनीय है। फिर उन्होंने एक मामूली घटना की वजह से असहयोग आंदोलन समाप्त कर दिया, जिसकी आलोचना सुभाष चंद्र बोस सहित कई स्वतंत्रता सेनानियों ने की।

यह अच्छी तरह से ज्ञात है कि गाँधी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की सहायता करते थे और अफ्रीका के मूल निवासियों के स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ लड़े थे। उन्होंने भारतीय सैनिको को विश्व युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। इतिहासकारों ने हमेशा यह बताने असहजता महसूस की  है कि शांति और अहिंसा के दूत ब्रिटिश सेना के लिए भर्ती क्यों कर रहे थे?

क्या गाँधी एक अवसरवादी नेता हो सकते हैं जिनको अंग्रेजों से मदद मिली? 1920 के दशक के दौरान जब गाँधी से इस बारे में पूछा गया तो गाँधी ने विपरीत प्रतिक्रिया व्यक्त की।

उन्हें अंग्रेज शासित भारत के द्वारा केसर-ए-हिंद पदक से सम्मानित किया गया था। एक तरफ उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन किया वहीँ दूसरी ओर और अंग्रेजों के लिए लड़ने के लिए लोगों की भर्ती की (1917-1919)। हमें यह याद रखना चाहिए कि अंग्रेजों ने भारतीय लोगों को सबसे खराब मोर्चे पर भेज दिया था, जहाँ मरने की संभावना बहुत अधिक थी। ज़ाहिर सी बात है कि वे अंग्रेजों को पहले नहीं मरने दे सकते थे!

अंग्रेज हमेशा अपने अधीन किसी राज्य में होने वाले हिंसक विद्रोह के भय में जीवन व्यतीत करते थे। अमेरिका अंग्रेजों की अधीनता से एक हिंसक संघर्ष के माध्यम से १७७६ में आजाद हुआ था। १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम भी एक इसी तरह का एक विद्रोह था, अंग्रेजों ने अपना भविष्य देख लिया कि यदि अगर अगला ऐसा ही कोई भीषण आंदोलन हुआ तो वह भारत में और अधिक टिक नहीं पाएंगे। ऐसे में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी जो जनता की विचारधारा को बदलकर उनके गुस्से को भटका कर उनका नेतृत्व करे और उनको अहिंसा के रास्ते पर ले जा सके।

हिंसक संघर्ष का मतलब था कि ब्रिटिश राज एक ही महीने के अन्दर साफ़ हो जाता। क्रन्तिकारी यही करना चाहते थे लेकिन गाँधी द्वारा युवाओं को क्रांतिकारियों का अनुसरण न करने के लिए प्रेरित करके उन्हें लगातार कमजोर करने का प्रयास किया गया। इसके लिए गाँधी ने अंग्रेजो के हिंसक अत्याचारों पे बहुत कम बोला लेकिन क्रांतिकारियों के हिंसक संघर्ष पे बोलने के लिए उनके पास बहुत कुछ था।

ये बिल्कुल स्पष्ट था कि अंग्रेज़ चाहते थे कि गाँधी जहाँ तक संभव हो सके, भारतीयों को शांत रखें। जिससे कि आज़ादी को जितने लम्बे समय तक संभव हो, टाला जा सके। गाँधी के उपवासों ने अंग्रेजों पे असर डाला, इसलिए नहीं कि अंग्रेजों को गाँधी की मौत का डर था बल्कि इसलिए कि गाँधी की मौत के बाद भारत में हिंसक संघर्ष शुरू हो जायेगा। स्वयं गाँधी भी इस बात से भलीभांति परिचित थे कि काफी हद तक उन्होंने अपना ये ढोंग कायम भी इसीलिए रखा था। वास्तव में गाँधी का उपवास, हिंसा की एक धमकी थी। उनके समर्थकों द्वारा ये तर्क दिया गया की सशस्त्र संघर्ष से आज़ादी तो मिल जाएगी लेकिन लोकतंत्र बहाल नहीं हो पायेगा और एकता का भी अभाव रहेगा। अमेरिका भी एक हिंसक संघर्ष के बाद पचास राज्यों के संयुक्त देश लोकतंत्र के रूप में स्थापित हुआ।

अंग्रेज़ गाँधी को जिस जगह देखना चाहते थे गाँधी ठीक वहीं पर थे। उन्होंने जानबूझकर या अनजाने में जो कुछ भी किया उससे ब्रिटिश राज को यहाँ बने रहने में मदद मिली। अंग्रेजों को, गाँधी पर राज द्रोह लगाकर कालापानी जेल भेजने, फांसी देने, या उन्हें गुप्त तरीके से मार देने की भी आवश्यकता नहीं थी। उनकी हत्या या फांसी देश को संघर्ष की तरफ धकेल सकती था लेकिन उन्हें कालापानी जेल भेजने से ऐसा कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता, फिर भी अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया। हमें जिस व्यक्ति के बारे में ये पढाया गया कि उन्होंने विश्व के सबसे बड़े साम्राज्य को घुटनों टेकने को मजबूर कर दिया, वो अंग्रेजों के लिए संभवतः कोई खतरा थे ही नहीं। जो लोग वास्तव में उनके लिए खतरा थे उन्हें या तो फांसी दी गयी, गोली मारी गयी, गुप्त तरीके से हत्या कर दी गयी या बहुत लम्बे समय के लिए कारावास की सजा के लिए भेज दिया गया।

एक वकील होने के नाते गाँधी ब्रिटिश कानूनों और नौकरशाही को लगभग सभी भारतीयों से बेहतर समझते थे, जिसे उन्होंने निश्चित तौर पर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। आमजनता में गाँधी वो गाँधी हैं ही नहीं जिन्हें हम लोगों ने जाना और पढ़ा है। उनकी कहानी को उन लोगों ने बदल दिया जो लोग स्वतंत्रता के बाद सत्ता में आये। इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा गया है। उनकी गलतियों की अनदेखी की गई, उनके अतीत को मिटा दिया गया, उनके पाखंड को इतिहास से हटा दिया गया और गाँधी को भारत का राष्ट्रपिता घोषित कर दिया गया। इसका एक उदाहरण है “गाँधी” फिल्म का बनना, जिसे भारतीय राजकोष द्वारा एक तिहाई वित्त पोषित किया गया था। इंदिरा गाँधी और कांग्रेस के प्रमुखतम व्यक्ति इस फिल्म के प्रोडक्शन से पहले के प्रमुख बिन्दुओं के निर्धारण के समय मौजूद थे। कथानक उन्होंने चुना था इसलिए दुनिया ने सिर्फ वही जाना जिसे वे चाहते थे कि दुनिया जाने।

अतः क्या गाँधी वास्तव में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए खतरा थे? क्या उन्होंने वास्तव में हमें आजादी दिलवाई जैसा कि हमारी पाठ्यपुस्तकों में दावा किया जाता है? क्या उन्होंने अंग्रेजों की सहायता की थी जिसकी वज़ह से अंग्रेज़ उनको नहीं हटा सके? इस निबंध को पढने के बाद आपकी ये जिम्मेदारी बनती है कि आप भी सब कुछ समझने के बाद उत्तर ढूंढें कि क्या गाँधी हमारे लिए खड़े थे या नहीं खड़े थे। आगे और भी सवाल पूछना न भूलें।

Tags: गाँधीब्रिटिश साम्राज्यमहात्मा गाँधी
शेयर908ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

हम्मीर सिंह सिसोदिया: वह राजपूत योद्धा जिसने समूचे राजपुताना के गौरव को पुनर्स्थापित किया

अगली पोस्ट

सैनिटरी नैपकिन पर 12% जीएसटी के पीछे का गणित

संबंधित पोस्ट

कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़
इतिहास

कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

4 October 2025

आज ही के दिन भारत के महान नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने इतिहास रचा जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पहली बार हिंदी में...

भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा
इतिहास

भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

4 October 2025

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुल्ला अमीर खान मुत्तकी अगले हफ्ते रूस और भारत का दौरा करेंगे। यह यात्रा पाकिस्तान को उनकी यात्रा पर रोक लगाने...

देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें
इतिहास

देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

3 October 2025

भारत की धरती पर कई किले हैं और हर किले की अपनी एक अलग कहानी है। इन्ही किलों में से एक है ग्वालियर क्षेत्र का...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why Are Kashmir’s So-Called Leaders Silent on Pakistan’s Brutality in PoK?

Why Are Kashmir’s So-Called Leaders Silent on Pakistan’s Brutality in PoK?

00:06:23

How Pakistan Air Force was Grounded by IAF During 'Operation Sindoor'?

00:06:03

Narrative War in UP: Why Ecosystem Fears Yogi’s Bulldozer of Truth

00:06:53

Why Electoral Roll Purification Is India’s National Priority? | Special Intensive Revision |

00:08:22

How Congress acted as BRITISH RAJ’S B-TEAM and Continues that legacy?

00:07:48
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited