भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने सीबीआई जज लोया मौत के मामले में राजनीतिक षड्यंत्र का खुलासा किया। जज लोया मौत मामले की जांच याचिका ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत और राजनीतिक एजेंडा के लिए पीआईएल क्षेत्राधिकार के दुरूपयोग पर निराशा भी व्यक्त की। पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जजों पर भी इस याचिका की सुनवाई के दौरान किये गये व्यक्तिगत हमले पर चिंता जाहिर की।
इस मामले में बीजेपी की प्राकृतिक और न्यायसंगत मांग पूरी हुई है। जज लोया मौत के मामले पर राजनीतिकरण करने वाली पार्टियों ने बीजेपी राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा, जिससे वो अपना राजनीतिक स्कोर बढ़ाना चाहती थीं। वहीं, इस मामले में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया और कहा कि कांग्रेस, कम्युनिस्ट और कुछ मीडिया हाउस की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पोल खुल गयी है जो इस मामले पर राजनीति कर देश की जनता को बहकाने की कोशिश कर रहे थे और अमित शाह जी पर झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस याचिका से अपना राजनीतिक हित साधने वालों को बेनकाब कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस पर एक के बाद एक कड़े वार किये। उन्होंने मांग की कि राहुल गांधी को इस तरह का झूठ फ़ैलाने के लिए देश की जनता से माफ़ी मंगनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने देश भर में सरकार के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस के माफ़ी मांगने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विवाद के बीच न्यायपालिका की प्रतिष्ठा पर भी बुरा असर पड़ा है।
सत्यमेव जयते!
My take on Hon Supreme Court's Judgement on #JudgeLoya case!
Now Congress ( @INCIndia ), Communist parties,their allies & some media houses MUST apologise to our Nation for spreading such utter lies against our National President @AmitShah ji!#SCJudgementSlamsCong pic.twitter.com/TljWNYhWNv— Devendra Fadnavis (Modi Ka Parivar) (@Dev_Fadnavis) April 19, 2018
तथ्य ये है कि इस याचिका को शीर्ष अदालत की पिछली सुनवाई से पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने एक मुखौटा कहा था। इससे साफ़ हो जाता है कि महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह सही थी।10 मार्च को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट कहा था कि राजनीति के अलावा न्यायमूर्ति लोया की मौत में कोई सच्चाई नहीं है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल, वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इंगित किया था कि लोया मौत के समय मौजूद चार जजों ने लिखित रूप से बयान दिया था कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई थी। उन्होंने आगे कहा था कि पोस्ट मोर्टम की रिपोर्ट ने साफ कर दिया था कि जज लोया की मौत अस्पताल ले जाते वक्त हुई थी। कल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी द्वारा पेश किये गये सबूतों पर मोहर लगा दी। इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता और सरकार के टकराव के बीच में विपक्ष को तब बड़ा झटका लगा जब प्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे ने ये सुझाव दिया था कि सीबीआई जज लोया मौत के समय मौजूद चार जजों की उपस्थिति की भी कोर्ट के समक्ष जांच की जाएगी। सभी माननीय न्यायाधीशों के खिलाफ उठा रहे सवालों की पृष्ठभूमि पर हरीश साल्वे ने पूरे प्रभाव के साथ जांच की बात कही थी। इस प्रकार महाराष्ट्र सरकार ने खुद इस झूठे याचिका के पीछे की राजनीतिक साजिश का खुलासा किया था।
ये शर्मनाक है कि कैसे सबूतों के आभाव के बावजूद मीडिया ने इस मामले पर 22 खबरें दिखाई और वहीं दूसरी तरफ पूरे विपक्ष ने मीडिया ट्रायल के दौरान बीजेपी अध्यक्ष को दोषी ठहराया।
जज लोया मौत मामले में कोई असंगति नहीं थी और ये समझ से बाहर है कि कैसे इस मामले में राजनीतिक फायदे के लिए साजिश रची गयी थी। अब जज लोया हमारे बीच नहीं हैं और उनसे जुड़े सवालों को छोड़ देते हैं, समाचार व्यापारी, विपक्ष और याचिकाकर्ताओं ने लोया के परिवार के बारे में भी नहीं सोचा। जस्टिस लोया के बेटे अनुज लोया के स्पष्ट कहा था की उनके पिता की मृत्यु के पीछे कोई साजिश नहीं है इसके बावजूद अपने एजेंडे के लिए इस मामले को और बढ़ाया गया। आंखों में भरे आंसुओं के साथ उसने गैर सरकारी संगठनों और राजनेताओं से अनुरोध किया था कि, “उसे और उसके परिवार को बार-बार परेशान करना बंद करें।“ उसने आगे कहा था, “हमें राजनेताओं और गैर सरकारी संगठनों से दबाव का सामना करना पड़ा है। हम किसी का नाम नहीं लेना चाहते लेकिन कृपया मेरे पिता के बारे में बार-बार सवाल करके हमें परेशान करना बंद करें।” ये दुःख की बात है कि एक परिवार जो अपने प्रियजन के जाने के दर्द से उबरने की कोशिश कर रहा हो उससे अपने राजनीतिक फायदे के लिए बार-बार सवाल करके परेशान किया गया।
अब ये अनिवार्य हो जाता है कि जिन्होंने जज लोया मौत मामले में बड़े पैमाने पर प्रोपेगंडा और झूठ का सहारा लेकर सिस्टम का फायदा उठाया और देश को गुमराह करने की कोशिश की वो पूरे देश से माफ़ी मांगे, न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचने के लिए और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि मृतक के परिवार को परेशान करने के लिए माफ़ी मांगे।