अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र के एक सवाल ने कांग्रेस को ऐसी स्थिति में डाल दिया कि वो अपने ही जाल में फंस गयी। दरअसल, एक छात्र ने कांग्रेस नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से एक सवाल पूछा था और इस सवाल ने खुर्शीद को आश्चर्यचकित कर दिया। सलमान खुर्शीद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के डॉ. बीआर अंबेडकर हॉल में आयोजित वार्षिकोत्सव में पहुंचे थे जहां उन्होंने छात्रों से संवाद किया। इस दौरान एक छात्र ने उनसे सवाल पूछा कि कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के खून के जो धब्बे हैं, इन धब्बों को आप किन हाथों से धोना चाहेंगे? छात्र ने कांग्रेस के शासन के दौरान हुए दंगों पर सवाल किया था। उसने दंगों की एक लम्बी सूची का भी उल्लेख किया जिसमें कांग्रेस के शासन के दौरान हुए हसनपुरा, मालिआना और मुजफ्फरनगर दंगे भी शामिल थे। छात्र ने कांग्रेस के शासन में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का भी का भी उल्लेख किया। और कहा कि कांग्रेस के हाथ खून से रंगे हैं। छात्र ने सलमान खुर्शीद से पूछा क्या उनके अल्फाज़ कांग्रेस के पापों को धो सकते हैं?
इन सवालों से सलमान खुर्शीद बहुत ही गंभीर हो गये और जल्द ही संवाद को खत्म करने की कोशिश करते हुए नजर आये। सलमान खुर्शीद ने माना कि कांग्रेस के दामन पर मुस्लिमों के खून के धब्बे हैं। हालांकि, उसी दौरान वो इस सवाल से बचते हुए भी नजर आये थे। उन्होंने तर्क दिया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कांग्रेस अतीत में कितनी दोषी थी फिर भी जब कोई मुसलमानों पर हमला करता है तो उसके पास उनकी रक्षा करने का अधिकार है। बाद में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मीडिया से बातचीत के दौरान इस बयान पर इंसानियत का तमगा लगा दिया। उन्होंने कहा कि ये बयान उन्होंने इंसान होने के नाते दिया था। वैसे ये तो बस बहाना है जो अक्सर वामपंथी बुद्धिजीवी मुश्किल हालातों में देते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर फिर कभी भविष्य में कभी ऐसे हालात बने तब भी मैं ऐसा ही करूँगा और मैंने जो किया वो पार्टी के बचाव में किया।
सलमान खुर्शीद न सिर्फ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं बल्कि एक लोकप्रिय मुस्लिम नेता भी हैं। बल्कि उन्हें मुस्लिम समाज का बुद्धिजीवी भी माना जाता है। कांग्रेस और मुस्लिम प्रतिनिधित्व होने के नाते उनके द्वारा दिए गये बयान को भारत के मुस्लिम गंभीरता से लेते हैं। हालांकि, खुर्शीद ने ये तर्क देने की कोशिश भी की कि उन्होंने ये बयान इंसान होने के नाते दिया है, जिससे कांग्रेस का दोहरा रूप भी सामने आया है। भले ही कांग्रेस खुद को मुस्लिम अधिकारों के प्रमुख समर्थक के रूप में चित्रित करने की कोशिश करती है, फिर भी उसकी नाक के नीचे बहुत से दंगे भी हुए हैं। यही नहीं, मुस्लिमों के पिछड़ेपन के पीछे कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दरअसल, 2006 में संसद के समक्ष पेश की गयी सच्चर समिति की रिपोर्ट में भारत के मुस्लिमों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति बताई गयी थी, रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से मुसलमानों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया था। रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि मुसलमान पिछड़ेपन के मामले में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से भी नीचे हैं। उनकी प्रति व्यक्ति आय भी बाकि समुदायों में सबसे कम थी। इसके अलावा उनकी प्रति व्यक्ति आय भी बाकि समुदायों में सबसे कम थी। वास्तव में, ये आय कुल मुसलमानों से भी 50 प्रतिशत कम थी। 2006 की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के राज्य में मुस्लिम हमेशा ही पिछड़े और गरीब रहे हैं। कांग्रेस के दामन में न सिर्फ मुस्लिमों का खून लगा है बल्कि वो मुस्लिमों को आर्थिक और सामाजिक तौर पर गरीब स्थिति में रखने की भी दोषी है। जबकि आज कांग्रेस मुसलमानों के संरक्षक के रूप में अपना ही मजाक उड़ाती है, जिनमें से हजारों को संरक्षण के नाम पर निर्दयतापूर्वक कुचल दिया गया था। सरकार ने मुसलमानों का व्यवस्थित रूप से दमन किया है। कांग्रेस दिखाती है कि दंगों में एकमात्र 2002 का ही दंगा है जिसमें मुस्लिमों को हिंसा का सामना करना पड़ा था, जबकि वास्तविकता ये है कि कांग्रेस शासन के दौरान कई जानलेवा दंगे हुए थे। चलिए इसे छोड़ देते हैं, अब जरा कांग्रेस ये बताये कि आखिर क्यों तत्कालीन सरकार के शासन में मुस्लिम डर कर रहा करते थे? कांग्रेस ने मुस्लिमों के प्रति अपनी अक्षमता और उदासीनता के लिए कभी माफ़ी नहीं मांगी और न ही उसे कोई पछतावा है।
हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि कर्नाटक चुनाव अब जल्द ही शुरू होने वाले है। ऐसे में सलमान खुर्शीद ने अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कांग्रेस अब इस बयान से अपना पल्ला झाड़ती हुई नजर आएगी। लेकिन सलमान खुर्शीद ने कहा कि, ‘मैं कांग्रेस पार्टी का हूं। मैं कांग्रेस पार्टी का बचाव कर रहा था। जो भी मैंने कहा मैं वही बार बार कहूंगा, ये बयान मैंने इंसान होने के नाते दिया है।‘ उनके इस बयान ने कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
इस बयान से देश की बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी के प्रति मुस्लिमों की सोच प्रभावित ज़रूर होगी। कांग्रेस पहले ही मुस्लिम मतों के बटवारे का सामना कर रही थी और अब इस बयान से कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं। आने वाले कर्नाटक चुनावों और अगले साल होने वाले आम चुनावों में कांग्रेस मुस्लिम मतों की बैंकिंग करने की पूरी कोशिश कर रही है। दुर्भाग्यवश, लगता है जब कांग्रेस को मुस्लिम वोटों की बहुत आवश्यकता है तब कांग्रेस अपनी कोशिशों से आगे बढ़ने की बजाय एक कदम और पीछे चली गयी है। ऐसा लगता है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र द्वारा पूछे गये एक सवाल ने कांग्रेस की अल्पसंख्यक छवि की सच्चाई को सामने रख दिया है जोकि कांग्रेस वर्षों से अपने प्रोपेगंडा के तहत इस छवि को बनाने की कोशिश करती आई है।