अप्सरा मूर्ति भारत आने वाली है
अमेरिका के संग्रहालय में रखी ‘अप्सरा’ नामक एक हजार साल पुरानी एंटीक मूर्ति को जल्द ही भारत में वापस लाने की तैयारी शुरू हो गयी है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अनुसार अप्सरा मूर्ति 10वीं शताब्दी की है।
अप्सरा मूर्ति की चोरी मध्य युग में नहीं बल्कि दो दशक पहले राजस्थान के सीकर के बाड़ौली गांव के एक शिव मंदिर से 1998 में हुई थी। वर्षों से अमेरिकी सरकार के साथ मंत्रालय की विस्तृत चर्चा के बाद अब इस बहुमूल्य प्राचीन अप्सरा मूर्ति को भारत वापस लाने की योजना बनाई जा रही है। अभी ये एंटीक अप्सरा मूर्ति अमेरिका के लॉस एंजिल्स संग्रहालय में रखी हुई है।
गौरतलब है कि, हाल ही में एक और बहुमूल्य नटराज की प्राचीन मूर्ति को भी यूके ने वापस लौटाने के लिए हामी भरी है जिसे राजस्थान के उसी शिव मंदिर से चोरी किया गया था।
वर्तमान में, अप्सरा की एंटीक मूर्ति को अमेरिका के संग्रहालय में रखा जाता है और डेली पायोनियर के मुताबिक जल्द ही विदेश मंत्रालय के अधिकारी अमेरिका जायेंगे जहां वो इस प्राचीन अप्सरा मूर्ति से जुड़ी कुछ प्रक्रिया को पूरा करने के बाद वापस लायेंगे।
प्राचीन भारतीय मूर्तियां विदेशों में ऊँचे दामों में बिकती है
1970 के यूनेस्को कन्वेंशन के अनुसार अप्सरा मूर्ति को बीते तीन सालों में देश में वापस लाये गए 18 मूल्यवान प्राचीन धरोहरों की सूची में किया गया है। 1970 में यूनेस्को कन्वेंशन ने सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाये जाने के लिए राष्ट्रिय कानून में क़ानूनी और राजनीतिक उपकरण को लागू करने और समय समय पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अनुमति प्रदान की थी। यह जरुरी है कि संग्रहालयों को प्राचीन धरोहरों को प्राप्त करने के दौरान उचित परिश्रम और उचित मूल्यांकन करना चाहिए। हालांकि, यह मुश्किल से ही पालन किया जाता है।
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और फ्रांस जैसे देशों की सहमती के बाद जो 18 ऐतिहासिक एंटीक मूर्तियां भारत वापस लायी गयी थी इनमें मशहूर योगिनी वृषणना, पैरेट लेडी और उमा परमेश्वरी की एंटीक मूर्तियां शामिल हैं।
हालांकि, केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा उन चुनिंदा लोगों में से हैं जो मीडिया में अपने विवादित बयानों की वजह से अक्सर विवादों में घिरे हुए नजर आते हैं लेकिन उनके प्रयास इन विवादों से कहीं ज्यादा हैं। हाल ही में लोकसभा में दिए उनके एक लिखित उत्तर में महेश शर्मा ने कहा था, हाल ही में यूएस, ब्रिटेन (3) और ऑस्ट्रेलिया (2) और कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, हॉलैंड, और फ्रांस जैसे देशों से वर्षो पुरानी 7 एंटीक वस्तुओं को भारत वापस लाया गया।
कई मूर्तियां तस्करी करके विदेश भेजी जाती है
वर्षों से पुरानी राष्ट्रीय नीतियां ही प्राचीन धरोहरों के अवैध व्यापार को रोकने की अक्षमता का एक प्रमुख कारण रही हैं और जांच एजेंसियों ने प्राचीन धरोहरों को वापस लाने में बहुत कम या बिल्कुल न के बराबर सहयोग दिया है।
2017 में द प्रिंट की एक रिपोर्ट में प्रकाशित डाटा चौंकाने वाले थे। इस रिपोर्ट में पुरातत्व सर्वेक्षण भारत (एएसआई) ने कहा है कि, 2014 के बाद से, भारत सरकार ने दुनिया भर से 24 भारतीय प्राचीन धरोहरों को पुनः प्राप्त किया है जो 2009 से 2014 के बीच में या तो चुराई गयी थीं या उनकी तस्करी की गई थी।
वर्ष 1976- 2013 के बीच, कुल 13 प्राचीन धरोहरों को देश में वापस लाया गया, जबकि 2004 और 2009 के बीच कोई भी प्राचीन धरोहर वापस नहीं लायी गयी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वभर के नेताओं से मिलना और उन तक पहुंचना भी मूर्तियों को वापस लाने का एक प्रमुख कारण रहा है।
जब 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने यूएस का दौरा किया था तब यूएस ने 200 प्राचीन वस्तुओं को भारत को लौटने के लिए सहमती व्यक्त की थी। हालांकि, अभी तक सिर्फ 16 एंटीक वस्तुएं ही वापस लायी गयी हैं, उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री और मंत्रालय के प्रयासों से अधिक एंटीक वस्तुएं वापस आ जाएंगी।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने 900 वर्ष पुराने कांस्य “नृत्य करते शिव” को वापस सौंप दिया था जिसे तस्कर भारत से ले गए थे।
कई मूर्तियां समय समय पर भारत आती रही है
अन्य कलाकृतियां जो भारत में वापस लौटी हैं उनमें योगिनी वृषणना का नाम भी शामिल है जिसे 2013 में पेरिस से वापस लाया गया था, जबकि तमिलनाडु से चोरी हुए अर्धनारीश्वर की एंटीक मूर्ति को 2014 में ऑस्ट्रेलिया से वापस लाया गया था।
900 वर्ष पुरानी भारतीय बलुआ पत्थर की मूर्ति जो ‘पैरोट लेडी’ के नाम से मशहूर है, इस एंटीक मूर्ति को कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2015 में सौंप दिया था। वर्ष 2015 में जर्मनी ने जम्मू-कश्मीर से लापता हुई की मर्हिषासुरमर्दिनी की मूर्ति को भारत को लौटा दिया था, इसके अलावा 2015 में ही सिंगापूर ने उमा परमेश्वरी की मूर्ति को लौटाया था।
सालों से प्राचीन वस्तुओं के प्रति सरकार और राजनीति का उदासीन रवैया ही इनकी लूट का मुख्य कारण रहा है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 2000-2016 के बीच संरक्षित स्मारकों से 101 प्राचीन वस्तुओं को चुराया गया था। यह अधिकारियों द्वारा सुरक्षा और अस्वस्थता की कमी को उजागर करता है।
इससे पहले इसी वर्ष कर्नाटक के एक एनएसयूआई नेता अशटन सेक्वीरा को 5 अन्य लोगों के साथ चोरी कर और जैन तीर्थंकरों की प्राचीन मूर्तियों को करोड़ रुपए में बेचने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
गौर हो कि, सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी की बहन के ऊपर इटली में भारत से चुराई गई प्राचीन धरोहरें और एंटीक सामानों की दुकान चलाने के गंभीर आरोप लगाये थे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था, ”वह एंटीक जो सोनिया गांधी की बहन बेचती हैं वे भारत से चुराई गयी हैं। जर्मनी से एंटीक डीलर सुभाष चंद्र कपूर के प्रत्यर्पण के पीछे भी प्राचीन धरोहरों की चोरी ही वजह है।