एक ऐसी तस्वीर जो सौ शब्दों के बराबर है और बिना कहे ही बहुत कुछ कहती है। कुछ ऐसा ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हो रहा है। दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है। व्यक्तिगत और पेशेवर क्षमता में जिन्ना शायद ही एक आदर्श व्यक्ति था। इन सबसे दूर उसने एक ऐसी आग को हवा दी जिसने भारत को धर्म के नाम पर बांट दिया था। जिन्ना जो सिगार और शराब का आनंद ले रहा था उसने मुस्लिमों के लिए एक अलग देश के निर्माण की मांग का नेतृत्व किया था। वो एक ऐसा देश चाहता था जिसपर वो शासन कर सके और हुआ भी ऐसा ही उसकी अलग देश की मांग ने एक नए देश पाकिस्तान का निर्माण किया। वो एक चतुर राजनेता था जिसे सिर्फ शासन से मतलब था, धर्म और लोगों की भावना उसके लिए कोई मायने नहीं रखती थी। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों के जीवन को जो क्षति हुई थी उसके लिए अंग्रेजों के साथ साथ जिन्ना भी दोषी था। जिन्ना की सत्ता की भूख धर्म के नाम पर देश को बांटने में कामयाब रही थी। इस महत्वाकांक्षा की विडंबना ये थी कि कई मुसलमानों ने भारत में रहने का फैसला किया, जबकि विभाजन के बाद भी पाकिस्तान से कई लोग भारत वापस लौट आये। जिन्ना की बेटी ने मुस्लिम की बजाय एक पारसी से शादी की और बंटवारे के बाद पाकिस्तान में रहने के बजाय भारत आकर रहने लगी। जिन्ना की अपनी ही बेटी ने भारत को चुनकर उसकी विभाजन नीति को ख़ारिज कर दिया था।
एएमयू से जुड़ी एक घटना तब प्रकाश में आई जब सांसद सतीश गौतम ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर छात्रसंघ भवन में जिन्ना की तस्वीर पर स्पष्टीकरण मांगा था। इस तस्वीर के बचाव में विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रफेसर शैफी किदवई का जवाब चौंकाने वाला था। शैफी किदवई ने कहा कि, छात्रसंघ भवन में महान शख्सियतों की तस्वीर लगाना विश्वविद्यालय की बहुत पुरानी परंपरा है। उन्होंने आगे कहा कि जिन्ना विश्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य थे और उन्हें विश्वविद्यालय छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी। जिन्ना की तस्वीर पर अपना स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, सी राजगोपालाचारी, सरोजिनी नायडू और सी.वी रमन जैसे महान शख्सियतों की तस्वीर भी एएमयू के छात्रसंघ भवन में लगाई गयी है। इन सभी महान शख्सियतों को एएमयू छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता का सम्मान दिया गया है।
जिन्ना की तस्वीर के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देने की उत्सुकता में एएमयू के प्रवक्ता ये भूल गये कि महात्मा गांधी और सरोजनी नायडू में जिन्ना एकमात्र ऐसा नाम है जो बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या और उनपर अत्याचार के लिए दोषी था। एएमयू के भवन में लगाई गयी सभी शख्सियतों की तस्वीरों में से कोई भी नेता ऐसा नहीं है जिनपर धर्म के नाम पर देश को बांटने का आरोप लगाया जा सके। ये शर्मनाक है कि एक ऐसा नेता जिसने भारत के टुकड़े किये उसकी तस्वीर विश्वविद्यालय के भवन में लगाई गयी है जो भारतीय करदाताओं के पैसे से चलता है।
एएमयू के प्रवक्ता की प्रतिक्रिया जिन्ना की तस्वीर को कहीं बाहर ले जाकर उसे दफना देने जैसी होनी चाहिए थी। भारतीय छात्रों को एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर की पूजा नहीं करनी चाहिए जिसने अपने लालच के लिए देश के टुकड़े किये हो। फरवरी 2018 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस – आईसीसीआर) ने राजनयिक कार्यक्रमों के लिए मुंबई में स्थित जिन्ना के पूर्व निवास का पुनर्निर्माण और उपयोग करने का फैसला लिया था जोकि एक ज्वलंत उदाहरण के रूप में लिया जाना चाहिए। पाकिस्तान सरकार चाहती थी कि जिन्ना के घर को पाकिस्तान में स्थानांतरित कर दिया जाए जिसके बाद आईसीसीआर ने जिन्ना के पूर्व निवास का पुनर्निर्माण करने का निर्णय लिया था। साउथ कोर्ट नाम की संपत्ति का नवीनीकरण किया गया है और भारतीय सरकार द्वारा राजनयिक उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग किया जाएगा। एएमयू छात्रों के साथ प्रशासन को जिन्ना की तस्वीर छात्रसंग भवन में लगाने से पहले इन सभी पहलुओं पर एक बार गौर जरुर करना चाहिए था। इस तस्वीर को लगाने के लिए जो दलीलें दी गयी हैं वो अपनेआप में बेतुका और हास्यास्पद है, जो आश्चर्यचकित भी करता है कि कांग्रेस और अन्य पार्टी के नेता बीते वर्षों में क्या कर रहे थे। उन्होंने एक नामी शैक्षिक संस्थान में एक हत्यारे की तस्वीर को प्रदर्शित करने के खिलाफ कोई कदम क्यों नहीं उठाया ? इस पूरे मामले में हमें इंतजार है कि कांग्रेस क्या प्रतिक्रिया देगी और इसपर एएमयू छात्र निकाय आगे क्या करने वाला है।