दिल्ली सरकार ने 12 वीं के सीबीएसई परीक्षाओं में दिल्ली छात्रों द्वारा शानदार प्रदर्शन का राजनीतिक श्रेय लेने का कोई मौका नहीं छोड़ा। वहीं, दिल्ली छात्रों द्वारा 10 वीं के सीबीएसई परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन ने केजरीवाल सरकार के तहत दिल्ली में शिक्षा प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
ये सच है कि 12 वीं के सीबीएसई परीक्षाओं में दिल्ली के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। ये भी सच है कि इस वर्ष कुल मिलाकर प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन सरकारी स्कूलों का रहा है और कुल पास प्रतिशत में वृद्धि हुई है। हालांकि छात्रों की कड़ी मेहनत का पूरा श्रेय आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा लेना अनुचित है। मुख्यधारा की मीडिया ने इसे बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया, दिल्ली सरकार की पूर्व शिक्षा सलाहकार आतिशी मार्लेना ने छात्रों की उपलब्धि का पूरा श्रेय दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी को देने की कोशिश की। मनीष सिसोदिया और आतिशी मार्लेना को व्यापक रूप से एक नए युग का अग्रदूत माना जाता था और उन्हें इस सफलता के लिए श्रेय दिया गया।
Fantastic performance by Delhi govt schools in Class 12; the 90.64% result is 2.37% better than our own performance last year, and 7.6% higher than national CBSE average! Who would have thought this was possible?!
— Atishi (@AtishiAAP) May 26, 2018
दिल्ली सरकार 10वीं के नतीजों के बारे में बात नहीं कर रही है। दिल्ली क्षेत्र का प्रतिशत सबसे खराब रहा है। दिल्ली में सीबीएसई के 10वीं का पास प्रतिशत महज 78.60 फीसदी रहा जो औसत पास प्रतिशत 86.70% से भी नीचे है। अफसोस की बात है कि, 10वीं के नतीजों में प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले दिल्ली के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन 73.46% के साथ खराब रहा। मुख्यधारा की मीडिया जो सीबीएसई के 12वीं कक्षा के नतीजों के बाद दिल्ली सरकार का गुणगान कर रही थी शायद ही कभी सीबीएसई के 10वीं कक्षा के नतीजों पर संज्ञान लिया।
सीबीएसई के 12वीं कक्षा के नतीजे आने के बाद ऐसा लगता है कि दिल्ली में शिक्षा क्षेत्र के संबंध में एक नया अध्याय शुरू किया गया था। हालांकि, सीबीएसई के 10वीं कक्षा के नतीजों ने सच को सामने रख दिया। पास प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से नीचे है। केजरीवाल के शासन में दिल्ली जो देश की राजधानी है सबसे खराब प्रदर्शन के साथ उभरी है। ये कोई समान्य बात नहीं है बल्कि एक चिंताजनक विकास है। दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में और दिल्ली सरकार की नीतियों में कुछ तो गलत है जिस वजह से प्रदर्शन में भारी गिरावट देखी गयी। पास प्रतिशत का 80 फीसदी से भी कम होना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। इस स्तर पर लगभग एक चौथाई छात्रों का फेल होना शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है।
Today Delhi got worst #CBSE10THResult2018 in 10 yrs
22% students failed in Delhi
Kejriwal, Sisodia & Marlena treated Students and Teachers as Lab Rats
10वीं कक्षा रिजल्ट पास प्रतिशत👇
थिरुवनन्तपुरम- 99.60%
चेन्नई- 97.37%
अजमेर- 91.86%
ऑल इंडिया- 86.70%
दिल्ली- 78.62%
— Kapil Mishra (Modi Ka Pariwar) (@KapilMishra_IND) May 29, 2018
ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि 12वीं के सीबीएसई छात्रों की कड़ी मेहनत के लिए दिल्ली सरकार लगातार राजनीतिक लाभ के लिए अपनी प्रशंसा कर रही है। कोई भी सीबीएसई के 10वीं के छात्रों के बुरे प्रदर्शन की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है और न ही दिल्ली सरकार इस विषय पर कुछ बोल रही है। सीबीएसई के 12वीं कक्षा के शानदार प्रदर्शन के लिए केजरीवाल श्रेय के योग्य हैं भी या नहीं इस बारे में भी कोई नहीं बोल रहा, हालांकि सीबीएसई के 10वीं के बुरे प्रदर्शन पर उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए था। राजनीतिक नेतृत्व का मतलब सफलता का श्रेय लेना नहीं होता है बल्कि विफलताओं की जिम्मेदारी लेना भी होता है। केजरीवाल सरकार 12वीं के सीबीएसई के नतीजों से अपना प्रोपेगेंडा साधने में व्यस्त है, ऐसा लगता है कि दिल्ली के युवा देश के बाकि राज्यों के छात्रों से कहीं ज्यादा पीछे रह गये हैं।