कर्नाटक में बीजेपी के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के साथ जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन राज्य में सरकार बनाने के लिए लगभग तैयार है। कर्नाटक में जनता का जनादेश एकमत नहीं था जिस वजह से किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। हालांकि, बीजेपी एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बहुमत से आठ कदम दूर थी। जनादेश कांग्रेस के खिलाफ था इसके बावजूद चुनाव के बाद कांग्रेस जेडीएस के साथ गठबंधन कर सत्ता में वापसी के लिए तैयार है। पिछले चुनावों की तुलना में इस बार कांग्रेस ने 45 सीटें गंवा दीं वहीं, जेडीएस को पिछली बार की तुलना में दो सीटें कम मिलीं हैं। कर्नाटक में कांग्रेस के खिलाफ जहां भी जेडीएस ने चुनाव लड़ा वहां जीत दर्ज की। जेडीएस ने मुख्य रूप से कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था। कांग्रेस-जेडीएस का गठबंधन कर्नाटक मतदाताओं के जनादेश के उल्लंघन के बराबर है। जैसे ही बीएस येदियुरप्पा ने अपने इस्तीफे की घोषणा की वैसे ही गठबंधन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तटीय कर्नाटक में बहुसंख्यक समुदाय को बीजेपी का समर्थन और मतदान करने के लिए लक्षित करना शुरू कर दिया। दरअसल, तटीय कर्नाटक में बीजेपी ने 19 सीटें जीती हैं।
COASTAL KARNATAKA (19 seats)
BJP – gains 13 seats(from 3 in 2013 to 16 in 2018)
Congress- lost 10 seats (from 13 in 2013 to 3 in 2018)
JD(S)- 0 seatsMANDATE BJP 👍 pic.twitter.com/eErNCiwu34
— Sambit Patra (Modi Ka Parivar) (@sambitswaraj) May 16, 2018
जिसने भी बीजेपी को वोट दिया और समर्थन किया उनके खिलाफ गठबंधन की पार्टी में शत्रुता की भावना बढ़ गयी है। तटीय कर्नाटक वो क्षेत्र है जहां कट्टरपंथी तत्वों को पूरी आजादी थी। तटीय कर्नाटक अक्सर ही सांप्रदायिक संघर्ष का गवाह रहा है। पिछले साल दिसंबर में तटीय कर्नाटक के एक शहर में हुए सांप्रदायिक संघर्ष में 50 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
राहत पाने और सांप्रदायिक कांग्रेस सरकार से छुटकारा पाने के लिए बहुसंख्यक समुदाय ने बीजेपी को बड़े पैमाने पर वोट दिया लेकिन फिर भी कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए तैयार है। कांग्रेस-जेडीएस पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा मनाये गये जश्न के दौरान बहुसंख्यक समुदाय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और बीजेपी के राज्य नेता येदियुरप्पा के खिलाफ नारेबाजी की गयी। बहुमत के खिलाफ जेडीएस और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा की गयी नारेबाजी इतनी अभद्र और अपमानजनक थी कि उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं को जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया, परिणामस्वरूप इस टकराव में दो लोग घायल हो गये जिनका गांव के एक अस्पताल में इलाज किया गया। कर्नाटक में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा कोई नयी बात नहीं है। वास्तव में, जो हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करते हैं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उनके खिलाफ मुकदमे वापस ले लिया करते थे। 2015 में सिद्धारमैया ने 1600 पीएफआई और केएफडी (एक और कट्टरपंथी समूह) कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों को वापस ले लिया था। चुनाव से पहले, उनकी सरकार ने मुसलमानों पर से सांप्रदायिक मामलों को वापस लेने की घोषणा की थी।
कांग्रेस-जेडीएस ने राज्य में उथल-पुथल पैदा की क्योंकि कर्नाटक में येदियुरप्पा ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। अल्पसंख्यक समुदाय के एक लड़के ने मंगलौर शहर में स्थित कांग्रेस कार्यालय के पास बीजेपी की हार का जश्न मनाते हुए प्रो-पाकिस्तान के नारे लगाये। जबकि मिली जानकारी के मुताबिक, पूर्व विधायक आर लोबो और मंगलौर शहर कॉर्पोरेशन के पूर्व नगरसेवक पद्मनाभ अमीन समेत कुछ कांग्रेस नेता इस समारोहों में उपस्थित थे लेकिन पाकिस्तान के समर्थन में हुई नारेबाजी पर मूक दर्शक बने रहे।
स्वराज के मुताबिक, विटला के मंगल पाडु गांव में अज्ञात व्यक्तियों पर एक विशेष समुदाय से संबंधित राजनीतिक दल के कार्यकर्ता होने का संदेह है जिसने बहुसंख्यक समुदाय के परिवार पर हमला किया था। इस हमले में दो महिला समेत तीन लोगों को चोट आई थी। ये हिंसा कांग्रेस-जेडीएस कार्यकर्ताओं द्वारा मनाये गये जीत के जश्न के दौरान हुआ है। हालांकि, कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि जब पुलिस ने हिंसा के दौरान जुटी भीड़ को फैलाना शुरू किया तब परिवार के सदस्यों को लगी चोट की एक अलग तस्वीर उभर कर सामने आई।
ये सभी रैलियां, जीत का जुलूस, बाइक रैलियां और हिंसा तब किये जा रहे थे जब शहर और जिले 19 मई से तीन दिनों के लिए निषिद्ध आदेश के अधीन था। मैंगलुरु के सांसद नलिन कुमार ने कहा, “जोखिम कारक अब बढ़ गये हैं क्योंकि अब जेडीएस-कांग्रेस के दबंगों ने बहुसंख्यकों के खिलाफ हाथ मिला लिया है। अगर पुलिस इनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाती तो हम भी चुप नहीं बैठेंगे।