बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के बीच दरार की सभी अफवाहों को खारिज करते हुए एक बयान दिया है। काफी समय से जेडीयू और बीजेपी के बीच मतभेदों की खबरें चर्चा में थीं। नितीश कुमार के बयान ने कांग्रेस और आरजेडी नेताओं की बोलती बंद कर दी है जो दोनों सहयोगियों के बीच संभावित दरार की खुशियां मना रहे थे। सोमवार को लोक संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, सीट और इससे संबंधित मुद्दे को लेकर अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है। जब चुनाव पास होंगे तब सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत होगी। सीट साझा और एनडीए के साथ मदभेदों की खबरों को लेकर ये नितीश का पहला बयान है। उनके इस बयान ने जेडीयू के भीतर विभिन्न नेताओं द्वारा उठाये जा रहे सभी सवालों और अटकलों को ख़ारिज कर दिया है।
नितीश कुमार ने सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही खबरें और अफवाह के लिए कांग्रेस और आरजेडी जैसे दलों को दोषी ठहराया है। सीएम नितीश कुमार ने स्पष्ट किया कि, हम साथ मिलकर काम कर रहे हैं और सरकार चला रहे हैं। कोई भी देख सकता है कि दोनों दलों के बीच कोई विवाद नहीं है। कुछ लोगों की आदत होती है (पब्लिसिटी के लिए) ऐसे बयान बनाने की। नितीश कुमार का बयान दर्शाता है कि उन्होंने अब एनडीए को अंतिम गंतव्य के रूप में स्वीकार कर लिया है। उन्होंने पार्टी के प्रवक्ताओं में से एक के बयान पर भी सफाई दी जिसमें कहा गया था कि आने वाले चुनावों में जेडीयू को ज्यादा सीटें आवंटित की जायेंगी। जेडीयू पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने अपने बयान में कहा था कि “बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए का चेहरा हैं क्योंकि वह सबसे ऊंचे नेता हैं और बीजेपी, एलजेपी, आरएलएसपी को उनके नेतृत्व में एलएस चुनाव में जाना होगा।” जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने था कि, “राज्य में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए गठबंधन के दलों में कोई भ्रम नहीं है। जेडीयू 25 सीटों पर और बीजेपी 15 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कुछ और दल हमारे साथ जुड़े हैं तो पार्टी के सभी शीर्ष नेता तय करेंगे कि उन्हें कितनी सीट देनी है। बिहार में नीतीश कुमार ही एनडीए गठबंधन का चेहरा होंगे।”
इस तरह के कई बयानों ने आरजेडी और कांग्रेस को अफवाह फैलाने का मौका दिया है कि जेडीयू और एनडीए में दरार आ गयी है। नितीश कुमार एक चतुर नेता और अच्छे रणनीतिकार हैं। उन्हें पता है कि वो अतीत में पहले ही जितना हो सकता है फायदा उठा चुके हैं ऐसे में वो आरजेडी और कांग्रेस के साथ वापस कभी नहीं जाना चाहेंगे। इसके अलावा अगर वो अकेले चुनाव लड़ने की सोचते हैं तो बिहार में उन्हें आरजेडी-कांग्रेस और बीजेपी दोनों के खिलाफ लड़ना होगा ऐसे में उनके हिस्से में बहुत कम ही सीटें जायेंगी। इस तरह कि स्थिति में बीजेपी को 2019 में भी लाभ मिलेगा जैसे कि 2014 में मिला था। नितीश ऐसा खतरा तो कभी नहीं उठाएंगे। उधर राष्ट्रीय लोक समित पार्टी (आरएलएसपी) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी आगामी चुनावों में एनडीए के साथ रहने के फैसले पर कायम हैं। जेडीयू और आरएलएसपी 2019 में कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के लिए चिंतित होंगे ऐसे में वो बीजेपी के साथ रहना ही ज्यादा उचित समझते हैं। नितीश कुमार ने अपने बयान से एक तीर से दो निशाने लगाये हैं जिससे एनडीए के मनोबल को बढ़ावा मिला है और आने वाले चुनावों में कांग्रेस की उम्मीदों को जोर का झटका लगा है।