भारतीय मीडिया को फेक न्यूज़, एजेंडा और झूठे आक्रोश के खेल में स्वर्ण पदक आसानी से जीत सकती है। और ऐसा ही कुछ एक बार फिर से मुख्यधरा की मीडिया ने किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के जगन्नाथ मंदिर की यात्रा को लेकर एक विवाद पैदा करने की पूरी कोशिश की है। तीन महीने पहले राष्ट्रपति अपनी पत्नी और देश की ‘फर्स्ट लेडी’ के साथ ओडिशा के पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन के लिए गये थे। अब अचानक उनकी यात्रा के तीन महीने बाद मीडिया हाउस ने जगन्नाथ मंदिर के पुजारी द्वारा राष्ट्रपति कोविंद के साथ दुर्व्यवहार करने की बात कही और ये तक कहा कि उनकी पत्नी के साथ भी मंदिर के कुछ सेवादारों द्वारा कथित तौर पर उनके साथ बदसलूकी की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 मार्च को मंदिर प्रबंधन कमिटी की बैठक का ब्योरा मीडिया सामने आया है जिसमें कहा गया है कि, ” मंदिर के गर्भगृह के पास राष्ट्रपति का मार्ग सेवादारों के एक समूह द्वारा अवरूद्ध कर दिया गया था और उनकी पत्नी जो भारतवर्ष की ‘फर्स्ट लेडी’ हैं उन्हें धक्का दिया गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये भी आरोप लगाया गया है कि, जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रदीप्त कुमार मोहपात्रा ने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ मंदिर में असुविधा का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस मामले में उन्होंने आगे कोई भी टिपन्नी करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, “हमने कुछ दिनों पहले मंदिर प्रबंधन समिति के साथ इस मामले पर चर्चा की थी और फिलहाल इस घटना की जांच की जा रही है।”
ये भी आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रपति को रत्न सिंहासन (जिस पर प्रभु जगन्नाथ विराजमान होते हैं) पर माथा टेकने से रोका गया था। वहीं, मीडिया ने ये भी पुष्टि की थी कि राष्ट्रपति या उनके कार्यालय से इस मामले को लेकर अभी तक कोई शिकायत नहीं की गयी है।
वहीं इस पूरे मामले में जगन्नाथ मंदिर की यात्रा के दौरान वहां मौजूद पुजारी ने राष्ट्रपति कोविंद और उनकी पत्नी के साथ किसी भी दुर्व्यवहार की खबर को खारिज कर दिया। उनके अनुसार, “22 मार्च को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और उनकी पत्नी जगन्नाथ पुरी मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। हम उनके साथ थे और किसी ने भी उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया था।“
उन्होंने दुर्व्यवहार के सभी आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि, “3 महीने बाद श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के पूर्व प्रमुख प्रदीप जेना और डीएम पुरी ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति भवन से शिकायत मिली है जिसमें सेवायतों (पंडाओं) ने राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार किया था। ये आरोप निराधार हैं, हमने प्रदीप जेना और डीएम पुरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है।”
‘रत्न सिंहासन’ (जिस पर प्रभु जगन्नाथ विराजमान होते हैं) पर माथा टेकने के लिए रोके जाने की कोई शिकायत नहीं मिली है क्योंकि पूरे विश्व में सिर्फ तीन लोगों को ही ‘रत्न सिंहासन’ पर माथा टेकने का अधिकार है, मुख्य पुजारी, गजपति महाराज और नेपाल के राजा। जाहिर है कि राष्ट्रपति को को भी माथा टेकने की अनुमति नहीं दी गयी थी। बाद में, मंदिर के पुजारी ने ने उन्हें कारण भी बताया होगा और वो बताये गये कारणों से सहमत भी हो गये होंगे इसीलिए उन्होंने इस मामले में कोई शिकायत नहीं की थी। इसके बावजूद मीडिया ने इस मामले को तुल दिया और एक अलग ही खिचड़ी पकानी शुरू कर दी और इस मामले से एक नए विवाद को जन्म देने की पूरी कोशिश की है।
मीडिया द्वारा इस तरह की झूठी खबर बनाने के पीछे दो कारण रहे होंगे। पहला मीडिया ये संकेत देने की कोशिश में थी कि राष्ट्रपति कोविंद दलित समुदाय से हैं जिस कारण उनके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया गया था। मीडिया इस जातिय कोण को 2019 के आम चुनाव से पूर्व सार्वजनिक करके बीजेपी से दलित समर्थन को अलग करना चाहती होगी। दूसरा, हिंदू-विरोधी मीडिया हिंदू धर्म को नकारात्मक रूप में पेश करना चाहती है और ऐसा करके वो ये दिखाना चाहती है कि उनके धार्मिक तीर्थस्थलों में से मशहूर एक मंदिर में भारत के राष्ट्रपति के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया। लेकिन राजनीतिक तौर पर बज और हिंदुत्व पर वार करने के बीच वो गलत तथ्यों और आधारहीन आरोपों के साथ आज सामने आ गये हैं।