वित्त मंत्री अरुण जेटली पर दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगाने के बाद क्रिकेट से राजनेता बने कीर्ति आजाद को बीजेपी ने निलंबित कर दिया था। अरुण जेटली ने इसी मामले में केजरीवाल पर मुकदमा दायर किया था, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डीडीसीए घोटाले को लेकर उनपर गंभीर आरोप लगाये थे तब अरुण जेटली ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इसी मामले में बाद में चलकर अपने झूठे आरोपों को साबित न कर पाने की वजह से अरविंद केजरीवाल ने जेटली से माफ़ी मांगी थी। वहीं, दूसरी ओर कीर्ति आजाद भाग्यशाली हैं कि उन्हें बस निलंबित करके छोड़ दिया गया।
निलंबित होने के बाद कीर्ति आजाद ने कई बार कोशिश की बीजेपी के वरिष्ठ नेता से मुलकात करके अपने कृत्य का विवरण दे सकें। हालांकि, उनके इस तरह के व्यवहार को किसी ने अहमियत नहीं दी। मोदी-शाह की जोड़ी कैसे पार्टी के विरोधी नेताओं से निपटती है ये उसी का उदाहरण है। वो इस तरह के आधारहीन आलोचनाओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते और शांत रहकर उन्हें सही उपचार देते हैं। कीर्ति आजाद ने उम्मीद की थी कि मोदी-शाह की जोड़ी समझौता करेगी लेकिन उनकी उम्मीदों के विपरीत उन्हें मुंह की खानी पड़ी।
बीजेपी का ध्यान अपनी ओर करने के अपने कई विफल प्रयासों के बाद अब निलंबित सांसद कीर्ति आजाद ने संकेत दे दिया है कि वो 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। बीजेपी के लिए अच्छा ही है कि एक औसत क्रिकेटर जो भाग्यशाली था कि वो 1983 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा था और राजनेता के तौर पर औसत से भी नीचे रहे नेता ने पार्टी को छोड़ दिया। आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, राहुल गांधी आम लोगों से संबंधित कई मुद्दों को बहुत प्रभावी ढंग से उठा रहे हैं। राहुल के कुशल नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी काफी तेजी से आगे बढ़ रही है। राहुल गांधी के अंदर काफी दम भी दिखता है जो सत्ता पक्ष के लिए खतरे की घंटी है। इसे सुनने के बाद बीजेपी समर्थक ये उम्मीद कर रहे हैं कि शत्रुघ्न सिन्हा भी कीर्ति आजाद की किताब से कोई सीख लेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि, “मुझे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बात करने का मौका नहीं दिया गया, हालांकि मैं तीन सालों से निलंबित हूं।” उनके ऊपर किसी का ध्यान न जाने और कोई महत्व न दिए जाने का दर्द उनके बयान से साफ़ झलक रहा है। उन्होंने अपनी भविष्य की योजनाओं का भी खुलासा किया। कीर्ति आजाद ने घोषणा की, “मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोग मुझे 2019 में चुनाव लड़ते हुए देखना चाहते हैं। इसलिए मैं दरभंगा से अगला आम चुनाव लड़ूंगा और वो भी एक राष्ट्रीय दल के टिकट पर।”
कीर्ति आजाद की तरह ही शत्रुघ्न सिन्हा और अन्य का इलाज बीजेपी ने ख़ामोशी से किया जिसके बाद से ये सभी अब हार मान चुके हैं और अब वो दूसरी पार्टियों की ओर बड़ी उम्मीदों से देख रहे हैं। कीर्ति आजाद के मामले से भी ये स्पष्ट है कि मोदी-शाह की जोड़ी ने उनपर ध्यान न देकर और चुप रहकर उनका जवाब दिया उन्हें पीड़ित और शहीद कार्ड खेलने की अनुमति नहीं दी। बीजेपी यहां देश और जनता के भले के लिए है न कि इस तरह के शरारती और लोगों का ध्यान पाने की लालसा रखने वाले नेताओं के भले के लिए है।