अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के मुद्दे की वजह से ही 1991 में बीजेपी पहली बार सत्ता में आयी थी। ढाई दशकों से अधिक समय हो चुका है लेकिम अभी भी मंदिर का निर्माण बाकी है। जबकि कुछ लोग इस अवधारणा के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं वहीं, बीजेपी समेत अधिकतर लोग ‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया’ के माध्यम से यहां निर्माण करना चाहते हैं।
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि वो अब राम मंदिर निर्माण के लिए और धैर्य नहीं रख सकती हैं, उन्होंने संवैधानिक संशोधन की मांग की है जो राम मंदिर के निर्माण के लिए रास्ता साफ़ करेगा। अपने शब्दों में उन्होंने स्पष्ट किया कि राम मंदिर जल्द से जल्द बनना चाहिए इसमें और विलंब नहीं होना चाहिए।
कुछ दिनों पहले ही एक अध्यात्मिक सभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी को आश्वासन दिया था कि राम मंदिर का निर्माण होगा और वो भी राष्ट्र कानून के अनुसार होगा। उन्होंने ‘अधीर’ समर्थकों को धैर्य रखने के लिए कहा था और ये भी कहा था कि बीजेपी की मनोदशा इस मुद्दे से पीछे हटने की बिल्कुल नहीं है।
हालांकि, इसमें कोई शक नहीं है कि एक बड़े राजनेता द्वारा इस तरह का बयान कई लोगों के लिए आश्वस्त करने वाला होगा और इसने तरह तरह के उठ रहे सवालों व उनके सिद्धांतों को आधारहीन साबित कर दिया है। हाल ही में उमा भारती के रुख से ये साफ़ है कि बीजेपी अब शब्दों से और खेलने के मूड में नहीं है। हाल ही में उमा भारती ने अयोध्या में महंत नित्य गोपाल दास, वीएचपी के वरिष्ठ नेता और श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष के साथ मिलकर रामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दर्शन किये।
उमा भारती ने कहा, “मैं अब राम मंदिर मामले को लेकर और धैर्य धारण नहीं कर सकती हूं। हम जल्द से जल्द अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं।” सिर्फ यही नहीं उमा भारती ने ‘राष्ट्रीय संकल्प’ को ध्यान में रखते हुए संविधान में संशोधन कर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को जल्द सुलझाये जाने का भी सुझाव दिया
उन्होंने आगे कहा कि, “अब पूरा राष्ट्र राम मंदिर के भव्य निर्माण को देखने की घड़ी का इंतेजार कर रहा है। ये एक अच्छा मौका है, यदि हम ये क्षण गंवा देंगे तो हम भारत के इतिहास में अपना गौरव गवां देगा। सरकारें आती-जाती रहती हैं लेकिन इस बार मोदी और योगी सरकार को पूर्ण बहुमत मिला है। अब भगवान राम के भक्त उस घड़ी की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब राष्ट्रीय सकंल्प को साकार किया जाए।“
इसी के साथ किसी के लिए ये समझना आसान होगा कि धीरे-धीरे लेकिन तेजी से बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे को सुलझाने के लिए पूरी तैयारी में हैं। संदेहवादी इसे राजनीतिकरण के रूप में देख रहे हैं लेकिन बीजेपी का इरादा इस मुद्दे को टालने का बिल्कुल नहीं है जिसने बीजेपी को मुख्यधारा तक पहुंचाया है।
भले ही बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ उमा भारती के संबंध ज्यादा अच्छे न रहे हों लेकिन वो अभी भी केंद्र मंत्री हैं (भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री) और राम मंदिर निर्माण के लिए संवैधानिक संशोधन की बात कहना निश्चित रूप शीर्ष नेताओं के गंभीर समर्थन के बिना नहीं कही गयी होगी।
जम्मू-कश्मीर में किसी ने भी पीडीपी के साथ गठबंधन से बीजेपी द्वारा समर्थन वापस लेने की उम्मीद नहीं की थी लेकिन उम्मीद के विपरीत ऐसा हुआ इसी तरह राम मंदिर का निर्माण भी 2018 के अंत में या 2019 की शुरुआत में होना कोई दूरगामी विचार नहीं है। ये मुद्दा बीजेपी के लिए ट्रम्प कार्ड साबित हो सकता है।