यदि आप सोमवार को कोई भी न्यूज़पेपर, कोई भी न्यूज़ वेबसाइट को देखते हैं तो शायद आपको समस्या मिलने की संभावना कम होती और आपको एक अलग ही खबर देखने को मिलती जिसने समाज में एक नया उदाहरण स्थापित किया है। न्यूज़पपेर के एक बड़े हिस्से में आपको बताया गया कि आपके साथ, आपके परिवार के साथ, समाज, राज्य और देश और दुनिया के साथ क्या गलत हो रहा है। नकारात्मक ख़बरों के बीच सकारात्मक जैसे अपने ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हो क्योंकि मुख्यधारा की मीडिया में ऐसी ही खबरों को बेचा रहा है। लव-जिहाद, ऑनर किलिंग जैसी खबरों के बीच कर्नाटक के कलबुर्गी जिले से एक ऐसी खबर सामने आयी है जिसे मीडिया द्वारा ज्यादा कवरेज नहीं मिली। चूंकि ये खबर मुस्लिम-हिंदू जोड़े की है जो मुश्किलों के बावजूद किसी तरह से एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधने में कामयाब रहे। ये कहानी ख़ास है क्योंकि इस कहानी में ब्राह्मण दूल्हा है और दुल्हन एक मुस्लिम लड़की है जिन्होंने इस बंधन में बंधकर समाज में चली आ रही परंपराओं को तोड़कर एक नई मिसाल पेश की है। दूल्हा जोकि एक ब्राह्मण है उसे इस शादी के लिए अपने परिवार का पूरा सहयोग मिला और अपने प्यार की ताकत से वो दूसरे धर्म की लड़की से विवाह करने में सफल हुआ ।
अतीत में न जाने कितनी ही ऐसी खबरें सामने आयी हैं जहां एक मुस्लिम परिवार ने हिंदू या ईसाई लड़के साथ अपनी बेटी के रिश्ते और शादी पर आपत्ति जताई है। हाल ही में दिल्ली में ऐसा ही कुछ देखने को मिला भी था जहां एक मुस्लिम लड़की के परिवार द्वारा अंकित सक्सेना नाम के लड़के की सरेआम गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी। भाग्यवश, विक्रम के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। दूल्हा जो एक ब्राह्मण परिवार से है और कर्नाटक के बिदार जिले का रहने वाला है। मुस्लिम दुल्हन शबाना रहमत हुसैन कर्नाटक में ही महिलाओं के लिए बने आश्रय गृह में चार सालों से में रह रही थी। विक्रम बिदार में सूक्ष्म सिंचाई उपकरण व्यवसाय चलाता है और उनके अनुसार वो काफी समय से कोशिश कर रहे थे और आखिरकार दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। इसके बाद दोनों एक सादे समारोह में हमेशा के लिए एक दूसरे के हो गये। इस समारोह में करीबी रिश्तेदार और आश्रय गृह की कुछ महिलाएं ही शामिल हुईं।
विक्रम के परिवार की सराहना की जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने विक्रम की पसंद को स्वीकार किया और जब उन्हें पता चला कि लड़की दूसरे धर्म की है तो उन्होंने शादी को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अपने बेटे की पसंद को स्वीकार करने में जरा भी देरी नहीं लगाई बल्कि पूरे दिल से लड़की का अपने परिवार में स्वागत किया और शादी की तैयारियों में शामिल भी हुए और शादी हिंदू रीति रिवाजों के साथ संपन्न हो गयी।
हम आशा करते हैं कि विक्रम और शबाना का ये नया जीवन सुखमय हो और हम ये भी समझते हैं कि इस खबर में असाधारण कुछ भी नहीं है। इस कहानी का अंत सुखद है जैसा कि होना चाहिए। अलग धर्म से आने वाले दो लोगों की शादी अच्छी विचारधारा के साथ होती है और दोनों की आपसी समझ से होती है तो किसी को इस खबर से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अगर रूपांतरण या धन के लिए ऐसा होता तो जरुर ही इसे रिपोर्ट किया जाना चाहिए यहां तक कि इसे प्रतिबंधित भी किया जाना चाहिए। विक्रम और शबाना ने समाज और भविष्य के लिए एक उदाहरण स्थापित किया है। उनके प्यार की कहानी और उनकी शादी से एक सकारात्मक संदेश मिलता है क्योंकि ब्राहमण परिवार ने इस शादी पर कोई आपति नहीं जताई बल्कि दो धर्मों के बीच के अंतर को किनारे रखकर इसे स्वीकार किया और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दिया है।