सोशल मीडिया पर बुधवार की रात से ही एबीपी न्यूज़ के एंकर अभिसार शर्मा को लेकर अफवाहों का दौर शुरू है कि उन्हें न्यूज़ चैनल से निकाल दिया गया है। वहीं, एबीपी न्यूज़ ने अभी तक इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। ट्वीटर प्रोफाइल पर उनकी निष्क्रियता और चैनल के कार्यक्रमों से उनकी अनुपस्थिति ने इस तरह की अफवाह को और तुल दिया है। अभिसार शर्मा बीजेपी विरोधी और मोदी विरोधी खबरों के जरिये मशहूर होने की हर संभव कोशिश करते हैं। सबूतों और तथ्यों की कमी ऐसे पत्रकारों के लिए कभी समस्या का कारण नहीं रही क्योंकि वो अपने प्रोपेगेंडा के तहत खबरों को तैयार करते हैं। अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने भी आये हैं ऐसे में ये समझना महत्वपूर्ण हो जाता है कि पत्रकार पत्रकारिता के परिधान में अपने प्रोपेगेंडा को कैसे बेचते हैं।
.@abhisar_sharma Not quite sure about news channels but some self declared neutral & foul-mouthed journalists use that on regular basis. pic.twitter.com/DDloNNpSQy
— The Frustrated Indian (@FrustIndian) March 14, 2017
आम आदमी पार्टी के नेता संदीप कुमार एक सीडी कांड विवाद में फंसे थे। वीडियो में दिखाई देने वाली महिला ने भी विधायक पर मदद के बदले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था जिसके बाद संदीप कुमार को आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा था। वहीं, इस मामले पर अभिसार शर्मा ने एक आर्टिकल के जरिये आम आदमी पार्टी के विधायक का बचाव करने की कोशिश की थी। उन्होंने इस मामले के प्रकाश में आने के समय और मामले में महिला की भागीदारी पर संदेह भी व्यक्त किया था साथ ही आम आदमी के विधायक को क्लीन चीट देने की भी कोशिश की थी।
उनकी अक्षमता और समझदारी का एक अन्य मामला तब सामने आया था जब एबीपी न्यूज़ के पत्रकार ने कहा था, ‘धान का खेत यानी गेहूं, गेहूं यानी रोटी, रोटी यानी भूख का समाधान।”
भारत में खेत से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति ये जानता है कि ‘धान के खेत’ का मतलब चावल होता है लेकिन अभिसार शर्मा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उनकी ये गलती वायरल हो गयी थी और उन्हें सार्वजनिक तौर पर काफी शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था जो किसी भी अच्छे व्यक्ति को चुप कराने एके लिए पर्याप्त था लेकिन उन्हें नहीं।
सोशल मीडिया पर कई बार अभद्र शब्दों का उपयोग करने के लिए भी उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है। फिर भी, मालदा दंगों को न्यायसंगत साबित करने की उनकी कोशिश उनके सबसे बुरे प्रयासों में से एक रहा है। उन्होंने इस हिंसा की शुरुआत के लिए पीड़ित हिंदुओं को दोषी ठहराया था और मुस्लिम समुदाय का बचाव करने की कोशिश भी की थी। वही अभिसार शर्मा जो विपक्ष का गुणगान करते हैं और मुस्लिमों का हितेशी बनते फिरते हैं उन्होंने भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में हुए मालदा दंगों को लेकर ममता बनर्जी से कोई सवाल क्यों नहीं किया? बल्कि इस मामले पर उन्होंने चुपी साधना ज्यादा जरूरी समझा और मामले के शांत होने का इंतजार किया सिर्फ इसलिए क्योंकि इस हिंसा में अल्पसंख्यक समुदाय का हाथ था? अभिसार शर्मा को इसके लिए ट्विटर पर आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था।
अभिसार शर्मा की पत्नी टैक्स धोखाधड़ी के मामले में दोषी पायी गयीं थी उस समय वो एनडीटीवी की एसेसिंग अधिकारी थीं। अभिसार की पत्नी सुमना सेन ने एनडीटीवी के इनकम टैक्स मामले में जमकर घपलेबाजी की थी। अभिसार की पत्नी सुमना ने अपने पद का दुरूपयोग किया था और एनडीटीवी में कार्यरत अपने पति अभिसार शर्मा के साथ मिलकर NDTV को कर चोरी करने में मदद की थी। उन्होंने 1 करोड़ रुपये के हॉलिडे पैकेज के बदले में एनडीटीवी के 900 करोड़ के घोटाले के मामले को रफा दफा करने की कोशिश की थी।
ये सभी घटनाएं साबित करती हैं कि वो किसी एक पार्टी और व्यक्ति के प्रति अपने निहित नफरत की वजह से सफल रहे हैं। इसीलिए ये एबीपी न्यूज का एक सराहनीय कदम होगा यदि इस न्यूज़ चैनल ने ऐसे ‘पत्रकार’ को बाहर निकालने का विकल्प चुना जिसका कोई उद्देश्य नहीं बल्कि अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाना है और खबरों के माध्यम से नफरत को बढ़ावा देना है। ये उभरते पत्रकारों के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा जो इस तरह की गतिविधियों के बजाय सही न्यूज़ रिपोर्टिंग में विश्वास करते हैं।