सोमवार को गुजरात के अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन अजय पटेल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया है। ये मामला एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर है और इसकी सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों नेताओं ने बैंक पर आरोप लगाया था कि नोटबंदी के दौरान सिर्फ 5 दिनों में ही सहकारी बैंक में 750 करोड़ रुपए के गैरकानूनी घोषित कर दिए गए नोट जमा कराए गए थे। इसी वर्ष 22 जून को कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया था कि एडीसीबी के चेयरमैन अजय पटेल अमित शाह के करीबी हैं।” मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दायर आरटीआई पर नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) ने जवाब जारी किया था जिसके बाद राहुल गांधी और सुरजेवाला ने अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक पर आरोप लगाया था। रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले में जांच की मांग की थी और कहा था कि आरटीआई के जवाब ने “काले धन को सफ़ेद’ धन में बदलने के प्रयास को सामने रख दिया है। इसके बाद उसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले को लेकर सहकारी बैंक पर आरोप लगाये थे। उन्होंने ट्वीट करके कहा थ कि, “अमित शाहजी बधाई! सबसे ज्यादा नोट बदलने के मामले में आपके बैंक को पहला स्थान मिला, पांच दिन में 750 करोड़ रुपये। नोटबंदी से लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई, उपलब्धि के लिए बधाई।“
Congratulations Amit Shah ji , Director, Ahmedabad Dist. Cooperative Bank, on your bank winning 1st prize in the conversion of old notes to new race. 750 Cr in 5 days!
Millions of Indians whose lives were destroyed by Demonetisation, salute your achievement. #ShahZyadaKhaGaya pic.twitter.com/rf1QaGmzxV
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 22, 2018
इस मामले को लेकर विवाद बढ़ने के बाद नाबार्ड ने सफाई देते हुए कहा था कि, “सहकारी बैंक में औसतन 46,795 रुपये प्रति खाता पुराने नोट जमा कराए गए जो गुजरात के 18 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के प्रति जमाकर्ता औसत से कम है।“ नाबार्ड ने अपने बयान में कहा था कि,” बैंक ने नोटबंदी के दौरान नोट जमा करते वक्त आरबीआई के केवाईसी गाइडलाइन का पालन किया था।“ इस बयान में नाबार्ड ने आगे कहा था कि, “अहमदाबाद डीसीसीबी के कुल 16 लाख खातों में से महज 1.6 लाख खातों में पुराने नोट जमा किए गए या बदले गए जो सभी जमा खातों का सिर्फ 9.37 फीसद है।“ नाबार्ड ने ये भी बताया कि, “10 से14 नवंबर 2016 के दौरान 1.6 लाख उपभोक्ताओं ने बैंक में 746 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा कराए या बदले जो कि बैंक के कुल जमा का महज 15 फीसदी है।“ इस तथ्य को जानते हुए कि एडीसीबी की कुल 194 शाखाओं में 16 लाख खाते हैं जो गुजरात के डीसीसीबी को सबसे बड़ा बनाता है यही वजह है कि बैंक में नोटबंदी के दौरान महज 5 दिनों में 746 करोड़ रुपये का जमा होना कोई बड़ी बात नहीं है। नाबार्ड ने अपने बयान में एडीसीबी की सराहना भी की और उसे “किसानों के लिए अनुकूल बैंक” भी कहा था।
शिकायतकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता द्वारा लगाये गये आरोप ‘झूठे और मानहानिकारक’ है। एडीसीबी और पटेल के वकील एस वी राजू ने कहा कि, “राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, अब ‘शहजादा कहां गया’, बीजेपी 80 प्रतिशत समृद्ध है लेकिन बैंक से एक पत्ता भी इधर उधर नहीं हुआ है।” शिकायतकर्ताओं के दावों को नाबार्ड बोर्ड द्वारा भी स्पष्ट किया जा चुका है। ये पहली बार नहीं है जब विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी है इससे पहले भी विपक्ष और मीडिया ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कैबिनेट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्री पियूष गोयल और नितिन गडकरी के खिलाफ झूठे, अनर्गल, मानहानिकारक आरोप लगाए थे और हर बार वो गलत साबित हुए हैं। आरोप इतने अस्पष्ट और आधारहीन थे कि अगर आप गूगल करके खबरों की गहराई में जाते तो भी आपको सच का पता चल जाता। खैर, सवाल तो ये भी बनता है कि अगर विपक्ष और राहुल गांधी सही है तो कब उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था? यदि वो निर्दोष हैं तो डर किस बात का? उनकी चुप्पी तो यही बताती है कि उन्हें भी पता है कि वो गलत हैं और उनके खिलाफ लगाये गये आरोप भी सच हैं।